सोनाली मिश्र
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सोनाली मिश्रा स्वतंत्र अनुवादक एवं लेखिका हैं। उनके कहानी संग्रह 'डेस्डीमोना मरती नहीं' को उत्तर प्रदेश का सम्मानित प्रोफेसर महेंद्र प्रताप स्मृति सम्मान प्राप्त हो चुका है। उनका दूसरा कहानी संग्रह है 'लहरें अब बोलती नहीं'। हाल में प्रकाशित उनका उपन्यास 'महानायक शिवाजी' काफी चर्चित हुआ है। वे जन गण के राष्ट्रपति, मूल्यों की पुनर्स्थापना सहित कई पुस्तकों का अनुवाद कर चुकी हैं।
शमशेरा : हिंदू घृणा और वामपंथी एजेंडा से भरी फिल्म को दर्शकों ने नकार दिया
शमशेरा हिंदू घृणा से सनी ऐसी फिल्म है, जिसका साहित्य में परीक्षण हुआ, जैसा कि फर्स्ट पोस्ट आदि पर आयी समीक्षाओं से पता चलता है, और फिर बाद में परदे पर उतारा गया। परंतु जैसे साहित्य में फर्जी विमर्श को रद्दी में फेंक कर जनता ने नरेंद्र कोहली को सिरमौर चुना था, वैसे ही अब उसने आरआरआर एवं कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों को चुन लिया है और शमशेरा को गड्ढे में फेंक दिया है!
पाकिस्तान में बढ़ती शर्मनाक घटनाएँ, फिर भी पश्चिमी देशों का दुलारा पाकिस्तान
अमेरिका की एक व्लॉगर पाकिस्तान में विषय में वीडियो बनाती थी। उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है और बलात्कार करने वाले उसके अपने वही दो दोस्त हैं, जिनके बुलावे पर वह पाकिस्तान आयी।
लिबरल खेमा वैश्विक उथल-पुथल से प्रफुल्लित क्यों है?
उनके हर्ष का विषय तीन वैश्विक घटनाएँ हैं। पहली है यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का इस्तीफा, दूसरी घटना है जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या और तीसरी सबसे महत्वपूर्ण घटना है श्रीलंका का दीवालिया होना और राष्ट्रपति आवास पर आम जनता का नियंत्रण होना!
रॉकेट्री फिल्म के बहाने फिर सामने आयी हिंदुओं के प्रति वामपंथी घृणा!
रॉकेट्री फिल्म की इसलिए आलोचना की जा रही है कि इस फिल्म ने नारायणन की भक्ति को बार-बार दिखाया है। वे जब भी कठिनाई में फँसते हैं तो वे प्रार्थना करते हैं, वे एक सच्चे हिंदू देशभक्त हैं! क्या हिंदू देशभक्त होना अपराध है? क्या वह व्यक्तित्व, जिन्होंने अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों का सामना किया और उनसे संघर्ष करने की शक्ति उन्हें अपने धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों से प्राप्त हुई, तो क्या वह बात इस फिल्म में दिखायी नहीं जानी चाहिए थी?
उदयपुर की घटना : आतंकी हत्या पर सेक्युलरों ने सभी धर्मों को क्यों लपेटा?
उदयपुर में हुई जिहादी घटना ने जैसे सारा विमर्श ही मात्र एक विषय पर लाकर रख दिया है, और वह है कट्टरपंथी इस्लामिक जिहाद।...
द कश्मीर फाइल्स : विवेक अग्निहोत्री ने उठा दी झूठ की दुकान
विवेक अग्निहोत्री की सफलता यही है कि उन्होंने विमर्श की दिशा मोड़ दी। उन्होंने बस दर्द को जस-का-तस परोस दिया, जो इतने वर्षों से झेलम नदी में कश्मीरियत की हरी काई के नीचे दबा था और अब वह दर्द बह कर नीचे उस मैदान में आ गया है, जहाँ तक आने से लिबरल जमात उसे रोक रही थी!
सिंघु बॉर्डर : लखबीर सिंह हत्याकांड, एक चुप्पी के बीच कई प्रश्न?
एक दलित को निहंगों द्वारा मारे जाने पर सभी मौन बैठे हैं। वे विरोध नहीं कर रहे, सड़कों पर नहीं निकल रहे और न ही लखीमपुर खीरी जैसी बहसें कर रहे हैं। सिंघु बॉर्डर पर हत्या भी है और उसमें दलित भी है। और इतना ही नहीं, उसमें निर्ममता की पराकाष्ठा है।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार की अजब-गजब!
महाराष्ट्र में न जाने कितने किसान आत्महत्या कर चुके हैं और वहाँ की कानून व्यवस्था पर बड़े प्रश्न उठ रहे हैं। परंतु फिर भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में घटित हिंसा में मारे गये किसानों की हत्या के विरोध में अपने ही प्रदेश में बंद करवाया, और वह भी ऐसा बंद जिसमें उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आम लोगों पर हिंसा की।
धुआँ-धुआँ बॉलीवुड एक दिन धुएँ में खो जायेगा
यह पूरा देश देख रहा है कि कैसे एक नशेड़ी को बचाने के लिए उसे बच्चा घोषित करने की होड़ लगी हुई है। क्या एक 24 साल का युवक बच्चा हो सकता है? क्या कारण है कि बॉलीवुड हमेशा ही उन लोगों के पक्ष में आ जाता है, जो आपराधिक कृत्य करते हैं।
लखीमपुर खीरी : विपक्ष की विभाजक राजनीति या फिर प्रियंका गांधी के लिए लॉन्च-पैड?
ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश के बाहर यह आंदोलन राहुल गांधी के कंधों पर है, तो वहीं उत्तर प्रदेश में यह आंदोलन प्रियंका गांधी को लॉन्च करने के लिए है। मगर इन सबके बीच एक बड़ी रोचक बात हो रही है – वह है वरुण गांधी का भाजपा से दूर जाना।