डॉर्लिंग कह कर हाल पूछिए, प्यार का जोड़ टूटेगा नहीं

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संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

कल दफ्तर में काम अधिक था। घर पहुँचने में देर हो गयी। हो सकता है कि पत्नी मन ही मन नाराज भी हो रही हो कि मैं सारा दिन दफ्तर में गुजार देता हूँ और इस चक्कर में दिल्ली के सभी मॉल्स में जो सेल लगी है, उसमें उसे नहीं ले जा पा रहा।

मीना बाजार, बांबे साड़ी, छाबड़ा, शॉपर्स स्टॉप, लाइफ स्टाइल और न जाने कहाँ-कहाँ इस मौसम में सेल लगी होती है, और ऐसे में मैं पूरा दिन दफ्तर में गुजार कर देर रात घर लौटूं तो पत्नी चाहे कुछ भी न कहे, पर मन ही मन कुढ़ती तो होगी ही।

अरे भाई, ये सेल किसके लिए लगी है? सिर्फ पड़ोसियों के लिए?

उसने मुझे अब तक तो नहीं टोका है, पर मुझे लगता है कि जल्दी ही मैं टोका जाने वाला हूँ। हालाँकि पत्नी के पास न जाने कितनी साड़ियाँ हैं, जिनके टैग भी अभी नहीं उतरे होंगे। पर वो महिला ही क्या, जो नई साड़ी देख कर उसे खरीदने के लिए मचल न उठे।

पिछले दिनों हम चेन्नई गये थे तो समय काटने के लिए साऊथ सिल्क वाली किसी दुकान में घुस गये। दुकानदार ने वाणेकम, वाणेकम करते हुए दो कप कॉफी पिलाई और दस साड़ियाँ थमा दीं। वो तो भला हो क्रेडिट कार्ड का जो इज्जत बच गयी वर्ना कॉफी की भी इज्जत उतर जाती।

खैर, आज मुझे ये वाली कहानी आपको नहीं सुनानी।

मुझे महिलाओं की शॉपिंग वाली बात भी नहीं करनी। आज तो मुझे इतना बताना है कि जब रात में मैं घर पहुँचा, तो पत्नी का सूजा मुँह देखने से पहले ही मैंने उससे पूछ लिया, “कैसी हो, डॉर्लिंग?”

डॉर्लिंग? 

पता नहीं कि दुनिया की सारी महिलाएँ ऐसी ही होती हैं या नहीं, पर मेरी पत्नी तो शादी के इतने वर्षों बाद भी इस शब्द को सुन कर शर्मा जाती है। अब शर्माई हुई महिला भला मुझे क्या भला-बुरा कहेगी। वो तो इस बात से खुश हो जाती है कि उसका पति आज भी उसे डॉर्लिंग बुलाता है और इसी खुशी में वो पानी का गिलास पकड़ाती है।

कहने को तो वो कह सकती थी कि कहाँ थे इतनी रात तक? पर क्योंकि मैंने डॉर्लिंग कह दिया, इसलिए उसने कहा, “बहुत देर हो गयी आज।”

“हाँ, काम ज्यादा था। फ्रांस में एक आतंकवादी ने भीड़ पर ट्रक चढ़ा दिया, 84 लोग मर गये।”

“ओह! ये तो बहुत बुरा हुआ।”

बस, बात बदल गयी और डॉर्लिंग खाना गरम करने लगी। टेबल सजने लगी। उसने भी खाना नहीं खाया था, तो हम देर रात तक डिनर करते रहे। फिर सोते हुए उसने कहा कि आज बहुत अच्छा लग रहा है। 

मैं जानता था, उसे अच्छा लग रहा होगा।

किसी को भी अच्छा लगेगा।

पत्नी ने कहा कि सुबह हम जल्दी उठेंगे और टहलने चलेंगे। जब-जब वो खुश होती है, हमारा साथ टहलने का प्रोग्राम बन जाता है। मैंने कुछ नहीं कहा। मुझे पता था कि इतनी रात हम सोने गये हैं, सुबह नींद कहाँ खुलने वाली है। मैं तो चाहे जब सोऊं, पर पोस्ट लिखने का समय जैसे ही होता है, मेरी नींद खुल ही जाती है।

मैंने अभी-अभी गौर से पत्नी के चेहरे को देखा है। वो गहरी नींद में है और सपनों की दुनिया में मेरे साथ कहीं टहल रही है।

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असल में शब्दों में काफी दम होता है।

कल मैंने नेट पर खबर पढ़ी थी कि मध्य प्रदेश में खरगोन की हेमलता नामक एक महिला ने अपने पति से झगड़े के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था। पत्नी का आरोप था कि तीन साल पहले उसकी अभिषेक नामक युवक से शादी हुई थी। अभिषेक आए दिन शराब पीकर देर रात घर लौटता था। वो उसकी रत्ती भर परवाह नहीं करता। अब शराब पीता है तो मारपीट भी करता ही होगा। खैर, पति से तंग आई इस पत्नी ने उसके घर को छोड़ दिया और अपने मायके आ गयी। छह महीने बीत गए, इसके बाद तलाक के लिए अदालत में अर्जी दी गयी।

पति-पत्नी जज के सामने आए। जज ने दोनों की दलीलें सुनीं। जज साहब स्कूल के दिनों में शायद मनोविज्ञान की पढ़ाई की होगी क्योंकि उन्हें पता था कि पति-पत्नी शादी के कुछ वर्षों बाद एक दूसरे के प्रति प्यार दिखाना कम कर देते हैं और सारे झगड़े इसी वजह से होते है। जज साहब जानते थे कि पति ज्यादातर मामलों में शादी के कुछ सालों बाद पत्नी की उपेक्षा करने लगते हैं।

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किसी की पत्नी क्या चाहती है? वो इतना ही तो चाहती है कि वो सारा दिन जिस घर का, जिस परिवार का वो ध्यान रखती है, उसके बदले में उसे थोड़ा पूछा जाए, उसके काम को सराहा जाए।

अब जो महिला अपने पिता का घर छोड़ कर, माँ का आँगन भूल कर और भइया के झूले से उतर कर किसी और के घर जाती है, वहाँ अगर ससुराल वाले उसका थोड़ा मान रखें, सास उसे दो-चार बार कैसी हो बेटी कह कर बुला ले और देर से घर लौटा पति उसे डॉर्लिंग कह दे, तो किसी का क्या घट जाने वाला है। पर नहीं। ये सास और पति का इगो इतना बड़ा होता है न कि न बेटी कहेंगे, न डॉर्लिंग।

***

जज साहब ने बीमारी पकड़ ली थी। उन्होंने अभिषेक को आदेश दिया कि रोज रात में घर लौट कर उसे अपनी पत्नी से कहना होगा, “कैसी हो, डॉर्लिंग?”

जज साहब ने तलाक के लिए आए पति-पत्नी के रिश्तों में प्यार का फेवीकोल लगा कर उन्हें घर भेज दिया।

अब जज साहब का फरमान था, तो संजय सिन्हा भला कौन होते हैं, उनकी बात को नहीं मानने वाले। बुद्धिमान के लिए तो इशारा ही काफी होता है।

मैंने तो उस इशारे का कमाल कल देख लिया। अब आपकी बारी है। आप भी करके देखिए। अपनी पत्नी को आज से डॉर्लिंग कह कर उसका हाल पूछिए। मेरा दावा है कि आपके प्यार का जोड़ कभी टूटेगा ही नहीं।

(देश मंथन 16 जुलाई 2016)

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