ताज मेरा है

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आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

सुप्री- कोर्ट ने यूपी सरकार को हड़काया है कि बरसों पहले ताजमहल बनाया जा सकता है तो आज सड़कें क्यों नहीं बनायी जा सकतीं। 

सड़कों और ताज की बराबरी पर यूपी सरकार यह कर सकती है, जो करना आसान भी होगा कि ताज को ही तोड़ दिया जाये, ना रहेगा ताज ना बजेगी बांसुरी।

अब सरकारों से बनाने की नहीं, तोड़ने की ही उम्मीद की जा सकती है। 

ताज को पब्लिक के हवाले भी किया जा सकता है, मतलब पब्लिक में से कई तो ताज को अपना मानते भी हैं। 

सुबह-सुबह आगरा के करीब के गाँव पैंतीखेड़ा के रामखिलाड़ीजी आ गये और बोले-ताजमहल पर मेरा कब्जा है।

मैंने पूछा– कैसे।

खिलाड़ीजी बोले- अरे आपने ताज के पिछले दरवाजे में दायीं और मेरा नाम लिखा नहीं देखा- रामखिलाड़ी पैंतीखेड़ा वाले। मैंने चौदह साल पहले लिखा था कील से ठोंक कर, आज तक दर्ज है। सो ताज पर मेरा कब्जा है।

पर वहाँ तो शामचरन उखर्रा वाले का नाम भी लिखा है। वहाँ तो अनिल कुमार झुमरीतलैया वाले भी लिखा है, तो क्या इन सबको ताज पर कब्जा दे दिया जाये-मैंने पूछा।

हाँ, सबको ताज पर कब्जा दे दिया जाये, अपने-अपने हिस्से के ताज पर सब अपना कारोबार करें। कोई चाय की दुकान खोले, कोई होटल खोले- रामखिलाड़ीजी बोले।

ताज के नाम पर चाय की दुकान तो पहले ही चल रही है। ताजमहल चाय बहुत सालों से चल रही है और ताज के नाम पर होटल भी बहुत सालों से चल रहा है। अब ताज के नाम पर कितनी दुकानें चलेंगी- मैंने पूछा।

देखिये ताजमहल सिर्फ शाहजहाँ का नहीं है- चोपड़ा प्रोपर्टी डीलर कह रहे हैं। 

चोपड़ाजी ताज पर आ रहे नये-नये कब्जों के दावों से बहुत प्रसन्न हैं।

जी अब तो काम बौत आसाण हो जाना है। ताज की मिल्कियत किसी प्राइवेट पार्टी पर आ जाये, तो बिलकुल काम आसाण हो जायेगा। बंदों से डील करना आसान होता है। सरकार से डील करना मुश्किल होता है जी। पचास जगह रिश्वत खिला कर भी पक्का नहीं होंदा है कि अभी कितनी और जगह रिश्वत खिलानी है-चोपड़ाजी कह रहे हैं।

पर ताजमहल से आपको क्या करना है जी- मैंने चोपड़ाजी से पूछा। 

जी क्या करेंगे कि जिसका ताज पर कब्जा है, उससे बात करेंगे कि भई सौदा कर ले हमसे ताज को हम ले लेंगे, तोड़ कर मार्केट काँपलेक्स बना देंगे, ग्राउंड फ्लोर में मार्केट होगा। टाप फ्लोर पर रेजिडेंशियल फ्लैट होंगे। जी दो-चार फ्लैट और दो-चार दुकानें उस बंदे को भी दे देंगे जी। जी यही करते हैं अभी शाह टाकीज के सामने के दो पुराने मकान ऐसे ही निपटाये हैं- चोपड़ाजी ने बताया।

पर शाहजहाँ की मुहब्बत की निशानी का क्या होगा- मैंने पूछा। 

ओ जी लो एक धाँसू आइडिया, वहाँ मल्टीप्लेक्स बना देंगे। वहाँ गेटकीपर को शाहजहाँ की ड्रेस पहना कर बिठा देंगे। अंदर कस्टमर का स्वागत रिसेप्शन पर मुमताज की ड्रेस पहने कोई रिसेप्शनिस्ट करेगी, लो जी हो गयी शाहजहाँ की याद-चोपड़ाजी बता रहे हैं।

अब मैं ताज के भविष्य के सीन देखकर डर रहा हूँ। 

ताज या तो मल्टीप्लेक्स हो जायेगा या फिर फन फूड पार्क टाइप कुछ। 

चोपड़ाजी मुस्कुरा रहे हैं।

मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि सरकार के बावजूद ताज बच भी गया, तो चोपड़ाजी से ताज को कौन बचायेगा। 

चलूँ, घर के बाहर शोर हो रहा है-जाजऊ के टेकूराम, भांडई के बल्लीसिंह भी क्लेम कर रहे हैं कि ताजमहल उनका है।

आप भी सोच लीजिये कहाँ ताजमहल आपका तो नहीं है।

(देश मंथन, 20 नवंबर 2015)

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