न्यू जलापाईगुड़ी में खड़ा मीटरगेज का स्टीम लोकोमोटिव

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

लोगों को रेलवे के इतिहास से रूबरू कराने के लिए कई रेलवे स्टेशनों के बाहर पुराने लोकोमोटिव को सजा संवार कर प्रदर्शित किया गया है। न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन के बाहर निकलने पर दाहिनी तरफ एक विशाल लोकोमोटिव आराम फरमाता हुआ दिखाई देता है। यह एक मीटर गेज नेटवर्क पर चलने वाला इंजन है। इंजन का नाम एमएडब्यूडी 1798 ( MAWD 1798)  है। साल 1944 में निर्मित ये लोकोमोटिव अमेरिकी युद्ध के दौरान डिस्पोज किया गया स्टीम लोकोमोटिव है। इसका निर्माण ब्लाडविन लोकोमोटिव वर्क्स में किया गया था।

अमेरिका के फिलाडेल्फिया स्थित ब्लाडविन कंपनी की स्थापना 1825 में हुई थी। ब्लाडविन मूल रूप से स्टीम लोकोमोटिव बनाने वाली कंपनी थी। जब स्टीम का दौर खत्म होकर डीजल का दौर आया तो ये कंपनी बाजार में मजबूती से कायम नहीं रह सकी। करीब 70 हजार स्टीम लोकोमोटिव का निर्माण करने वाली कंपनी ब्लाडविन एक दिन दीवालिया हो गयी। बहरहाल हम बात कर रहे हैं एनजेपी स्टेशन के बाहर खडे एमडब्लूडी 1798 लोको की। तो इसकी क्षमता 8.12 टन कोयला ग्रहण करने की है, जबकि इसका वाटर टैंक 10 हजार गैलन का है। लोकोमोटिव का बायलर 24 टन का है। लोकोमोटिव का कुल वजन 41 टन है।

1993 में आखिरी बार दौड़ा

इस लोकोमोटिव को मैकआर्थर नाम से बुलाया जाता था। वे दूसरे विश्व युद्ध के लोकप्रिय अमेरिकी जनरल थे। यह लोकोमोटिव 2-8-2 कनफिगरेशन का है। आमतौर पर यह शंटिंग संबंधी कार्यों के लिए काफी मुफीद था। इसे बहुत तेज गति के ट्रेनों के खीचने की अनुमति नहीं दी जाती थी, क्योंकि इससे डिब्बों के पटरी से उतर जाने का खतरा था। अपनी स्टोव जैसी चिमनी, बार फ्रेम और सेंट्रल हैंडलैंप के कारण यह एक पारंपरिक अमेरिकी लोकोमोटिव जैसा दिखायी देता है। भारत में यह लोकोमोटिव 1948 में सेवा में आया। 1993 में इसने आखिरी बार अलीपुर दुआर और गीतालदह के बीच अपनी सेवाएँ दी थीं। इन क्षेत्र से स्टीम इंजन की विदाई के बाद यह लोकोमोटिव कई सालों तक गुवाहाटी के पास न्यू गुवाहाटी लोको शेड में आराम फरमाता रहा। बाद में रेलवे की रेल पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना तहत इसे रिस्टोर किया गया। बाद में इसे न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के बाहर लाकर खड़ा कर दिया गया।  

साल 2001 में दुबारा लगायी दौड़

साल 2001 में इस स्टीम लोकोमोटिव को रिस्टोर करने की योजना बनी। कुछ पुराने रेल कर्मियों के 23 दिन के प्रयास के बाद 20 फरवरी को इस स्टीम लोकोमोटिव ने एक बार फिर पटरियों पर दौड़ लगायी। यह स्टीम इंजन गुवाहाटी से पांडु के बीच दौड़ा। तमाम जगह सड़कों पर इस स्टीम लोकोमोटिव की चलते देखने के लिए लोग रूक गये।

रेलवे ने इस स्टीम लोकोमोटिव को रिस्टोर करने में डेढ़ लाख रुपये खर्च किये। बाद में इस लोकोमोटिव को न्यू जलपाईगुड़ी लाने का फैसला किया गया जो पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार है। अब आते जाते हजारों लोग रोज रूक रूक कर इस लोकोमोटिव को देखते हैं। हालाँकि लोकोमोटिव के आसपास इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी गयी है।

(देश मंथन, 01 अप्रैल 2016)

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