प्रेम की एक ही भाषा

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संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

कोई इटली जाए और संसार की सबसे दर्द भरी प्रेम कहानी की आहट न सुन सके तो यह उसकी किस्मत का दोष है। 

बहुत बड़ी विडंबना है। प्रेम और दर्द? 

कृष्ण वृंदावन छोड़ कर मथुरा की ओर चल पड़े थे। राधा बिलख रही थीं।

“मत जाओ, कान्हा। मैं तुम्हारे बिना जी न सकूँगी।”

“मैं भी तुम्हारे बिना कौन सा जी सकूँगा राधे! लेकिन प्रेम तो संपूर्ण हो ही नहीं सकता अगर उसमें जुदाई न हो।”

“कान्हा, बातें न बनाओ। तुम जानते हो कि एक तुम ही मेरे सहारा हो, तुम नहीं तो कुछ भी नहीं।”

“राधे! जो प्रेम में होते हैं, उनके लिए जीने का दूसरा सहारा होता भी नहीं। जिनके पास जीवन का विकल्प हो, वो प्रेम नहीं कर सकते।” 

“इसका मतलब मैं अब न रहूँगी इस संसार में!”

“मैं भी कौन सा रहूँगा इस संसार में। ये तो चंद तारीखें होंगी हमारे और तुम्हारे बीच। फिर हम दोनों होंगे, बस हम दोनों। दो का एक होना जाना ही संपूर्ण होना होता है।”

“और जब तक हम एक नहीं होते, तब तक?”

“तब तक साँस चलेगी, पर हर साँस तुम्हारी होगी।”

“क्या हमारे बाद भी कोई प्रेम करेगा? क्या हर प्रेम कहानी शापित रहेगी?” 

“हाँ, प्रेम हर युग में होगा। पर उसका अधूरापन ही उसका पूरा होना होगा।”

***

कहाँ इटली, कहाँ वृंदावन? 

उत्तरी इटली का एक बेहद खूबसूरत शहर, वेरोना। 

आपने जरूर वेरोना का नाम सुना होगा। पानी पर बसे शहर वेनिस के बहुत पास है वेरोना। जो इटली घूमने आते हैं, उनके लिए वेरोना आना किसी सपने के पूरा होने से कम नहीं। संसार का एक अति प्राचीन शहर। एक ऐसा शहर जिसे संसार की धरोहर मान लिया गया है। इस शहर में सैकड़ों चीजें हैं, जिन्हें आप देख सकते हैं। पर शायद ही किसी को वेरोना नाम से मुहब्बत की बहुत पुरानी कहानी याद आती हो। संजय सिन्हा को आती है। 

वेरोना के एक अमीर की बेटी की मुहब्बत की कहानी। 

मैं आज आपको अपने साथ वेरोना ले चलूँगा। वेरोना की उस बेहद खूबसूरत लड़की से आपको मिलवाऊँगा, जिसे आपने अब तक सिर्फ एक काल्पनिक पात्र भर माना है, उसे मैं इतिहास का एक सच साबित कर दूँगा। मैं बता दूँगा कि मेरी आज की कहानी की नायिका अगर हकीकत में न होती, तो संसार का कोई भी लेखक, चाहे उसकी कल्पना कितनी भी उड़ान भर ले, इस पात्र तक नहीं पहुँचता। 

विलियम शेक्सपीयर तो बिल्कुल नहीं। 

मेरी आज की नायिका की उम्र ज्यादा नहीं है। वो सिर्फ 14 साल की है, पर है बला की खूबसूरत। बेहद जहीन, संजीदा और परिपक्व। 

एक दिन उसका नायक रोमियो उसे मिलता है और वह उसे दिल दे बैठती है। 

अब आपको अपनी नायिका से परिचय कराने की मुझे दरकार नहीं। आप समझ गए हैं कि मैं आपको मिलवा रहा हूँ, जूलिएट से। स्कूल-कॉलेज में न जाने कितनी बार आपने रोमियो-जूलिएट ड्रामा पढ़ा होगा। खेला होगा। देखा होगा। महसूस किया होगा। 

