अंबाला रेलवे स्टेशन के बाहर नैरोगेज का स्टीम लोकमोटिव

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

दिल्ली से पंजाब और जम्मू की तरफ जाने के रास्ते पर बड़ा रेलवे स्टेशन आता है अंबाला। अंबाला शहर में दो रेलवे स्टेशन हैं। अंबाला कैंट और अंबाला सिटी। पर अंबाला कैंट बडा रेलवे स्टेशन है और सिटी छोटा। अंबाला कैंट के सामने ही अंबाला क मुख्य बस स्टैंड भी है। इसलिए आपको बस से ट्रेन या फिर ट्रेन से बस लेने के लिए ज्यादा नहीं चलना पड़ता।

अंबाला अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर एक नैरोगेज का लोकोमोटिव आराम फरमाता हुआ दिखाई देता है। यह एक नैरो गेज का लोकोमोटिव है। नंबर है 152  जेडडीएम 3 यानी डिजल से चलने वाला नैरोगेज का मिक्स टाइप का लोकमोटिव जो यात्री गाड़ियाँ और मालगाड़ियाँ दोनों को ढोने का काम करता था। यह लोकोमोटिव चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स यानी सीएलडब्लू पश्चिम बंगाल का बना हुआ है। किसी जमाने में नैरोगेज के ज्यादातर इंजन सीएलडब्लू से ही बनावाये जाते थे। 1970 के बाद सीएलडब्लू सिर्फ बिजली से चलने वाले लोकोमोटिव का ही निर्माण करता है।
बात 152 जेडडीएम 3 की तो यह लंबे समय तक कालका के लोकोशेड में स्थित था। जाहिर है कि यह कालका शिमला रेल खंड में अपनी सेवाएँ दे रहा था। बाद में इसे अंबाला कैंट के बाहर लाकर स्थापित किया गया। क्रीम ब्लू रंग और सफेद रंग की पट्टी वाला ये लोकोमोटिव वैक्यूम ब्रेकिंग सिस्टम से लैस था। कालका शिमला के बीच लाखों लोगों को सैर कराने वाला यह लोकोमोटिव एक दिन रिटायर हो गया। हालाँकि रिटायर होने तक यह लोकोमोटिव अच्छे हालात में था।
मीटर गेज की याद –  स्टीम लोकोमोटिव वाईपी 2825
अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन के आगे एक और स्टीम लोकोमोटिव सज-धज कर आराम फरमाता हुआ दिखा देता है। यह लोकोमोटिव है 2825 वाईपी। यह भी स्टीम लोकोमोटिव है। वाईपी सीरीज के लोकोमोटिव का निर्माण 1970 से पहले टेल्को द्वारा किया गया है। वाई से शुरू होने का मतलब निकलता है कि यह मीटर गेज का लोकोमोटिव है।
वाईपी 2825 लोको 20 जनवरी 1999 से पहले अपनी सेवाएँ दे रहा था। काफी समय तक यह गुजरात के राजकोट जिले में वांकानेर स्टीम शेड में रखा गया था। नमक की ढुलाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मालगाड़ियों की रैक को खिंचने में इसका इस्तेमाल हो रहा था। कई स्टीम लोकोमोटिव के दीवानों ने वाईपी 2825 को वांकानेर स्टीम शेड में आराम फरमाते देखा था।
इस इंजन को लोकोमोटिव इंजीनियरों द्वारा 6.5 लाख रुपये से तैयार किया गया था। लंबे समय तक इसका रखरखाव वाकांनेर (गुजरात) स्टीम लोको शेड में किया जाता रहा। इस लोकोमोटिव की लंबाई 19.089 मीटर, वजन 101.53 टन है। इसकी कोयला लेने की क्षमता 9.55 टन और पानी की क्षमता 3000 गैलेन थी।
पर साल 2014 में इसे सजा संवारकर अंबाला कैंट के बाहर लाकर स्थापित किया गया ताकि लोग रेलवे की महान विरासत को देख सकें। दिसंबर 2014 की सर्द रात में मैं इसे चारों तरफ से निहारता हूँ। कहीं से नहीं लगता कि यह लोकोमोटिव रिटायर हो गया है। इसे देख कर ऐसा लगता है मानो अभी भी चल पड़ने को तैयार हो।
(देश मंथन  13 जून 2016)

 

 

 

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