न्याय क्या सबके लिए बराबर है?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
बड़ी-बड़ी अदालतें हैं। बड़े-बड़े वकील हैं। बड़े-बड़े कानून हैं। और बड़े-बड़े लोग हैं। इसलिए छोटे-छोटे मामले अक्सर ही कानून की मुट्ठी से फिसल जाते हैं! साबित ही नहीं हो पाते! और लोग चूँकि बड़े होते हैं, इतने बड़े कि हर मामला उनके लिए छोटा हो ही जाता है! वैसे कभी-कभार ऐसा हो भी जाता है कि मामला साबित भी हो जाता है। फिर? फिर क्या, बड़े लोगों को बड़ी सज़ा कैसे मिले? इसलिए सजा अक्सर छोटी हो जाती है! और अगर कभी-कभार सजा भी पूरी मिल जाये तो? तो क्या? पैरोल पर एक कदम जेल के अन्दर, दो कदम जेल के बाहर! वह भी न हो सके तो अस्पताल तो हैं ही न!
गोली और खेल एक साथ कैसे?
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
पाकिस्तान के साथ समग्र वार्ता की लंबे अर्से बाद शुरुआत को एक अच्छी पहल जरूर कहा जा सकता है। मगर जो मुद्दे हैं क्या उनको लेकर पाकिस्तान संजीदा साबित होगा और क्या उसकी फौज, जो असली ताकत है, पहली बार जन्मपत्री को ठोकर मार अपनी सरकार के साथ सुर में सुर मिलाएगी?
सोनिया जी, यह न 1975 है, न 1986, इसलिए कोर्ट का सम्मान करें
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
सोनिया गाँधी सही कह रही हैं कि वह इंदिरा गाँधी की बहू हैं। वह इंदिरा गाँधी की बहू हैं, इसीलिए कोर्ट का भी आदर नहीं कर रही हैं। इंदिरा गाँधी ने भी 1975 में अपने निर्वाचन को अवैध करार देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को नहीं माना था और देश में इमरजेंसी लगा दी थी। उस वक्त उन्होंने विपक्ष के साथ जो किया था, राजनीतिक दुर्भावना और दुश्मनी उसे कहते हैं, न कि भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट समन कर दे तो उसे कहते हैं।
धर्म-निरपेक्ष कि पंथ-निरपेक्ष?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
पिछले हफ्ते बड़ी बहस हुई। सेकुलर मायने क्या? धर्म-निरपेक्ष या पंथ-निरपेक्ष? धर्म क्या है? पंथ क्या है? अँगरेजी में जो 'रिलीजन' है, वह हिन्दी में क्या है—धर्म कि पंथ? हिन्दू धर्म है या हिन्दू पंथ? इस्लाम धर्म है या इस्लाम पंथ? ईसाई धर्म है या ईसाई पंथ? बहस नयी नहीं है। गाहे-बगाहे इस कोने से, उस कोने से उठती रही है। लेकिन वह कभी कोनों से आगे बढ़ नहीं पायी!
क्या चाहिए आपको, लोकतंत्र या धर्म-राज्य?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
सिर्फ बीस दिन हुए थे। शायद ही ऐसा पहले कभी हुआ हो। देश में कोई नयी सरकार बनी हो और महज बीस दिनों में ही यह या इस जैसा कोई सवाल उठ जाये! तारीख थी 14 जून 2014, जब 'राग देश' के इसी स्तम्भ में यह सवाल उठा था-2014 का सबसे बड़ा सवाल, मुसलमान!
दलों में लोकतंत्र खत्म होने का नतीजा है वंशवाद
राजीव रंजन झा :
बिहार के चुनावी नतीजों और उसके बाद खास कर तेजस्वी यादव को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद एक बार फिर से वंशवाद पर बहस छिड़ गयी है। बिहार सरकार में तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री और तेज प्रताप यादव को कैबिनेट बनाये जाने पर लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती ने जवाब दिया है कि जनता ने उन्हें चुन कर भेजा है। यह वही तर्क है, जो कभी सारे कांग्रेसी राहुल गांधी के लिए और उससे पहले राजीव गांधी और उससे भी पहले इंदिरा गांधी के लिए देते रहे हैं।
लालू पर केजरीवाल का दो साल पुराना ट्वीट हुआ वायरल
(नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में लालू प्रसाद यादव और अरविंद केजरीवाल की गलबहियों का का वायरल हुआ चित्र। स्रोत : अज्ञात)
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दो साल से कुछ ज्यादा पुराना ट्वीट आज एक बार फिर सोशल मीडिया में छा गया। इसके साथ ही राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साथ उनका गले मिलना भी लोगों ने फेसबुक और ट्विटर पर खूब शेयर किया।
राहुल गांधी बोले – मुझे जेल भिजवा दें मोदी
राजीव रंजन झा :
अपनी नागरिकता के बारे में सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों पर कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पलटवार किया है और स्वामी के बदले सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती दी है। राहुल ने प्रधानमंत्री को चुनौती दी है कि अगर उन्होंने कुछ गलत किया है तो उन्हें जेल भेजा जाये।
मोदी के कौशल की पहली परीक्षा!
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली में नरेन्द्र मोदी के कौशल की पहली परीक्षा अब है! उनके राजनीतिक जीवन की शायद अब तक की सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने है! और शायद पहली भी! इस मामले में मोदी वाकई भाग्यशाली रहे हैं। मुझे नहीं याद पड़ता कि इससे पहले कभी उनके सामने कोई चुनौती आयी भी हो!
क्या यूके की मतदाता सूची में भी नाम है राहुल गांधी का?
राजीव रंजन झा :
जब इस बात के दस्तावेज सामने आये कि यूके में अपनी एक कंपनी के निदेशक के रूप में राहुल गांधी ने खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया तो कांग्रेस की ओर से सफाई आयी कि यह टाइपिंग की भूल है। लेकिन अगर राहुल गांधी का नाम यूके की मतदाता सूची में भी दिखे, तो क्या कांग्रेस इसे भी टाइपिंग की भूल बता कर रफा-दफा कर सकती है?
क्या यूके की मतदाता सूची में भी नाम है राहुल गांधी का?
राजीव रंजन झा :
जब इस बात के दस्तावेज सामने आये कि यूके में अपनी एक कंपनी के निदेशक के रूप में राहुल गांधी ने खुद को ब्रिटिश नागरिक बताया तो कांग्रेस की ओर से सफाई आयी कि यह टाइपिंग की भूल है। लेकिन अगर राहुल गांधी का नाम यूके की मतदाता सूची में भी दिखे, तो क्या कांग्रेस इसे भी टाइपिंग की भूल बता कर रफा-दफा कर सकती है?
आज गोडसे-भक्त कह रहे होंगे – थैंक्यू मीडिया..थैंक्यू कांग्रेस!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
आज कुछ चैनलों ने बताया कि कुछ लोग महात्मा गाँधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का बलिदान दिवस मना रहे हैं। इन्हीं चैनलों ने यह भी बताया कि कार्यक्रम में 50 लोग भी नहीं जुटे। 125 करोड़ लोगों के देश में जिस विचार के लिए 50 लोग भी नहीं जुटे, उसे सारे चैनलों ने दिन भर अपनी प्रमुख हेडलाइंस में जगह दी।