पर आज मैं आपको सचमुच की जूलिएट से मिलवा रहा हूँ। 

इटली के वेरोना शहर में मौजूद लाखों कब्रों में से एक कब्र जूलिएट की भी है। 

उसी जूलिएट की, जिसने अपने प्रेम को पाने के लिए मरने का अभिनय किया था और फिर उसके प्रेमी रोमियो को जैसे ही पता चला कि उसकी माशूका ने उसके लिए जान दे दी है, तो उसने भी अपनी जान दे दी। यह अलग बात है कि जूलिएट ने रोमियो को पाने के लिए सिर्फ अभिनय भर किया था। पर रोमियो की मौत के बाद उसके लिए जीने का अर्थ खत्म हो गया और उसने सचमुच अपनी जान दे दी। 

यह मुहब्बत के इतिहास में दर्ज अब तक की सबसे दर्दनाक प्रेम कहानी है। 

***

मैंने आजतक नहीं सुना कि कोई वेरोना तक सिर्फ जूलिएट की कब्र देखने गया हो। मैंने आजतक नहीं सुना था कि कोई उस बॉलकनी तक भी गया, जिसके बाहर कभी जूलिएट अपने रोमियो की बाट जोहती थी। अमीर पिता की जिद और युद्ध में फँसी महत्वाकांक्षा के बीच किसी को फुर्सत ही कहाँ थी जूलिएट के सीने में धड़कते दिल को महसूस करने की। 

पर वहाँ मैंने जिस जूलिएट के दिल की धड़कन को महसूस किया, उसे तो दुनिया भर के हजारों प्रेमी आज भी महसूस करते हैं। आप हैरान होंगे, लेकिन सच यही है कि जूलिएट का घर आज भी वेरोना में मौजूद है। वह आज सिर्फ घर नहीं, मुहब्बत करने वालों का मन्दिर है। दुनिया भर से लाखों लोग रोज उस पते पर अपनी मुहब्बत की दास्ताँ लिख भेजते हैं। तमाम प्रेमी वहाँ अपने प्रेम की कहानी जूलिए के घर पर चिपका कर आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो जूलिएट के नाम खत लिख कर वहाँ पहुँचा पाता है, उसकी मुहब्बत की कहानी पूरी होती है। लोग जूलिएट की कब्र को छूकर अपनी मुहब्बत पूरी होने की मुराद माँगते हैं। 

***

महाभारत का युद्ध खत्म हो चुका था। कन्हैया हस्तिनापुर से द्वारिका लौट रहे थे। रास्ते में उत्तंग मुनि मिले। उन्होंने कान्हा से पूछा कि हस्तीनापुर में सब शान्ति तो है न! कृष्ण समझ गये कि मुनि को भयंकर प्रलयकारी युद्ध के विषय में कुछ नहीं पता। बहुत धीरे से कृष्ण ने कहा कि मुनि सब खत्म हो गया। 

“सब खत्म हो गया? क्या तुम भी युद्ध में भागीदार थे? तुम जरूर रहे होगे। मैं तुम्हें शापित करुँगा।”

“शाप? क्या मेरा जीवन शापित नहीं?”

कालचक्र उल्टा घूम चला था। रास्ते में खूब तेज बारिश हुई। कृष्ण एक वृक्ष के नीचे सो रहे थे। 

अचानक सपने में राधा मिली। 

“कान्हा, कालचक्र विपरीत घूम रहा है। अब तुम मुझे फिर नहीं मिलोगे। अब मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगी। चाहे तुम्हें अपना तन छोड़ना पड़े,” इतना कहते हुए वो यमुना में कूद गयी।

***

वियोग के पल में ममता और समवेत होकर घनीभूत हो जाती है। रोमियो मृत पड़ा था। सामने ही जूलिएट का शव पड़ा था। दो मुहब्बत करने वाले जुदा होकर एक हो गए थे। 

कितने कमाल की बात है। दुनिया भर में राधा-कृष्ण प्रेम के देवी-देवता माने जाते हैं। जिनका प्रेम खुद अधूरा रहा, वो प्रेम के भगवान बन गये। 

वेरोना में रोमियो और जूलिएट भी प्रेम के भगवान हैं। दुनिया भर की किशोरियाँ अपनी अधूरी प्रेम कहानी पूर्ण करने के लिए जुलिएट की बॉलकनी पर हाल ए दिल चिपका देती हैं। उसे चिट्ठियाँ लिखती हैं। 

मैंने कहा था न कि आप सोचेंगे, कहाँ इटली में वेरोना और कहाँ भारत में वृंदावन।

पर इतना तो आप भी जानते ही हैं कि प्रेम की भाषा पूरी दुनिया में एक होती है।  

(देश मंथन, 18 अगस्त 2015)

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