विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
क्या आपको पता है हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे झंडे को डिजाइन किसने किया था। वह थे बहुआयामी प्रतिभा वाले आंध्र के स्वतंत्रता सेनानी श्री पिंगाली वेंकैया। विजयवाड़ा के एमजी रोड यानी महात्मा गाँधी रोड पर स्थित है विक्टोरिया जुबली म्युजियम। एक छोटा सा संग्रहालय है जिसके साथ स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास की कई स्मृतियाँ जुडी हैं। इस संग्रहालय का प्रबंधन आंध्र प्रदेश राज्य का पुरातत्व विभाग करता है।
विक्टोरिया जुबली म्युजियम
संग्रहालय का भवन इंडो यूरोपीयन वास्तुकला का सुंदर नमूना है। भवन के बाहरी दीवारों पर हाथियों की सुंदर नक्काशी है। 27 जून 1887 को कृष्णा जिले कलेक्टर राबर्ट स्वेल ने इस संग्रहालय की आधारशिला रखी। यह वह समय था जब महारानी विक्टोरिया के ताजपोशी की स्वर्ण जयंती मनायी जा रही थी। इसलिए इस भवन का नामकरण विक्टोरिया जुबली रखा गया। मूल रूप से इस भवन का निर्माण औद्योगिक प्रदर्शनी के लिए किया गया था। बाद में यह भवन जमींदारों के संरक्षण में आ गया। फिर यह भवन डिस्ट्रिक बोर्ड कृष्णा जिला और उसके बाद जिला परिषद के संरक्षण में रहा। वह साल 1962 था जब यह भवन आंध्र प्रदेश सरकार के पुरातत्व विभाग के संरक्षण में आया। इसके बाद इस भवन में पुरातत्व संग्रहालय का निर्माण किया गया। इस संग्रहालय में पेंटिग, स्कल्पचर, तलवार, सिक्के, जिरहबख्तर और राजाओं द्वारा इस्तेमाल किए गए गहनों का सुंदर संग्रह है।
तिरंगे से जुड़ी है यादें
साल 1921 में यहाँ पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। यह अधिवेशन कई मामलों में खास था। इस अधिवेश के दौरान ही आंध्र के महान स्वतंत्रता सेनानी श्री पिंगाली वेंकैया ने महात्मा गाँधी को तिरंगा झंडा पहली बार पेश किया था। पिंगाली वेंकैया को तिरंगा झंडे के डिजाइन के तौर पर याद किया जाता है। पिंगाली आंध्र प्रदेश के भूले बिसरे स्वतंत्रता सेनानी थे, उनका निधन 4 जुलाई 1963 में विजयवाड़ा शहर में ही गरीबी के बीच हुआ। वे मछलीपट्टनम के पास भाटालपेनुमारू के रहने वाले थे। उनका जन्म 2 अगस्त 1876 को हुआ था। 1921 के इस कांग्रेस अधिवेशन में मोती लाल नेहरू, लाला लाजपत राय, सरदार वल्लभ भाई पटेल डाक्टर राजेंद्र प्रसाद जैसे नेता पधारे थे। इस तिरंगे झंडे में बापू ने बाद में चक्र (ह्वील) को जोड़ने की सलाह दी। बाद में यही तिरंगा देश का राष्ट्रीय ध्वज बना। बाद में विजयवाड़ा के आकाशवाणी भवन का नाम पिंगाली वेंकैया के नाम पर रखा गया।
पिंगाली ने दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश फौजी के तौर पर बोअर युद्ध में भी हिस्सा लिया था। इसी दौरान वे महात्मा गाँधी के संपर्क में आये थे। विजयवाड़ा से पहले कांग्रेस के काकीनाडा अधिवेशन में गाँधी जी ने उन्हें राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन करने की सलाह दी थी।
पिंगाली वैंकैया के बारे में कई दिलचस्प बातें हैं। उन्होंने सिनियर कैंब्रिज की पढ़ाई कोलंबो से की। थोड़े समय रेलवे में गार्ड की नौकरी की। बाद में भूगर्भ शास्त्र में पीएचडी की। वे आंध्र प्रदेश में हीरे खानों की खुदाई के पीछे प्रमुख व्यक्तियों में थे। उन्हें प्यार से डायमंड वेंकैया के नाम से जाना जाता था। पर तिरंगे झंडे का यह डिजाइनर अपने आखिरी दिनों में मुफलिसी के दौर में आ गया था। बहुमुखी प्रतिभा के धनी पिंगाली अपने आखिरी दिनों में करनूल जिले में अदरक खेती में नये प्रयोग में लगे थे।
खुलने का समय
विक्टोरिया मेमोरियल म्युजियम 10 से 5 बजे तक खुलता है। हर शुक्रवार माह के दूसरे शनिवार और सरकारी छुट्टियों के दिन बंद रहता है। प्रवेश टिकट 3 रुपये का है। साल 2016 के आरंभ में इस संग्रहालय को पुनर्नवीकरण के लिए बंद किया गया है। इस साल 18 मई को संग्रहालय फिर शुरू खुल जाएगा।
(देश मंथन 02 जून 2016)