विराट की बदतमीजियों पर बीसीसीआई मजबूर क्यों

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पवन कुमार नाहर

भारतीय टीम के उपकप्तान और रॉयल चैलेंजर्स के कप्तान विराट कोहली हमेशा सुर्खियों में रहते हैं।

मैदान में रन बटोरने के साथ ही कोहली ने विवाद भी जम कर बटोरे हैं। चाहे वह अपने स्टाइल के कारण हो या ट्विटर पर अनुष्का शर्मा के लिए प्यार का इजहार करना हो। लेकिन इससे भी ज्यादा विराट ने मैदान और मैदान के बाहर अपने बर्ताव को लेकर सुर्खियाँ बटोरी हैं।

विराट और विवाद का रिश्ता सालों पुराना है। कुछ साल पहले आईपीएल में विराट कोलकाता के कप्तान गौतम गंभीर के साथ गाली-गलौच करते नजर आये। उसके बाद विराट कभी मैदान में अभद्र इशारे करते नजर आये, तो कभी साथी खिलाड़ियों के साथ जुबानी जग करते। साथी खिलाड़ियों में गौतम गंभीर के अलावा रुबेल हुसैन, डेविड वॉर्नर, मिचेल जॉनसन, शेन वॉटसन, केविन पीटरसन और पार्थिव पटेल का नाम भी जुड़ चुका है।

हाल ही में कोहली एक पत्रकार से बदसलूकी करते नजर आये। गलती सामने आने के बावजूद उन्होंने पत्रकार से माफी माँगनी जरूरी नहीं समझी। विराट के व्यवहार के प्रति बीसीसीआई का रुख हमेशा से नर्म रहा है। बोर्ड के अधिकारी अलग-अलग प्रकरणों पर विराट का बचाव करते नजर आये। कभी भी कोहली पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। यह एक जटिल सवाल बन रहा है कि क्या बोर्ड के नियम सभी खिलाड़ियों के लिए समान नहीं हैं। आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि बीसीसीआई कोहली की बदतमीजियों को नजरअन्दाज करता रहा है। मैच के दौरान नियमों का उल्लंघन कर अनुष्का से बातचीत के हालिया वाकये को भी बोर्ड नजरअन्दाज कर रहा है।

एक सवाल यह भी सामने आता है कि भारत के अगले कप्तान कहे जाने वाले विराट कोहली आखिर किस तरह इस टीम और खेल का प्रतिनिधित्व करेंगे। कई विशेषज्ञों का मानना है कि कोहली को अपने व्यवहार पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उनके ऐसे बर्ताव का बुरा असर उनके प्रदर्शन पर पड़ रहा है। कोहली युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। ‘जेंटलमेंल गेम’ कहे जाने वाले क्रिकेट की छवि को कोहली ऐसे बर्ताव के साथ भावी खिलाड़ियों में ‘जेंटल’ बनाकर रख पायेंगे?

लेकिन सबसे बड़ा सवाल बीसीसीआई के सामने ही है। कोहली के बर्ताव में सुधार इस खेल के हित में है। बीसीसीआई को खेल हित में कुछ कड़े फैसले लेने चाहिए। जरूरत पड़ने पर अपने ढुलमुल रवैये को छोड़ कर बोर्ड को सख्त अनुशासनात्मक कदम भी उठाने पड़ सकते हैं, जिससे खेल जगत और खिलाड़ियों में एक अच्छा सन्देश जाये। साथ ही कोहली को भी अपने व्यवहार की समीक्षा करनी चाहिए। यह आत्मचिन्तन करना कोहली के लिए एक खिलाड़ी के तौर पर भी काफी फायदेमन्द होगा।

(देश मंथन, 21 मई 2015)

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