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अरुणाचल प्रकरण : अपने खोदे गड्ढे में खुद गिरी भाजपा

संदीप त्रिपाठी :
अरुणाचल प्रदेश प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारतीय जनता पार्टी की किरकिरी हुई है। भाजपा इस किरकिरी के ही लायक है। वैसे तो इस किरकिरी के लायक कांग्रेस समेत अन्य सभी राजनीतिक दल हैं लेकिन चूँकि कांग्रेस इस फैसले की लाभार्थी है, इसलिए वह अभी मस्त है।
अचानक ट्रेन हुई रद्द : कैसे पहुँचे दिल्ली

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
आप मुंबई जैसे शहर में हों, और अचानक आपको आपकी ट्रेन रद्द होने की जानकारी मिले तो क्या गुजरेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। मुंबई से परिवार समेत वापसी का टिकट एक महीने पहले करवाया था। अमृतसर एक्सप्रेस जैसी ट्रेन जिसे डुप्लिकेट पंजाब कहा जाता है एसी 3 में वेटिंग मिला था जो खिसकते हुए आरएसी में आ गया था। पर वह 20 फरवरी की शाम थी, दिन भर बोरिवली नेशनल पार्क में घूमने के बाद शाम को हमलोग मुंबई के फैशन स्ट्रीट पर घूम रहे थे। थोड़ी शापिंग कर डाली थी, कुछ और करने के लिए मोलभाव में लगे थे। तभी मोबाइल पर एक आईआरसीटीसी का मैसेज आता है। पहले मुझे लगा कि आरएसी के कनफर्म होने का संदेश होगा। मैंने बेतकल्लुफी से लिया। पर सोचा एक बार संदेश पढ़ लेता हूँ।
बुरे काम का बुरा नतीजा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी आज की पोस्ट मेरे लिए है। मुझे बहुत यंत्रणा से गुजरना पड़ा अपनी आज की पोस्ट को लिखते हुए। बहुत बार हाथ रुके, पर हिम्मत करके मैं लिखता चला जा रहा हूँ। आसान नहीं होता, अपने विषय में ऐसा लिखना।
सरकार की (दोगली) आत्मा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
नितीश कुमार का चुनावी वादा था - बिहार में शराब बंद की जायेगी।
हार-हार-हार और हार..! आखिर कब थमेगा सिलसिला

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
वानखड़े 'भूतो न भविष्यति' बल्लेबाजी का बना गवाह। सिक्के की उछाल में मिली मात और भोथरी गेंदबाजी ने सिरीज का फाइनल का किस तरह से नशा उखाड़ दिया, यह बताने की जरूरत नहीं और यह भी नहीं कि हर किसी का समय होता है मिस्टर धोनी। बाजुओं में जो ताकत आपके थी वह जाती रही और कितने गरीब नजर आये आप बल्ले से, यह भी दर्शकों ने देखा। हार, हार और हार यही बदा है देश के भाग्य में शायद। जो सिलसिला आस्ट्रेलिया से शुरू हुआ, वह आज तक थमा नहीं। बांग्लादेश तक ने पानी पिला दिया था तो यह महाबली द. अफ्रीका है।
माही तुम कब जाओगे

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
हर कोई यही पूछ रहा है-माही तुम कब जाओगे? धोनी कहते है, 'अश्विन की चोट ने हराया.. मेरी गलती कि फिनिश नहीं कर सका.. गेंदबाजों ने रन लुटा दिए'..
गेहूँ की फसल कम होगी, लेकिन वोटों की खेती लहलहायेगी

संजय सिन्हा, आज तक :
मेरी माँ किसान नहीं थी, लेकिन जिस साल अप्रैल के महीने में आसमान में काले-काले बादल छाते और ओले बरसते माँ सिहर उठती थी।
दिल्ली चुनाव : आमचा विश्वास पानीपतात गेला

राजेश रपरिया :
दिल्ली में आये केजरी भूकंप से मौजूदा सत्ताधारी दलों और विपक्षी दलों का भरोसा हिल गया है। मोदी और अमित शाह के बूथ स्तर के माइक्रो मैनेजमेंट का इतना हौव्वा था कि वोटों की गिनती से पहले भाजपा हार मानने को तैयार नहीं थी, जबकि भाजपा की हार इतनी साफ दिखायी दे रही थी कि अंधा भी दीवार पर पढ़ सकता था। लेकिन मोदी ने 2002 के बाद से कोई भी बड़ा चुनाव नहीं हारा है।