केवलादेव – चलो परिंदों की जुबाँ समझें

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

अगर आप प्रकृति और पशु पक्षियों से प्रेम करते हैं तो आपके लिए घूमने के लिए केवलादेव नेशनल पार्क शानदार जगह हो सकती है। राजस्थान के भरतपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित इस पार्क को घाना पक्षी उद्यान भी कहते हैं। घाना इसलिए कि कभी यहाँ घने जंगल हुआ करते थे।

केवलादेव को संयुक्त राष्ट्र विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला हुआ है। पक्षी उद्यान 27 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। कभी यहाँ घना जंगल हुआ करता था। 1964 में यहाँ शिकार पर रोक लगी। 1982 में इसे राष्ट्रीय पक्षी उद्यान का दर्जा मिला। 1985 में यह विश्व धरोहर की सूची में शामिल हुआ। आजकल यहाँ 200 प्रजाति के पक्षी देखे जा सकते हैं।

इससे पहले यह कई सदी का राजाओं की शिकारगाह हुआ करती थी। भरतपुर के महाराजा ही नहीं बल्कि उनके आमंत्रण पर आसपास के कई राजा ब्रिटिश अधिकारी यहाँ शिकार करने आते थे। गवर्नर जनरल लार्ड कर्जन समेत कई गवर्नर भी यहाँ शिकार कर चुके हैं। पार्क के अंदर सभी शिकार करने वालों की सूची लगाई गयी है। कर्जन ने 1902 में और 1907 में यहाँ शिकार किया था। पर 1964 से यहाँ शिकार बंद हो गया। इस पूरे क्षेत्र को पक्षियों के लिए संरक्षित कर दिया गया। इसमें भरतपुर के राज परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण रही। इस पार्क का नाम पार्क के बीचों-बीच स्थित भगवान शिव के मन्दिर केवलादेव के नाम पर है।

पिछले चार साल केवलादेव में पानी की कमी थी। पर अब यहाँ गोवर्धन से पानी लिया गया है। पार्क एक बार फिर पक्षियों से गुलजार है। अगर आप केवलादेव घूमने जाना चाहते हैं तो इसके लिए अगस्त से मार्च तक का महीना बेहतर है। नवंबर से फरवरी तक का महीना सबसे बेहतर है।

प्रवेश टिकट 

पार्क में प्रवेश टिकट 75 रुपये का है। यह दर भारतीय व्यस्क के लिए है। बच्चों के लिए दर कम है। विदेशियों के लिए और भी ज्यादा है। पार्क सुबह 6 बजे से शाम को अन्धेरा होने तक खुला रहता है। पार्क के बाहर बस, कार और बाइक के लिए पार्किंग उपलब्ध है। प्रवेश टिकट घर के पास से आप पक्षियों पर पुस्तकें पार्क की स्मृति में बनी टोपियाँ, टी शर्ट, जैकेट आदि भी खरीद सकते हैं। ये सब वाजिब दाम पर हैं। इस उद्यान का प्रबंधन राजस्थान सरकार का वन विभाग करता है।  

कैसे घूमें 

पार्क घूमाने के लिए साइकिल रिक्शा उपलब्ध है। कुल 140 रिक्शा वाले हैं। उनकी दरें 100 रुपये प्रतिघंटा है। कम से कम 4 घंटे का समय तो रखे हीं। रिक्शा वाले आपको दूरबीन भी देते हैं। बिना दूरबीन के पक्षी बेहतर तरीके से नहीं देख सकते। दो घोड़ा-गाड़ी और कुछ बैटरी रिक्शा भी पार्क में चलते हैं। आप 40 रुपये में साइकिल भी किराये पर ले सकते हैं। 

कैसे पहुँचे 

केवलादेव नेशनल पार्क भरतपुर में आगरा हाईवे पर स्थित है। दिल्ली से तकरीबन 180 किलोमीटर की दूरी पर है भरतपुर। मथुरा और आगरा से इसकी दूरी 55 किलोमीटर है। अगर अपनी गाड़ी से हैं और आप आगरा में हैं तो फतेहपुर सीकरी घूमने के बाद भरतपुर जा सकते हैं। फतेहपुर सीकरी से भरतपुर की दूरी महज 22 किलोमीटर है।

आप अपना टूर प्लान मथुरा वृंदावन, आगरा और भरतपुर का बना सकते हैं। दिल्ली से आप भरतपुर ट्रेन या बस से जा सकते हैं। रास्ता 4 घंटे का है। बस से जाना हो तो मेट्रो रेल से फरीदाबाद के एस्कार्ट मुजेसर मेट्रो तक जाएँ वहाँ से आगरा जाने वाली बस लें। मथुरा में भरतपुर बाईपास पर उतर कर भरतपुर की बस ले लें। आप भरतपुर के साथ डीग महल, गोवर्धन आदि का भी कार्यक्रम बना सकते हैं।

(देश मंथन, 08 सितंबर 2015)

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