हे गोबिंद राखो शरण अब तो जीवन हारे

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

हरि (विष्णु) और हर (महादेव) का क्षेत्र है हरिहर क्षेत्र। यानी शैव और वैष्णव परंपरा का संगम। बिहार को सारण जिले में स्थित सोनपुर में हरिहरनाथ का अति प्राचीन मन्दिर है।

कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा-गंडक के संगम स्थल यानी हाजीपुर सोनपुर में स्थित हरिहर क्षेत्र में गंडक नदी के किनारे लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान कर बाबा हरिहर नाथ मन्दिर मे पूजा अर्चना करते हैं। बाबा हरिहर नाथ का मन्दिर पौराणिक है। इस स्थल के साथ गज और ग्राह के युद्ध की कथा जुड़ी हुयी है।

भगवान विष्णु के भक्त गज (हाथी) और मगरमच्छ (ग्राह) के बीच कौनहारा घाट में युद्ध हुआ था। ये कथा श्रीमदभागवत पुराण में आती है। भगवान विष्णु का प्रिय भक्त राजा इन्द्रद्युमन एवं गंधर्व प्रमुख हूहू को ऋषि अगस्त मुनि एवं देवाल मुनि के श्राप से गज एवं ग्राह योनि में जन्म लेना पड़ा। गज और ग्राह की लड़ाई गंडक नदी में नेपाल में शुरू हुयी थी। उनके बीच सालों युद्ध होता रहा। कभी ग्राह हाथी को खीच कर जल में ले जाता तो कभी हाथी ग्राह को खींच कर किनारे पर ले आता। कोई हारने को तैयार नहीं था। दोनों गंगा गंडक के संगम पर हरिहर क्षेत्र में के पास पहुँचकर निर्णायक युद्ध के करीब पहुँचे।

उधर, स्वर्गलोक में भगवान विष्णु अपने भक्त गज और ग्राह की सारी गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे, पत्नी लक्ष्मी के बार-बार आग्रह करने पर की आप का भक्त मर जायेगा। कुछ कीजिए। भगवान विष्णु बोले अभी समय नहीं आया है, अभी वह अपने भरोसे संघर्ष कर रहा है। उसको मेरी जरूरत नहीं है। पर जब इस युद्ध में गज हारने लगा तब जीवन संकट में देख वह पुकार उठा – हे गोबिंद राखो शरण अब तो जीवन हारे…। पुकार सुनकर बिना देरी किए भगवान विष्णु बिना एक पल गवाएँ खाली पैर भागे-भागे आये और अपने सुदर्शन चक्र से ग्राह को मार कर अपने भक्त का दुख हर लिया और ग्राह को मरने के उपरांत स्वर्ग लोक भेज दिया। वास्तव में युद्ध में ग्राह की हार नहीं हुयी क्योंकि गज का भगवान विष्णु ने साथ दिया, इसलिए इस स्थल को कौनहारा भी कहते हैं। और इसलिए ये घाट कौनहारा घाटा कहलाता है।

हरिहरनाथ मन्दिर 

सोनपुर में इसी स्थान पर हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहरनाथ मन्दिर भी है। यहाँ हर रोज सैकड़ों भक्त श्रद्धा से पहुँचते हैं। सावन माह के सोमवार के दिन यहाँ श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है। कुछ लोगों का कहना है कि इस मन्दिर का निर्माण भगवान राम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था। कहा जाता है कि हरिहरनाथ मन्दिर का निर्माण भगवान राम ने त्रेता युग में किया था। भगवान राम जब जनकपुर के लिए जा रहे थे तब उन्होंने यात्रा मार्ग में ये मन्दिर बनवाया था। गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित यह प्राचीन मन्दिर सभी हिन्दुओं के परम आस्था का केन्द्र है। बाद में इस मन्दिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया। अभी जो मन्दिर बना है, उसकी मरम्मत राजा राम नारायण ने करवायी थी। मन्दिर के अन्दर गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है। इसके साथ ही भगवान विष्णु की प्रतिमा भी है।

गजेन्द्र मोक्ष धाम 

हरिहर क्षेत्र को गजेन्द्र मोक्षधाम भी कहते हैं। हाजीपुर के कौनहारा घाट पर गज ग्राह की प्रतिमा बनवायी गयी है। इस कथा को महत्व प्रदान करने के लिए हाजीपुर रेलवे स्टेशन की इमारत पर भी गज और ग्राह की युद्धरत प्रतिमा देखी जा सकती है। बिहार के पूर्व मुख्य मन्त्री लालू प्रसाद यादव बाबा हरिहरनाथ के बड़े भक्त हैं। वे कई बार यहां पूजा करने आ चुके हैं। आजकल मन्दिर की व्यवस्था हरिहनाथ मन्दिर न्यासी समिति देखता है।

बाबा रामलखनदास का मठ 

हरिहरनाथ मन्दिर के बगल में बाबा रामलखन दास का मठ है। बाबा शास्त्रीय संगीत के बड़े संरक्षक थे। यहाँ बाबा की पुण्य तिथि पर हर साल 7 अगस्त को शास्त्रीय संगीत की संध्या का आयोजन होता है। बाबा के जीवन काल में ये आयोजन भव्य स्तर पर होता था। यहाँ गोदई महाराज और सितारा देवी जैसे कलाकार पहुँचते थे। 

कैसे पहुँचे 

सोनपुर रेलवे स्टेशन से हरिहरनाथ मन्दिर की दूरी तीन किलोमीटर है तो हाजीपुर जंक्शन से मन्दिर की दूरी 6 किलोमीटर है। बाहर से आने वाले श्रद्धालु हाजीपुर में रहकर मन्दिर जा सकते हैं। सालों भर सोमवार को और सावन के महीने के सोमवार को मन्दिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। 

(देश मंथन 12 जून 2015)

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