संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरी समझ में आज तक ये बात नहीं आयी कि क्यों मेरी कुछ पोस्ट को तीन हजार लाइक मिलते हैं, और कुछ पोस्ट को सिर्फ पाँच सौ लाइक।
किसी से भी अगर मैं यह सवाल पूछूँगा तो मुझे यही जवाब मिलेगा कि जो पोस्ट लोगों को अच्छी लगती है, उसे ज्यादा लाइक मिलते हैं। इसका मतलब तो यही हुआ कि लोग पूरी पोस्ट पढ़ते हैं और फिर तय करते हैं कि लाइक बटन दबाएँ या नहीं।
मतलब ये कि किसी पोस्ट पर लाइक बटन का दबना इस बात का पैमाना है कि इतने लोगों को ये वाकई पसंद आयी। मुमकिन है, ढेरों लोगों ने पोस्ट पढ़ी हो, पर लाइक बटन अच्छा लगने का स्केल है।
आप में से कुछ लोग बिना पढ़े भी पोस्ट को लाइक कर देते हैं। कुछ लोग पहले लाइक बटन दबाते हैं, फिर पोस्ट पढ़ते हैं। कुछ लोग नियमित रूप से पढ़ते हैं, कुछ लोग नियमित रूप से अपनी प्रतिक्रिया भी देते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि मैं आज लाइक, कमेंट, पोस्ट इन सब पर क्यों लिख रहा हूँ।
दरअसल कल मैंने एक पोस्ट लिखी थी कि जब हम लंबी विमान यात्रा करते हैं, तो हमें जेट लैग हो जाता है। मैंने लिखा था कि जेट लैग एक शारीरिक प्रक्रिया है। जैसे जब हम हिंदुस्तान से अमेरिका जाते हैं, तो यहाँ और वहाँ में दिन और रात का जो फर्क होता है, उसे पहचानने में शरीर को मशक्कत करनी पड़ती है। शरीर तय नहीं कर पाता कि ये सोने और जागने का क्रम अचानक उल्टा क्यों हो गया।
इसी कड़ी में मैंने ये भी लिखा था कि लंबी उड़ान की वज़ह से जेट लैग तो होता है लेकिन कई बार बिना किसी उड़ान के ही मन का जेट लैग भी होता है। मैंने अपनी तरफ से परिभाषित करने की कोशिश की थी कि मन का जेट लैग उस परिस्थिति को कहते हैं, जब शरीर कहीं होता है, मन कहीं और। अक्सर ऐसा प्यार में पड़े लोगों के साथ होता है।
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मैं तो पोस्ट लिख कर दफ्तर चला गया।
पोस्ट पर आपके लाइक बटन दबने लगे। आपकी प्रतिक्रियाएँ भी आने लगीं। मैं आपकी एक-एक प्रतिक्रिया को गंभीरता से पढ़ता हूँ। पर कल पहली बार मुझे इन बॉक्स में सबसे अधिक संदेश प्राप्त हुए। और दिलचस्प तथ्य ये कि सबने यही कहा कि मैंने जेट लैग की जो बात लिखी है, वो मैंने उनकी ही कहानी लिखी है।
मतलब इतने सारे लोग प्रेम में डूबे हैं? इतने सारे लोग मन के जेट लैग का शिकार हैं? इतने सारे लोग इतनी साहस से इस सच को स्वीकार करते हैं? इतने सारे लोगों को मुझ पर इतना भरोसा है कि वो अपने उस जेट लैग के सच को, जिसे वो कई वर्षों से अपने सीने में छुपाए हैं, मुझसे साझा कर लेते हैं?
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बहुत से लोगों ने ये स्वीकार किया है कि उनके मन में भी वर्षों से जेट लैग है। कई लोगों ने बहुत गंभीरता से स्वीकार किया कि उन्हें पहली बार अहसास हुआ कि वो कौन सी चीज है जिसे वो समझ नहीं पा रहे थे, पर वो दुविधा में जिन्दगी जीते चले जा रहे हैं। वो कौन सी बात थी, जो कहीं अटकी हुई थी, और वो जिन्दगी का लुत्फ नहीं उठा पा रहे थे। कुछ लोगों ने तो ये भी लिखा कि ये मन का जेट लैग ही है, जो उनके जीने का सहारा है।
मतलब वो वर्तमान में नहीं जी रहे। वो एक पुरानी याद या एक काल्पनिक संसार में जी रहे हैं।
कुछ लोगों ने मुझसे ये तक पूछा है कि क्या मन के एक कोने में किसी के लिए प्रेम जिन्दा रह जाए तो ये गुनाह है?
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अब तक मैं आप लोगों के सवालों के जवाब ही देता आया हूँ। आज मैं आपसे पूछ रहा हूँ कि प्रेम क्या है?
मैं जानता हूँ कि आप में से ढेरों लोग इसे एक अहसास बता देंगे।
पर मैं अपनी आदत वश कह दूँगा कि नहीं। प्रेम सिर्फ अहसास भर नहीं।
फिर क्या है प्रेम? क्यों हम प्रेम को सीने में छिपाए जीते चले जाते हैं?
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प्रेम एक विश्वास है। प्रेम एक भरोसा है।
जब आप मेरी पोस्ट को बिना पढ़े ही लाइक करते हैं, तो आप मुझसे अपना स्नेह जताते हैं। जब आप पढ़ कर उस पर प्रतिक्रिया जताते हैं, तो आप अपने मन को मुझसे साझा करते हैं। और जब आप मुझ पर इतना भरोसा करते हैं कि दिल का कोई कोना खोल कर रख देते हैं, तो आप प्रेम करते हैं।
यही है प्रेम। जिससे आप अपनी प्रेम कहानी साझा कर बैठते हैं, उससे ही आप प्रेम करते हैं। प्रेम सिर्फ असहास नहीं, प्रेम भरोसा है, प्रेम विश्वास है।
मैं अपनी माँ से बेइंतहा प्रेम करता हूँ, उनकी मृत्यु के 36 साल बाद भी। आज भी घर से निकलने से पहले माँ की तस्वीर को स्पर्श करके ही निकलता हूँ। जब भी घर से निकलता हूँ, इस भरोसे के साथ निकलता हूँ कि एक शक्ति मेरी रक्षा के लिए मेरे साथ है। यही भरोसा प्रेम है। ये भरोसा किसी के लिए हो सकता है।
मैंने आपसे गुजारिश की थी कि आप मन के जेट लैग से बाहर निकलिए। मन का जेट लैग दुखदायी होता है। सिर्फ यादों में प्रेम का होना दुखदायी है। अगर आप उसे जीते भी हैं, अगर आपने उसे अपनी शक्ति में तब्दील कर लिया है, फिर वो जेट लैग नहीं, वो आपकी ताकत है। अपने प्रेम को अपनी ताकत में तब्दील कीजिए। उसे जिन्दगी के भरोसे में तब्दील कीजिए।
याद रखिए, जिन्दगी सिर्फ लाइक बटन नहीं। जिन्दगी सिर्फ कमेंट भी नहीं। जिन्दगी नाम है विश्वास का।
जब आप किसी पर भरोसा करने लगते हैं, जब कोई आप पर भरोसा करने लगता है, तभी जिन्दगी की गाड़ी सही ढंग से सही राह पर चलती है। तभी आप प्रेम कर पाते हैं, तभी अपने प्रेम को जी पाते हैं।
(देश मंथन 29 जनवरी 2016)