विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मैया मोरी मैंने ही माखन खायो। बार-बार यशोदा के पूछने पर आखिर कान्हा को मानना ही पड़ा था कि माखन उन्होंने ही खाया। लेकिन आखिर कान्हा का माखन कितना बड़ा था। इसका जवाब मिलता है महाबलीपुरम में आकर। महाबलीपुरम के बस स्टैंड के पीछे की तरफ पहाड़ियों पर एक गोल सा पत्थर दिखायी देता है।
ये पत्थर पहाड़ पर कैसे टिका हुआ है उसे देख कर अचरज होता है। दूर से देख कर लगता है कि यह कभी भी लुढक जाएगा। पर यह अपनी जगह पर मजबूती से टिका हुआ है। इसे नाम दिया गया है कृष्णा बटर बॉल। यानी कान्हा का माखन। इसे देख मेरे बेटे अनादि पूछ बैठते हैं क्या कान्हा जी इतना बड़ा माखन खाते थे। कहा जाता है कि राजा के कई हाथी मिल कर भी इस बटर बॉल को अपनी जगह से एक इंच भी इधर से उधर नहीं कर सके।
अर्जुन तप स्थली
महाबलीपुरम के बस स्टैंड के ठीक पीछे की गुफाओं को अर्जुन तप के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर चट्टानों से बनी अर्जुन की तपस्या करती हुई मूर्ति है। यहाँ पर पत्थरों पर उकेरी गई नक्काशी के जरिए भगवान शिव से जुड़ी गंगा के अवतरण की घटना को भी दर्शया गया है। लेकिन इन सब के बीच सबसे सुंदर है गाय का दूध निकालती हुई मूर्ति।
इन मूर्तियों को आप घंटों निहारते रह सकते हैं, लेकिन आपका मन नहीं भरता। यहाँ कुल 100 से ज्यादा मूर्तियाँ गुफाओं को तराश कर बनी हैं। मूर्तियों की ज्यादातर कथाएँ महाभारत काल की हैं। राजा भागीरथ के गंगा अवतरण का दृश्य भी यहाँ पत्थरों पर उकेरा गया है।
पंचरथ
महाबलीपुरम आने वाले सैलानी पंच रथ को जरूर देखने जाते हैं। यह बस स्टैंड से एक किलोमीटर की दूरी पर है। ये रथ पहाड़ी की चट्टानों को काट कर बनाया गये हैं। शिल्पियों ने चट्टान को भीतर और बाहर से काट कर पहाड़ से अलग कर दिया है, ये प्रसिद्ध रथ शहर के दक्षिणी सिरे पर है। पंच पांडवों के नाम पर इन रथों को पांडव रथ कहा जाता है। इन पाँच रथों में से चार रथों को एकल चट्टान पर उकेरा गया है, जबकि द्रौपदी और अर्जुन रथ चौकोर है। इन सबके बीच धर्मराज युधिष्ठिर का रथ सबसे ऊँचा है।
महिषासुर मर्दिनी गुफाएँ
अर्जुन तप से एक किलोमीटर की दूरी पर पंच रथ स्थित है, लेकिन इसके रास्ते में महिषासुर मर्दिनी गुफाएँ पड़ती हैं। इन गुफाओं में दुर्गा की महिषासुर को वध करते हुए प्रतिमा बनी है। इसके अलावा यहाँ गुफाओं में कई और प्रतिमाएँ हैं। इन गुफाओं की ओर जाते हुए आप गर्मी में छाछ पीने और फल खाने का आनंद ले सकते हैं।
सी सेल म्युजियम
आजकल पंच रथ के पास ही सी सेल म्जुयिम बन गया है। लोग इसे भी देखने जाते हैं। इसका टिकट 100 रुपये प्रति व्यक्ति है। यहाँ जलीय जीवन की अच्छी जानकारी मिलती है। यह एक निजी संग्रहालय है, पर देखने योग्य है। यहाँ आप मोतियों के विकास की वैज्ञानिक कहानी जान सकते हैं। यहाँ सबसे छोटा और सबसे बड़ा सेल देखा जा सकता है।
(देश मंथन, 23 दिसंबर 2015)