गुरुद्वारा – किला आनंदगढ़ साहिब

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

आनंदपुर साहिब में रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने के बाद सबसे पहले किला आनंद गढ़ साहिब में पहुँचा जा सकता है। यह किला आनंदपुर साहिब शहर के बीच में स्थित है। दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी ने इलाके में पाँच किलों की स्थापना की थी, आनंद गढ़ साहिब उनमें से एक है। यह मुख्य गुरुद्वारा केशगढ़ साहिब से 800 मीटर की दूरी पर स्थित है। गुरु गोबिंद सिंह जी को 1689 से 1705 के बीच मुगलों और पहाड़ के राजाओं से कई युद्ध लड़ने पड़े थे।

गुरुद्वरा किला आनंदगढ़ साहिब के अंदर बाउली साहिब को देखा जा सकता है। यह गुरु गोबिंद सिंह जी के समय की है। किला आनंदगढ़ साहिब को बाद में भव्य रूप प्रदान किया गया है। गुरु गोबिंद सिंह ने इसी किले में अपने जीवन के 25 साल गुजारे थे।

पाँच किलों का निर्माण

केशगढ़, आनंदगढ़, लोहगढ़, होलगढ़ और फतेहगढ़, इन पाँच किलों की स्थापना गुरु साहिब ने की थी। इनमें केशगढ़ साहिब अब तख्त बन चुका है। इन पाँचों किलों को आपस में जमीन के अंदर बनी सुरंगों से जोड़ा गया था। इन किलों का निर्माण 1689 में शुरू हुआ और इसके निर्माण में दस साल लगे थे। वर्तमान में आनंदगढ़ साहिब को भव्य रुप प्रदान करने का श्रेय संत सेवा सिंह को जाता है। यह काम 1970 में आरंभ हुआ था। इससे पहले 1930 में संत करतार सिंह ने किला नुमा भवन का निर्माण यहाँ कराया था, जिसे अभी भी देखा जा सकता है।

मुख्य भवन के बगल में यहाँ सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर जाने पर विशाल गुरुद्वारा का निर्माण कराया गया है। इसका हॉल 15 वर्ग मीटर का है। इसके साथ ही परिसर में गुरु का लंगर और श्रद्धालुओं के रहने के लिए 300 कमरों का भी निर्माण कराया गया है। आनंदपुर साहिब में होला महल्ला के समय पूरे शहर की रौनक देखने लायक होती है।

किला आनंदगढ़ में होला महला

वास्तव में 17वीं शताब्दी में गुरु की लाडली फौज की  सथापना की  गयी। इसके साथ ही निहेंग सिंघो की फौज भी तैयार की गयी थी। इसमें दो दल बनाये गये थे। इसमें वस्त्रों का रंग सफेद और पीला रखा गया। एक तरफ तो सफेद वस्त्रों वाली फौज और दूसरी तरफ पीले वस्त्रों की फौज होती थी। 

इसमें एक का नाम होला रखा गया तो दूसरे का नाम महला। इसे बनावटी हल्ला भी कहते हैं। यह बहादुरी दिखाने और रियाज कायम रखने के लिए एक युद्धाभ्यास है। ये फौज किला आनंदगढ़ से ले कर लोहगढ़ के स्थान पर पहुँच कर आपस में मुकाबला करती थी। ये रिवायत आज भी उसी प्रकार जारी है। इसे आप होली के बाद आनंदपुर साहिब में पहुँचने पर देख सकते हैं।

लाइट एंड साउंड शो

आनंदपुर साहिब का इतिहास दिखाने के लिए किला आनंदगढ़ साहिब में नियमित तौर पर लाइट एंड साउंड शो खा बी आयोजन किया जाता है। यह शो शाम को गरमी में 8 बजे से नौ बजे के बीच होता है। वहीं सरदी के दिनों में शाम 6.30 बजे आरंभ होता है। शो की भाषा पंजाबी है। अंगरेजी भी माँग पर शो दिखाया जाता है।

किला आनंदगढ़ साहिब से केशगढ़ साहिब तक के मार्ग में चौड़ी सड़क के दोनों तरफ बाजार हैं जहाँ आप सिख धर्म से जुड़े प्रतीक खरीद सकते हैं। शहर का बस स्टैंड और बाजार केशगढ़ साहिब गुरुद्वारा के नीचे स्थित है। यहाँ से आप पंजाब हिमाचल के विभिन्न ठिकानों के लिए बसें ले सकते हैं।

(देश मंथन 18 फरवरी 2016)

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