देश के सात अजूबों में एक समुद्र तटीय मंदिर

0
215

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

समुद्र तटीय मंदिर तमिलनाडु के महाबलीपुरम  का सबसे खास आकर्षण है। इसे देश के सात अजूबों में गिना जाता है। साथ ही यूनेस्को द्वारा विश्वदाय स्मारकों की सूची में भी 1984 से ही शामिल है। समुद्र तटीय मंदिर को दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। यह आठवीं शताब्दी में निर्मित है और वास्तुकला की दृष्टि से भी अद्भुत है। वास्तव में ये स्थान पल्लव नरेशों की शिल्प साधना का अमर स्मारक है। यहाँ समुद्र तट पर द्रविड़ वास्तुकला के आधार पर तीन मंदिर बनाये गये हैं। केंद्र में भगवान विष्णु का मंदिर है, जबकि उसके दोनों ओर शिव मंदिर हैं।

दो सौ साल पहले तक समुद्र तटीय मंदिर अनजाना था। पिछली शताब्दीप में लगातार रेत हटने से समुद्र तटीय मंदिर के आस-पास की जमीन में दबी अनेक संरचनाएं सामने आयीं। इन सब में आरंभिक पल्ल।व काल की सीढ़ीदार संरचना सबसे अनूठी है, जो लगभग 200  मीटर लंबी है। इस विशाल इमारत का ठीक-ठीक प्रयोजन क्या, था, यह अभी पता नहीं है। इसकी सीढ़ियाँ ग्रेनाइट स्लैंबों से निर्मित है।

साल 1990 में अकस्माबत खोजी गयी भूवराह मूर्ति , लघु मंदिर और कुआँ पल्लाव नरेश नरसिंह वर्मन ( 638 से 660  ई.) के शासन काल के हैं। ये राजसिम्हा ( 700 से 728 ई.) के शासन काल में निर्मित एक बड़े गोलाकार अहाते से घिरे हैं। इनको अनगढ़ आधार शैल पर तराशा गया है। यहाँ विष्णुन जी लेटी हुई मुद्रा में विराजमान हैं। शिव को समर्पित लघु मंदिर पत्थरों से तराश कर बनाया गया है। इसका शिल्प7 अनूठा है। मंदिर में विशाल शिवलिंग देखा जा सकता है।

मंदिर के आधार पर पल्ललव शासक राजसिम्हा का नाम खुदा है। चारों तरफ दीवार का  निर्माण संभवत: इसलिए किया गया था कि अंदर रेत न आ पाये। पश्चिमी मंदिर में एक बाह्य दीवार है और एक साधारण गोपुरम है। बीच में विश्राम मुद्रा में लेटे विष्णुा का एक आरंभिक मंदिर है। इन सभी मंदिरों के नाम राजसिम्हाु के विभिन्नु उपनामों का प्रतिनिधित्वद करते हैं।

प्रवेश शुल्क 

समुद्र तटीय मंदिर और पंच रथ मंदिर के लिए भारतीय नागरिक और सार्क और बिमस्टेक देशों के पर्यटक- 10 रुपये प्रति व्यक्ति  है। अन्य देशों के लिए 250 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क है।  15 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए प्रवेश शुल्क नहीं है। एक स्मािरक पर खरीदा गया टिकट अन्यर स्मा्रकों पर भी वैध है। छोटी पहाड़ी पर स्थित शेष स्मामरकों तथा अन्यअ स्थासनों पर प्रवेश शुल्क् नहीं है। स्टिल फोटोग्राफी के लिए कोई शुल्को नहीं है। यहाँ सुबह 6 बजे से शाम 5.30 बजे तक जाया जा सकता है।

कैसे पहुँचे 

महाबलीपुरम बस स्टैंड से समुद्र तटीय मंदिर की दूरी आधा किलोमीटर है। मंदिर के बगल में बालू के मैदान पर चौपाटी नुमा बाजार लगा रहता है। यहाँ आप घुड़सवारी का आनंद ले सकते हैं। समुद्री चीजों की खरीदारी कर सकते हैं। यहाँ समुद्र तट पर तमिल संत तिरूवल्लुर की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। यहाँ काफी लोग समुद्र तट पर स्नान करते दिखायी देते हैं। समुद्र तट काफी सुंदर है, पर स्नान करना खतरनाक है।

(देश मंथन, 22 दिसंबर 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें