जायका रतलाम के सेव का

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

हमारी ट्रेन जब भी रतलाम से होकर गुजरती है मैं रतलामी सेव का एक पैकेट जरूर खरीदता हूँ। वैसे तो सेव इंदौर और उज्जैन के भी प्रसिद्ध हैं पर रतलामी सेव की बात अलग है। रतलाम मध्य प्रदेश का शहर है। यह रेलवे का बड़ा जंक्शन है।

ट्रेन जब गुजरात से निकल कर मध्य प्रदेश में प्रवेश करती है तो रतलाम पहला बड़ा स्टेशन आता है। ज्यादातर ट्रेनें यहाँ रूकती हैं। ब्रिटिश राज में रतलाम की रियासत मशहूर थी। पर अब रतलाम को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है यहाँ के सेव ने। वैसे कहा जाता है कि रतलाम की पहचान सोना, साड़ी और सेव से है। पर सेव ऐसी चीज है जो हर किसी के जेब के अनुकूल है।

रतलाम का सेव भी तो बेसन और नमक से बनता है। तो इसमें खास क्या है सेव तो पूरे देश में बनता है। पर रतलामी सेव का अपना अलग स्वाद है। इसमें एक खास तरह का तीखापन होता है। इसमें लौंग, लहसुन, हींग और काली मिर्च का इस्तेमाल होता है। रतलामी सेव मूंगफली के तेल में बनता है। रतलाम की हवा, पानी और यहाँ का मौसम यहाँ के सेव को खास बनाते हैं। यहाँ के कारीगरों ने यही प्रयोग दूसरी जगह भी करके देखा पर वे रतलाम जैसा स्वाद नहीं ला सके। वैसे मालवा के लोग रोज खाने में सेव का इस्तेमाल करते हैं। दाल-चावल की थाली मेंऊपर से सेव का छिड़काव करके खाने को और भी स्वादिष्ट बनाते हैं।

रतलाम में खंडेलवाल के रतलामी सेव काफी प्रसिद्ध हैं। पर मुझे स्टेशन पर गणेश का सेव मिलता है। इसका भी स्वाद अच्छा है। यहाँ मैं खरीदता हूँ 80 रुपये में आधा किलो का पैकेट। हो सकता है बाजार में थोडा सस्ता हो। रतलाम के बाजार में आपको सादा सेव के अलावा लौंग सेव, पालक सेव, टमाटर सेव, लहसुन सेव आदि किस्म मिल जाएंगी। खास तौर पर लौंग सेव और लहसुन सेव का स्वाद आपको लुभाएगा। एक अनुमान है कि रतलाम से रोज 10 टन सेव आर्डर पर दूसरे शहरों में भेजी जाती है।  

(देश मंथन, 08 मई 2016)

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