विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हिमालय के पूर्वी कारकोरम रेंज में स्थित सियाचिन दुनिया के सबसे ऊँचे युद्धस्थलों में से एक है। सियाचिन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हिमनद ( ग्लेसियर) है। भारत पाकिस्तान के बीच सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन सियाचिन में तैनात फौजियों की जिंदगी काफी मुश्किल है।
अगर मौत आ भी जाए तो चिता भी नसीब नहीं होती। उसी बर्फ के नीचे दफन होना पड़ता है। साल 1984 से पहले बात करें तो सियाचिन पर भारत या पाकिस्तान किसी भी देश की सेना गस्त नहीं लगाती थी। पर 13 अप्रैल 1984 को आपरेशन मेघदूत आरंभ कर पाकिस्तानी सेना को सियाचिन हिमनद के एनजे 9842 से पीछे धकेलने का अभियान आरंभ किया। तब से लगातार जंग जारी है।
दर्दनाक बर्फीली मौत
सियाचिन में गस्त लगा रहे फौजियों को कई बार ग्लेसियरों का पता नहीं चलता। एक बार हिमनद में डूब जाने के बाद बचन मुश्किल होता है। फौजी मारे जाते हैं उनके शव भी कई बार बरामद नहीं हो पाते। कई सालों बाद ग्लेसियर पिघलने पर उनके शव बर्फ में दिखायी देते हैं। उनके बाल और नाखून बढ़ते जाते हैं पर मौत तो काफी पहले हो चुकी रहती है।
खराब मौसम से ज्यादा मौतें
भारत ने पिछले करीब 30 साल से सियाचिन में अपने सैनिक तैनात कर रखे हैं। भारत ने दुश्मन की गोलियों से कहीं अधिक जवान मौसम और प्रतिकूल भौगोलिक स्थितियों की वजह से गंवाए हैं। हाई एल्टीट्यूड पर होने वाली बीमारियाँ जानलेवा होती हैं।
आखिर फौज क्यों जरूरी
कई रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि सियाचिन सैनिकों का रहना जरूरी नहीं है पर अगर किसी दुश्मन का कब्जा हो तो फिर दिक्कत हो सकती है। यहाँ से लेह, लद्दाख और चीन के कुछ हिस्सों पर नज़र रखने में भारत को मदद मिलती है।
फौज हटाने का विचार
सियाचिन मुद्दे पर कई दौर की बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान कुछ साल पहले इस क्षेत्र के सैनिक हटाने के करीब पहुँच गये थे, लेकिन यह संधि परवान नहीं चढ़ सकी क्योंकि पाकिस्तान ने अपनी सैन्य स्थिति के पुष्टिकरण से इनकार कर दिया।
कुछ ऐसा है सियाचिन
19 से 21 हजार फीट तक समुद्र तल से सियाचिन की ऊंचाई
72 किलोमीटर लंबी है सियाचिन की सीमा
0 से माइनस 40 डिग्री सेल्सियस नीचे रहता है तापमान।
1800 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष खर्च करता है भारत फौज की तैनाती पर
05 करोड़ रुपये प्रतिदिन का औसत खर्च है सियाचिन पर
500 करोड़ हर साल खर्च करता है पाकिस्तान सियाचिन पर
1984 से भारत पाकिस्तान के फौजी सियाचिन में लड़ रहे हैं जंग
12 दौर की बातचीत हो चुकी है भारत पाकिस्तान में विवाद हल करने के लिए
90 फीसदी फौजियों की मौतें प्राकृतिक कारणों से हो जाती है
135 पाकिस्तानी सैनिक हिमस्खलन की चपेट में आ गये थे 07 अप्रैल 2012 को
30 पाक सैनिकों हर साल मारे जाते हैं औसतन
869 भारतीय जवानों की मौत हो चुकी है 1984 से दिसंबर 2015 के बीच ( केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा में दी जानकारी) 846 मौत हो चुकी है साल 2012 तक ( तब तत्कालीन रक्षा मंत्री एएके एंटनी ने दी थी जानकारी)।
(देश मंथन, 16 मार्च 2016)