कहानी इत्तेफाक की

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संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

सुनिए, आज एक कहानी इत्तेफाक की सुनिए। आज एक लड़का और एक लड़की की कहानी सुनिए। 

बताने को तो मैं लड़का और लड़की के नाम कुछ बता सकता हूँ, लेकिन मैं चाहता हूँ कि उनका नामकरण होने से पहले उस इत्तेफाक को देखिए और समझिए, जिससे न जाने कितनी बार हम सब गुजरते है। 

लड़का दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ता था। दुबला-पतला। नाक के नीचे पतली सी मूंछ। 

पहले जब हम किताब में कोई महत्वपूर्ण चीज पढ़ते थे और वो चीज अच्छी लगती तो हम उसे अंडरलाइन कर देते। बस यूं समझ लीजिए कि उस लड़के की नाक के नीचे बहुत बारीक सी मूंछ नाक के नीचे अंडरलाइन की तरह लगती, मानो नाक की महत्ता बयां कर रही हो। 

खैर, आज के जमाने में मूंछ इतनी बड़ी चीज नहीं कि हम उसकी चर्चा भी करें। फिर तो हमें चर्चा करनी चाहिए लड़के की और लड़की की। इस संसार में एक लड़का और एक लड़की की कहानी से बड़ी कोई कहानी नहीं होती। 

संसार की पहली कहानी ही आदम और हव्वा से शुरू होती है। मना करने के बाद भी उनके सेब खाने से होती है। पर आज की कहानी एक बेहद दुबले-पतले नौजवान की कहानी है। साथ ही बहुत छुई-मुई सी, पीली साड़ी में लिपटी नाजुक सी लड़की की कहानी है। 

अब आप कहेंगे कि संजय सिन्हा ये क्या कहानी हुई? दुबला-पतला नौजवान और छुई-मुई लड़की की कहानी सुना कर आप हमें क्या बताना चाहते हैं?

बात तो सही है, इस कहानी में ऐसी क्या बात है, जो मैं आपको सुनाऊं। पर जैसा कि मैंने कहा है कि ये कहानी है इत्तेफाक की। इत्तेफाक एक ऐसा शब्द है, जिससे हम जिन्दगी में न जाने कितनी बार गुजरते हैं, पर हर बार उसकी अनेदखी कर देते हैं। आपकी जिन्दगी में भी न जाने कितने इत्तेफाक हुए होंगे पर आपने कभी उन्हें दस्तावेजों में दर्ज नहीं किया होगा। एक बार याद तो करके देखिए, कितने इत्तेफाकों से आप गुजरे हैं। 

खैर, मैं आपको कहानी सुना रहा हूँ तब की, जब के आर नारायणन भारत के राष्ट्रपति नहीं बने थे। तब वो देश में विज्ञान और तकनीक मंत्री थे। 

लड़का और लड़की दोनों एक ही कॉलेज में साथ-साथ पढ़ते थे। 

अब आप सोच रहे होंगे की साथ पढ़ते थे, तो एक दूसरे को जानते होंगे। दोनों ने एक दूसरे को देखा होगा। 

जी नहीं। बिल्कुल नहीं। 

दोनों ने एक दूसरे को कभी देखा ही नहीं था। दोनों एक दूसरे को जानते भी नहीं थे। दोनों साथ-साथ पढ़ते रहे। एक-दूसरे के आमने-सामने से सैकड़ों बार गुजरते रहे। कभी एक-दूसरे को दोनों ने हैलो तक नहीं कहा। और तो और जिस दिन उनको डिग्री दी जाने वाली थी, दोनों दिल्ली के एक सभागार में साथ-साथ मौजूद थे। वहां पहले लड़के का नाम अनाउंस हुआ कि वो डिग्री लेने मंच पर आए। लड़का अपनी पतली मूंछों के बीच मुस्कुराता हुआ मंच पर पहुँचा। भारत के भावी राष्ट्रपति ने उससे हाथ मिलाया। उसके हाथों में उन्होंने डिग्री दी। किसी के कैमरे से क्लिक की आवाज आयी और लड़का डिग्री लेकर मंच से उतरने लगा। 

