तीस्ता के साथ गंगटोक का सफर

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

तीस्ता नदी सी तू चंचला… येशुदास के आवाज में ये गीत बचपन से सुन रहा हूँ। सिलिगुड़ी से गंगटोक के रास्ते में सड़क के साथ-साथ लंबे समय तक तीस्ता नदी साथ-साथ चलती है। उछलती-कूदती बलखाती किसी अल्हड़ किशोरी की तरह। चंचल-चपल तीस्ता।

सिक्किम के चोल्हमु लेक से निकलने वाली तीस्ता 309 किलोमीटर का सफर तय करके ब्रह्मपुत्र में जाकर मिल जाती है। इसके किनारे सिलिगुड़ी, जलपाईगुड़ी, सेवक, रंगपो जैसे शहर आते हैं। तीस्ता लंबी दूरी तक सिक्किम और बंगाल की सीमा बनाते हुए बहती है। भारत ने गोजालडोबा में तीस्ता पर बांध बनाया। हमें रास्ते में तीस्ता पर बने हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट दिखायी देते हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी के जल के बंटवारे को लेकर 1930 से ही विवाद चला आ रहा है। बांग्लादेश चाहता है कि भारत तीस्ता का 20% स्वभाविक बहाव उसके लिए छोड दे।

बांग्लादेश ने भी तीस्ता पर अपने यहाँ दलिया में सिंचाई के लिए बांध बनाये हैं।  वैसे भारत और बांग्लादेश के बीच 54 छोटी बड़ी नदियों के जल को लेकर साझेदारी होती है।

न्यू जलपाईगुडी से सिक्किम की राजधानी गंगटोक की दूरी 126 किलोमीटर है। हमारी टैक्सी सिलिगुड़ी टाउन को पार करके सालुगड़ा होते हुए सेवक पहुँचती है। यह आर्मी का बड़ा एरिया है। सेवक के आगे हरे-भरे घने जंगल आते हैं। इसके बाद तीस्ता नदी के दर्शन होते हैं। सेवक में तीस्ता नदी पर रेल पुल दिखायी देता है। वास्तव में न्यू जलपाईगुडी से न्यू अलीपुर दुआर जाने के दो मार्ग हैं। एक मार्ग फालकाटा, न्यू कूचबिहार हो कर है। दूसरा मार्ग सिलगुड़ी, गुलमा, सेवक, न्यू माल जंक्शन, बीनागुड़ी, हासीमारा (भूटान के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन) से हो कर। यह सिंगल ट्रैक वाली ब्राडगेज लाइन है। एनजेपी से बीनागुड़ी होकर अलीपुर दुआर 169 किलोमीटर है। 

वहीं एनजेपी से न्यूकूच बिहार होकर न्यू अलीपुर दुआर 144 किलोमीटर है। खैर अभी चलते हैं गंगटोक की ओर। तीस्ता नदी में अक्तूबर से मार्च के बीच पानी कम रहता है। लेकिन कम पानी के बीच तीस्ता की चपलता नयनाभिराम है। कई जगह तीस्ता में बिल्कुल कम पानी दिखायी देता है तो कई जगह ज्यादा। नदी में कई जगह लोग रीवर राफ्टिंग के मजे लेते हैं। पर अखबार में खबर पढ़ता हूँ–तीस्ता में राफ्टिंग करने गए कोलकाता के तीन छात्रों की मौत। यानी तीस्ता खतरनाक भी है।

टैक्सी एनएच 31ए पर दौड़ रही है। सेवक के बाद कालीझोरा, रोंगचोंग होते हुए तीस्ता नदी के साथ साथ सड़क चलती है। तीस्ता बाजार में तीस्ता नदी पर सड़क पुल आता है। अभी तक तीस्ता नदी दाहिनी तरफ थी अब बायीं तरफ हो जाती है। थोड़ा आगे से कालिंपोंग के लिए मार्ग बदलता है। यहाँ से कालिंपोंग महज 18 किलोमीटर है।

आगे किरने (कालिंपोंग, दार्जिलिंग) में सभी सूमो, टैक्सियाँ खाने के लिए रुकती हैं। तीन होटल हैं एक साथ। खाने की थाली 80 रुपये में अनलिमिटेड। थाली अच्छी है। पर मैं यहाँ खाता नहीं हूँ।

करीब 80 किलोमीटर के सफर के बाद आता है रंगपो। यहाँ सिक्किम का प्रवेश द्वार बना है। यहाँ चेकपोस्ट पर भी यात्रियों को आईकार्ड दिखाना पड़ता है। रंगपो में बौद्ध विहार है। यहाँ एचडीएफसी बैंक और डोमिनो पिज्जा दिखायी देता है। एक यात्री यहाँ उतरते हैं। पर टैक्सी चालक पहले सड़क किनारे टैक्सी को पार्किंग में लगता है फिर उन्हें उतारता है। सिक्किम में ट्रैफिक नियम बहुत सख्त हैं, यह आगे भी दिखाई देता है। सिंगतम में एक और पुल आता है तीस्ता नदी पर। इसके बाद आता है रानीपुल। यहाँ 12 किलोमीटर रह जाता है गंगटोक। नौ किलोमीटर पहले सिक्किम यूनीवर्सिटी का परिसर दिखायी देता है। इसके बाद नादरेंग। फिर देवराली।

देवराली बाजार में टैक्सी और बस स्टैंड है। यहाँ से आगे दिन में बड़ी टैक्सियाँ नहीं जातीं। गंगटोक शहर में छोटी टैक्सियाँ चलती हैं शेयरिंग में। किराया 10, 20, 30 और 40 रुपये। एक पुलिस वाला मुझे ऐसी ही एक टैक्सी दिलाने में मदद करता है। देवराली से एमजी रोड के पास के लिए 20 रुपये किराया। लाल बाजार के पास से सीढ़ियाँ चढ़ कर एमजी रोड होते हुए नामनांग पहुँचता हूँ। यहाँ पर है मेरा होटल निर्वाण रीजेंसी, जिसे मैंने मेक माईट्रिप के द्वारा बुक किया था।

(देश मंथन, 13 मार्च 2016)

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