हर दिल जो प्यार करेगा, वो इश्क-क्लिक देखेगा

0
267

संदीप त्रिपाठी :

22 जुलाई को रिलीज होने जा रही फिल्म इश्क-क्लिक के निर्माता सतीश त्रिपाठी का कहना है कि जिस हृदय में प्रेम लेश मात्र भी होगा, उसे इश्क क्लिक जरूर अच्छी लगेगी। उन्होंने कहा कि यह फिल्म एक मासूम मोहब्बत की कहानी है जहाँ कोई गलत नहीं है। इश्क-क्लिक के निर्माता अजय जायसवाल-सतीश त्रिपाठी की जोड़ी के सतीश त्रिपाठी आज देश मंथन के कार्यालय आये और इश्क-क्लिक के बाबत ढेरों बातें कीं।

यूँ मिली कहानी

सतीश त्रिपाठी ने बताया कि फिल्म का प्लॉट एक सच्ची कहानी पर आधारित है। दरअसल हुआ यह कि सतीश-अजय की संगीतकार जोड़ी को किसी मित्र ने घूमने के लिए दार्जिलिंग बुलाया था। वहाँ टूर एजेंसी से इन्हें एक इनोवा उपलब्ध करायी गयी जिससे इन्होंने पूरा इलाका छाना। इस इनोवा के ड्राइवर का नाम मिलन था। दो-तीन का समय था, तो मिलन भी इस संगीतकार जोड़ी से खुल गया। मिलन ने पहाड़ों में रहने वाली लड़कियों के प्रेम की कई कहानियाँ सुनायीं। ऐसी ही एक प्रेम कहानी पर आधारित है इश्क-क्लिक।

मासूम मोहब्बत

इश्क-क्लिक प्रेम त्रिकोण की कहानी है। प्रेमी-प्रेमिका होते हैं और उनमें अलगाव होता है और प्रेमी के जीवन में एक दूसरी लड़की आती है जो बहुत सामान्य नैन-नक्श की है। प्रेमी-प्रेमिका की भूमिका में अध्ययन सुमन और सारा लॉरेन हैं जबकि दूसरी लड़की की भूमिका में दिल्ली की रंगकर्मी संस्कृति जैन हैं। सतीश कहते हैं फिल्म में नायक-नायिका प्रेम करते हैं और अलग भी होते हैं लेकिन इनमें दोषी कोई नहीं है। यह बस एक मासूम मोहब्बत की कहानी है। चूँकि यह कहानी दार्जिलिंग की है, इसलिए फिल्म की शूटिंग भी इसी इलाके में करने का निर्णय किया गया। सतीश कहते हैं कि अध्ययन एक बहुत अच्छे ऐक्टर हैं और सारा ने भी अपना सौ प्रतिशत इस फिल्म में दिया है। निर्देशक अनिल बलूनी ने हर दृश्य पर पूरी मेहनत की है।

एक कसक

फिल्म निर्माण के दौरान कोई कसक रह गयी, यह पूछने पर सतीश त्रिपाठी बताते हैं कि दार्जिंलिंग के पास एक स्थान है कर्शियांग। यहाँ टॉय ट्रेन चलती है। एक स्थान पर जा कर पटरी दो दिशाओं में चली जाती है। एक दृश्य तय हुआ था कि टॉय ट्रेन आयेगी और नायक-नायिका पटरी पर होंगे। ऐसा प्रतीत होगा कि नायक-नायिका टॉय ट्रेन से कटने जा रहे हैं लेकिन टॉय ट्रेन दूसरी दिशा में मुड़ जाती है। सुबह सात बजे की शिफ्ट थी। शॉट पूरा तैयार था लेकिन नायक-नायिका का कहीं पता ही नहीं था। जब तक नायक-नायिका पहुँचे, ट्रेन गुजर चुकी थी। दूसरी टॉय ट्रेन के लिए अगले दिन का इंतजार करना होता। ऐसे में दृश्य रद करना पड़ा।

एक प्रेरक याद

सतीश याद करते हैं कि एक दृश्य था जिसमें हेलीकैम शूट करना था। एक किलोमीटर की हवाई दूरी पर दो पहाड़ थे। शूटिंग टीम और अध्ययन के बीच में एक पहाड़ था। कोई सामान था जो शूटिंग के लिए अध्ययन को दिया जाना था। समय ज्यादा था नहीं, अब वह सामान अध्ययन तक कैसे पहुँचे। सतीश बताते हैं कि वहाँ कुछ पहाड़ी लड़के थे। उनमें से एक ने कहा कि वह पहुँचा देगा। उस पहाड़ी लड़के ने पहाड़, नदी पार करते हुए अध्ययन को सामान पहुँचाया और 15 मिनट में लौट आया। सतीश ने कहा कि यह हमारे बूते की बात नहीं थी लेकिन वहाँ के स्थानीय लोगों ने जो सहयोग किया, वह हमेशा याद रहेगा। उन्होंने कहा कि यह घटना यह भी बताती है कि पहाड़ी लोगों में कितनी क्षमता होती है।

फिल्म क्यों

सतीश-अजय मूलत: संगीतकार हैं, फिर फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कैसे, यह पूछने पर सतीश ने कहा कि बॉलीवुड की फिल्मों में संगीत दिया, भोजपुरी फिल्मों में संगीत दिया, हॉलीवुड की फिल्मों में संगीत दिया, टीवी चैनलों के लिए संगीत दिया, तब सवाल उठा, अब इसके बाद क्या? दार्जिलिंग की घटनाने कहानी दी, ड्राइवर के कहानी सुनाने पर मैंने और अजय जायसवाल ने एक-दूसरे को आँखों ही आँखों में देखा और तय कर लिया कि अब यह फिल्म बनानी है।

दर्शकों से

इश्क क्लिक के दर्शकों से कुछ कहना चाहेंगे, इस पर सतीश त्रिपाठी ने कहा कि प्रेम एक ऐसा जज्बा है जो हर दिल में होता है। इसलिए जो भी इसे देखेगा, उसे पसंद आयेगा। फिल्म में प्रेम कहानी का ट्रीटमेंट प्रेम कहानियों पर बनने वाली अन्य फिल्मों से अलग है। उन्होंने कहा कि फिल्म देखने के दौरान फिल्म के दृश्य आपके हृदय को छूते हैं तो हम स्वयं को सफल मानेंगे।

(देश मंथन 07 जुलाई 2016)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें