संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
संजय जी, मेरी जिन्दगी में प्रेम नहीं है।”
कल मेरा इनबॉक्स इस एक वाक्य से भर गया। कुछ लोगों ने तो सीधे-सीधे मेरी वाल पर ही अपनी कहानी लिख दी, कुछ लोगों ने अपने दोस्तों की कहानी लिखी कि उसके दोस्त को फलाँ से प्यार है, पर उसकी शादी हो चुकी है, उसके बच्चे हैं, अब वो क्या करे?
अगर मैं एक-एक के सवाल का जवाब देने बैठ गया तो, मेरी आज की पोस्ट ‘पाठकों की समस्याएँ’ नामक कॉलम बन कर रह जाएगी।
इसलिए मैं एक बार में सभी के सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहा हूँ। मैं उन सभी लोगों की दुविधा दूर करना चाहता हूँ, जो मुझसे कह रहे हैं कि उनकी जिन्दगी में प्यार नहीं है। और अगर प्यार है, तो सच्चा प्यार नहीं है।
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आप सभी लोग कहते तो हैं कि आपकी जिन्दगी में प्रेम नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि आपको प्रेम की दरकार भी नहीं। आपको प्रेम की दरकार होती, तो आप प्रेम पा भी लेते। हकीकत यही है कि जिसे प्रेम की दरकार है, वो उसे पा ही लेता है। पर इसका असली स्वाद उसे ही मिलता है, जो दिल से इसे पाना चाहता है। हम में से बहुत से लोग जिन्दगी में शिद्दत से कुछ नहीं चाहते, इसीलिए हम में से बहुत से लोग कुछ पाते भी नहीं। फिर जो मिला होता है, धीरे-धीरे उसी को हम अपना मुकद्दर मानना शुरू कर देते हैं और उसी को जीने लगते हैं।
मेरा यकीन कीजिए, प्रेम जिन्दगी का सबसे अनमोल उपहार है।
फिर प्रेम सबको क्यों नहीं हासिल होता?
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एक बार गौतम बुद्ध से एक व्यक्ति मिलने आया और उसने उनसे कहा कि आप कहते हैं कि हर व्यक्ति मोक्ष पा सकता है। फिर हर व्यक्ति मोक्ष क्यों क्यों नहीं पा लेता?
बुद्ध ने कहा कि तुम शाम को गाँव में जाना और हर व्यक्ति से मिलना। तुम हर व्यक्ति से मिल कर पूछना कि तुम्हारी इच्छा क्या है? तुम एक-एक आदमी से उसकी चाहत की सूची बना कर आना। फिर मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दूंगा।
व्यक्ति शाम को गाँव में गया। एक-एक आदमी से मिला। वो सबके नाम लिखता, उनकी चाहत पूछता।
शाम को कई पन्नों में लोगों के नाम और उनकी चाहतों को लिख कर वो बुद्ध के पास पहुँचा। बुद्ध ने कहा कि तुम इसमें पढ़ कर मुझे बताओ कि किस व्यक्ति ने मोक्ष की तमन्ना जतायी है?
आदमी पूरी लिस्ट पढ़ने लगा। एक भी आदमी ने अपनी चाहत में मोक्ष पाने की बात नहीं कही थी। किसी ने भी नहीं।
बुद्ध ने आदमी से कहा कि मैं यह कहता हूँ कि हर व्यक्ति मोक्ष पा सकता है। पर मैंने यह कभी नहीं कहा कि हर व्यक्ति मोक्ष पाना चाहता है। जो पाना चाहेगा, उसे कौन रोक सकता है?
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मुझे लगता है कि इतनी छोटी सी कहानी में आप सभी को अपने सवालों का जवाब मिल चुका होगा।
यही सच है कि आप कहते तो हैं कि आपकी जिन्दगी में प्रेम नहीं। पर आप प्रेम चाहते नहीं। चाहते होते, तो भला आपको कौन रोक पाता? याद रखिएगा, प्रेम उन्हीं को हासिल होता है, जो देना जानते हैं। जो लेने को व्याकुल रहते हैं, उन्हें प्रेम हासिल नहीं हो सकता।
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आज ज्यादा लिखने की जरूरत नहीं। मुझे पता है कि आज मैंने कम शब्दों में अपनी बात आप तक पहुँचा दी है। आज आप चाहें तो अपनी चाहतों की लिस्ट बना लें और ईमानदारी से उसमें लिख दें कि प्रेम का नंबर कहाँ है? जब आप सूची बनाएंगे तो आपको उस सवाल का जवाब मिल जाएगा, जिसे आपने मुझसे मेरे इनबॉक्स में पूछा है।
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तीन साल पहले मेरा छोटा भाई, सलिल 2 अप्रैल को अचानक इस संसार से चला गया था। फेसबुक पर मैं अपने भाई की तलाश में आया था। ये मेरी चाहत की शिद्दत का कमाल है कि आपके रूप में वो मुझे मिल गया। मुझे कितने लोग सुबह-सुबह भैया कहते हैं, ठीक वैसे ही, जैसे वो कहा करता था।
आज उसका हैप्पी बर्थ डे है। मैं सुबह-सुबह उसे हर बार फोन करता था और कहता था, हैप्पी बर्थ डे भाई।
मन के इंटरनेट से मैं आज फिर कह रहा हूँ, हैप्पी बर्थ डे भाई।
बुद्ध ने कहा था कि हर आदमी मोक्ष पा सकता है। मैं कहता हूँ कि आदमी जो चाहे, वो पा सकता है। उसकी चाहत में वो शिद्दत होनी चाहिए।
(देश मंथन, 16 अप्रैल 2016)