तभी लड़की का नाम अनाउंस हुआ। लड़की मंच की ओर बढ़ रही थी। पीली साड़ी में लिपटी छुई-मुई सी लड़की आगे बढ़ रही थी, लड़का सामने से आ रहा था। दोनों ने एक दूसरे की ओर नहीं देखा। दोनों ने एक दूसरे की परवाह नहीं की। लड़का अपनी खुशी में झूम रहा था, लड़की अपनी डिग्री पाने को आगे बढ़ रही थी। लड़की भी मंच पर पहुँची। भारत के भावी राष्ट्रपति केआर नारायणन से उसने नमस्ते कहा और उनसे उसने भी डिग्री ली। किसी के कैमरे ने फिर क्लिक की आवाज निकाली।

फिर लड़की भी मंच से उतरी और उस लड़के के साथ वाली कुर्सी पर आ कर बैठ गई। 

दोनों ने तब भी एक दूसरे की ओर नहीं देखा। 

बहुत दिनों बाद लड़का जहाँ नौकरी कर रहा था, लड़की भी वहीं नौकरी करने पहुँच गई। कायदे से वहाँ भी उनकी बात नहीं होनी चाहिए थी, पर बात हो गयी। दोनों ने एक दूसरे से कहा कि मैंने आपको कहीं देखा है। बातचीत शुरू हुई और कुल जमा बीस दिनों में वो बातचीत बहुत आगे बढ़ गयी। 

फिर दोनों ने शादी कर ली। 

दोनों हैरान थे कि दोनों साथ पढ़ते थे लेकिन कभी मिले नहीं। दोनों हैरान थे कि दोनों सैकड़ों बार एक दूसरे के सामने से गुजरे पर कभी एक दूसरे को उन्होंने हैलो तक नहीं कहा। और आज दोनों जीवन भर के साथी बन गये।

ये है इत्तेफाक। 

आप नीचे दोनों तस्वीरों को गौर से देखिए। पहली तस्वीर में पतली मूछों वाला लड़का है, जिसे पति बनना है पीली साड़ी वाली लड़की का। दूसरी तस्वीर में पीली साड़ी वाली लड़की है, वो पत्नी बनेगी पतली मूंछों वाले लड़के की। 

पर दोनों को नहीं पता।

सामने केआर नारायणन हैं, जिन्हें राष्ट्रपति बनना है, पर उन्हें भी नहीं पता। 

मतलब तीन इत्तेफाक अभी होने थे, पर तीनों को नहीं पता था। 

इस तस्वीर के उतारे जाने के साल भर बाद पतली मूंछ वाला लड़का और पीली साड़ी वाली लड़की जीवन साथी बन गये। जो इन्हें डिग्री दे रहे हैं, वो करीब आठ साल बाद भारत के राष्ट्रपति बन गये। 

इत्तेफाक ये भी रहा कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद भी लड़का-लड़की दोनों उनसे मिलते रहे। बातें करते रहे। दोनों पत्रकार बन गये थे। लड़का अब एक न्यूज चैनल में संपादक है, और लड़की अब तकनीक के संसार से जुड़ गयी है। 

खैर, कहानी को मैं और रोचक लिख सकता था, पर जल्दी थी मुझे दोनों के नाम बताने की और छोटी सी लव स्टोरी को आप तक पहुँचाने की। 

मेरे प्यारे परिजनों, लड़के का नाम है संजय सिन्हा और लड़की का नाम है दीपशिखा। 

इसके आगे की कहानी तो सौ बार आपको सुना चुका हूँ। इस मुलाकात का इतना हिस्सा अनुछआ था, जो पिछले दिनों पुराने एलबम को देखने से फिर हरा हो गया। मेरी जिन्दगी में कुछ हरा हो और मैं आपको न बताऊं, ये तो हो ही नहीं सकता। 

कैसी लगी इत्तेफाक की कहानी, जरा अपने कमेंट में जाहिर तो कीजिए। 

(देश मंथन 27 सितंबर 2016)

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