Tag: मुलायम सिंह यादव
“प्रियंका, मुलायम क्यों नहीं कर रहे पूरे उत्तर प्रदेश में प्रचार?”
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में चौथे चरण का चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले जहाँ प्रियंका वाड्रा और मुलायम सिंह यादव के कम प्रचार करने पर तंज कसा है, वहीं लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
सपा के लठबाजी प्रहसन के फलितार्थ
राजीव रंजन झा :
उनके 'नेताजी' (हमारे नेताजी तो एक ही हैं, आजादी से पहले वाले) भी पार्टी में हैं। चच्चा भी पार्टी में हैं। चच्चा चुनाव भी लड़ेंगे। सबकी सूचियों का भी मिलान हो रहा है, सबका मान रखा जा रहा है। पार्टी भी एक है। चुनाव चिह्न भी सलामत है। बस बीच में डब्लूडब्लूई स्टाइल में जबरदस्त जूतमपैजार की नौटंकी से जनता का दिल खूब बहलाया गया। इस नौटंकी के नतीजे -
‘सुधर जाइये, इत्ता ही कह दिया मैंने’ : मुलायम
राजीव रंजन झा :
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश पुलिस के नागरिक सुरक्षा आईजी अमिताभ ठाकुर के बीच लगभग दो मिनट तक फोन पर बातचीत ने यह दिखा दिया है कि इस राज्य में जो कुछ चल रहा है, उसे सीधे शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व का खुला समर्थन प्राप्त है।
नीतीश की उम्मीदवारी, लालू का दाँव, भाजपा की मुश्किल
संदीप त्रिपाठी :
राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मौजूदगी में जनता परिवार के नामित मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा बिहार चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार के नाम का ऐलान कर दिये जाने के बाद बिहार चुनाव में खेमों का परिदृश्य आकार ले चुका है।
छहधड़ा पार्टी में अपनी-अपनी मलाई
संदीप त्रिपाठी :
जनता दल से निकले छह समाजवादी धड़े मोटा-मोटी 25 साल बाद फिर एकजुट हो गये। मुलायम सिंह यादव इस एकजुट धड़ा पार्टी के अध्यक्ष बनाये गये हैं। यह खबर पिछले पाँच महीने से घोषित हो रही है।
उन्हें भारत से नफरत क्यों है?
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
यह समझना मुश्किल है कि संस्कृत का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा से क्या लेना-देना है, किंतु संस्कृत का विरोध इसी नाम पर हो रहा है कि संघ परिवार उसे कुछ लोगों पर थोपना चाहता है।
सामाजिक न्याय की ताकतों की लीलाभूमि पर आखिरी जंग
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में पुराने जनता दल के साथियों का साथ आना बताता है कि भारतीय राजनीति किस तरह ‘मोदी इफेक्ट’ से मुकाबिल है।
ओय गुइयाँ, फिर जनता-जनता!
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
क्या करें? मजबूरी है! अभी ताजा मजबूरी का नाम मोदी है! यह जनता खेल तभी शुरू होता है, जब मजबूरी हो या कुर्सी लपकने का कोई मौका हो! इधर मजबूरी गयी, उधर पार्टी गयी पानी में!
हम सब तोते हैं – रंजीत सिन्हा
डॉ. मुकेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक :
सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा के निवास पर मुलाकातियों वाले रजिस्टर में आपको मेरा नाम नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्होंने दो रजिस्टरों वाली व्यवस्था खत्म कर दी है।
अबकी बार, क्या क्षेत्रीय दल होंगे साफ?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
राजनीति से इतिहास बनता है! लेकिन जरूरी नहीं कि इतिहास से राजनीति बने! हालाँकि इतिहास अक्सर अपने आपको राजनीति में दोहराता है या दोहराये जाने की संभावनाएँ प्रस्तुत करता रहता है!