रूमानी है एलिफैंटा के लिए स्टीमर का सफर

0
287

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से एलीफैंटा टापू तक जाने में तकरीबन सवा घंटे लगते हैं। पर ये सफर यादगार होता है। दूरी की बात करें तो यह रास्ता 12 किलोमीटर का है। मुंबई से एलीफैंटा के बीच कुल 90 मोटर बोटों को संचालन होता है। ये मोटर बोट एक सहकारी समिति के तहत चलती हैं।

इनमें आने जाने का टिकट एक साथ ही मिल जाता है। एक टिकट किसी भी मोटर बोट पर मान्य होता है। इन मोटर बोट में आप नीचे कुरसियों पर या फिर छत पर जा कर खुले में कुरसियों पर बैठ सकते हैं। अमूमन बोट में मौजूद स्टाफ ऊपर बैठने के लिए 10 रुपये अतिरिक्त माँगते हैं। पर नजारे ऊपर बैठे या नीचे हर जगह से दिखायी देता है। समंदर की लहरों से अटखेलियाँ करती हुई बोट हौले-हौले आगे बढ़ती है। आप चाहें तो स्पीड बोट से भी एलीफैंटा जा सकते हैं।

गेटवे ऑफ इंडिया से जाने के समय धीरे-धीरे मुंबई से आप दूर होते जाते हैं। तब पीछे देखने पर गेटवे आफ इंडिया ताज होटल और कोलाबा का सुंदर नजारा नजर आता है। जिनको आप तस्वीरों में उतार सकते हैं। समंदर मं लहरों के साथ बोट कई बार उछलती हुई नजर आती है। बोट के आसपास बड़ी संख्या में सफेद पक्षी अटखेलियां करते हैं। इन पक्षियों को देखना बड़ा भला लगता है। कई बार लोग इन पक्षियों को दाने डालते हैं। एक मोटर बोट  में तकरबीन सौ लोग सफर करते हैं। एक बोट के भरने के बाद ही दूसरी बोट संचालित होती है।

एलीफैंटा के मार्ग पर समंदर में कई मध्यम आकार के जहाज नजर आते हैं। ये जहाज वास्तव में नौ सेना की ओर से समंदर पर निगरानी के लिए लगाये गये हैं। इन जहाजों में अंकलेश्वर समेत कई अलग-अलग नाम के जहाज हैं। इन पर हमारी सेना के जवान हमेशा चौकसी करते हुए नजर आते हैं। बीच में कुछ छोटे टापू भी नजर आते हैं।

एक शिलापट्ट हमें ये जानकारी देता है कि 5 मई 1989 को एलिफैंटा द्वीप पर बिजली आयी। इसके पहले यहाँ रोशनी का इंतजाम नहीं था। पर अब एलीफैंटा रात में भी रोशन रहता है। जब आप स्टीमर से एलीफैंटा के तट पर पहुँचते हैं तो वहाँ स्वागत का बोर्ड नजर आता है। एक खिलौना ट्रेन नजर आती है जो थोड़ी दूर का सफर कराती है 5 रुपये में। खिलौना ट्रेन खत्म होने के बाद आपको एलीफैंटा जिसका नाम धारापुरी भी है में प्रवेश के लिए 10 रुपये का टैक्स देना पड़ता है। यह टैक्स यहाँ की नगर पंचायत वसूलती है। इसके बाद ऐतिहासिक गुफाओं तक पहुँचने के लिए तकरबीन 500 से ज्यादा सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती है। हालाँकि इन सीढ़ियों के दोनों तरफ बाजार है इसलिए यह पदयात्रा मुश्किल नहीं लगती है। हालाँकि जो लोगो बुजुर्ग या विकलांग हैं उनके लिए पालकी का भी इंतजाम है। एलीफैंटा में खाने-पीने के लिए कई रेस्टोरेंट भी हैं जहाँ पर वाजिब कीमत पर ही खाने पीने की सामग्री मिल जाती है। हालाँकि आप एलीफैंटा से लौटने का समय याद रखें। आखिरी स्टीमर शाम को छह बजे तक चलती है।

(देश मंथन  16 अप्रैल 2016)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें