प्रकट सिया सुख दईया, जनकपुर में बाजे बधईया…

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

नेपाल का शहर जनकपुर विदेह राजा जनक की नगरी है। यहाँ पर माँ जानकी का विशाल मन्दिर है।

जनकपुर प्राचीन मिथिला राज्य की राजधानी थी। यह वो पवित्र स्थान है जिसका धर्मग्रन्थों, काव्यों एवं रामायण में उत्कृष्ट वर्णन है। धार्मिक ग्रन्थों में उसे स्वर्ग से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। जनकपुर धाम प्राचीन काल से ही हिन्दुओं का आस्था केन्द्र रहा है। यहाँ स्थित जानकी मन्दिर देवी सीता को समर्पित है।

नौलखा मन्दिर 

कहा जाता है कि इस के निर्माण में नौ लाख रुपये खर्च हुए थे। इसलिए इसे नौलखा मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। सीता माता को समर्पित जानकी मन्दिर जनकपुर बाजार के उत्तर पश्चिम में स्थित है।

वर्तमान जानकी मन्दिर का निर्माण टीकमगढ़ की महारानी वृषभानु कुंअरि जी द्वारा 1967 में करवाया गया। मन्दिर दूर से देखने में किसी महल सा लगता है। मन्दिर के मुख्य गर्भ गृह में माता जानकी, राजा रामचन्द्र और लक्ष्मण जी की प्रतिमा है। मन्दिर के गर्भ गृह की फोटोग्राफी वर्जित है। मन्दिर के बाहर विशाल प्राँगण है, जिसमें एक साथ हजारों लोग बैठ सकते हैं। मन्दिर परिसर में सरकार की ओर से सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।

सुन्दर प्रदर्शनी गैलरी 

मन्दिर के अन्दर 2012 में एक सुन्दर गैलरी का निर्माण हुआ है। इसमें राम जी के जन्म से जुड़ी कथा झाँकियों में देखी जा सकती है। झाँकियों के साथ यहाँ मधुबनी पेंटिंग का सुन्दर संकलन है, जिसमें रामकथा के कई प्रसंग है। झाँकी में मन्दिर में माता सीता को किये जाने वाले श्रंगार के सामान में देखे जा सकते हैं। इस गैलरी का प्रवेश टिकट नेपाली रुपये मे 15 रुपये है। 

अखंड सीताराम धुन 

जानकी मन्दिर में पिछले कुछ सालों से अखंड सीताराम धुन जारी है। मन्दिर के बायीं तरफ के बरामदे में एक मन्डली वाद्य यन्त्रों के साथ सीताराम धुन गाती रहती है। 

जनकपुर में होने वाली शादियों में लोग शादी की रात से पहले माता का सीता का आशीर्वाद लेने के लिए दुल्हन को लेकर जानकी मन्दिर आते हैं। मन्दिर में दर्शन के लिए आने वाली महिलाएँ मैथली में सुन्दर धुन में सीता जी की प्रार्थना करती हैं। 

जनकपुर आने वाले हिन्दू श्रद्धालु मिथिला परिक्रमा भी करते हैं, जिसमें सीताजी से जु़ड़े हुये सारे तीर्थ स्थल आते हैं। मन्दिर परिसर में मिथिला परिक्रमा का मार्ग चित्र लगा हुआ है। 

सीता जी का जन्म 

‘प्रकट सिया सुख दईया, जनकपुर में बाजे बधईया… कहा जाता है जनकपुर में ही वैशाख शुक्ल नवमी को माँ जानकी का अवतार हुआ था। इस मौके पर जानकी नवमी के रूप में मनाया जाता है। जनकपुर का दूसरा प्रमुख त्योहार विवाह पंचमी का है। इसी दिन सीता जी का रामचन्द्र जी से विवाह हुआ था। तब जनकपुर का ये मन्दिर खूब सजाया जाता है।

वैसे सीतामढ़ी शहर में एक जानकी मन्दिर है। शहर के पास ही पुनौरा गाँव में एक जानकी मन्दिर है। कई लोग इसे वही जगह मानते हैं, जहाँ राजा जनक ने खेत में सोने का हल चलाया था और सीता माता प्रकट हुई थीं।

धनुष धाम 

कहते हैं राजा जनक के दरबार में जब रामचन्द्र जी ने शिव का धनुष तोड़ा तो उसके तीन टुकड़े हुए थे। एक टुकडा जनकपुर से 40 किलोमीटर दूर धनुषधाम में जाकर गिरा था। वहाँ एक बड़ी पहाड़ी सी संरचना है जिसे लोग धनुष का एक टुकड़ा बताते हैं। 

कैसे पहुँचे 

बिहार के सीतामढ़ी से करीब 42 किलोमीटर उत्तर और नेपाल की तराई में स्थित जनकपुर है। वैसे तो जनकपुर नेपाल में है पर यहाँ पहुँचने का सुगम रास्ता बिहार के सीतामढ़ी शहर से है। सीतामढ़ी तक आप रेलगाड़ी से पहुँच सकते हैं। वहाँ से बस से नेपाल का सीमांत बाजार भिट्ठामोड। भिट्ठामोड ने नेपाल रोडवेज की बसों से जनकपुर पहुँचा जा सकता है। सीतामढ़ी से दिन भर में जनकपुर घूम कर लौटा जा सकता है। जनकपुर ने नेपाल की राजधानी काठमांडू का बस का सफर 10 घंटे का है। 

रहना खाना 

जनकपुर में रहने के लिए कुछ धर्मशालाएँ और होटल उपलब्ध हैं। मन्दिर के आसपास शाकाहारी होटल हैं। यहाँ भारतीय रुपये चलते हैं। आप 50 रुपये से 500 रुपये में यहाँ ठहर सकते हैं। अच्छा शाकाहारी खाना और बेहतरीन मिठाइयों का स्वाद भी जनकपुर में लिया जा सकता है। 

(देश मंथन, 17 जून 2015)

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