Thursday, August 21, 2025

देश मंथन डेस्क

1260 पोस्ट0 टिप्पणी

कौशल विकास : भई क्या रखा है डिग्री में, कुछ काम सीख लो

राजीव रंजन झा :

कौशल विकास या स्किल डेवलपमेंट मोदी सरकार का मौलिक नारा नहीं है।

बेटियों के गुनाहगार

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

राज कपूर की फिल्म ‘प्रेम रोग’ जब मैं देख रहा था, तब मैं स्कूल में रहा होऊंगा।

प्रतापनगर : यहाँ देखिये नैरो गेज का इतिहास

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

प्रताप नगर रेलवे स्टेशन की दूरी बड़ौदा रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर है। हालाँकि दोनों स्टेशन रेलवे लाइन से भी संपर्क में हैं। पर अगर आपको प्रताप नगर कभी भी पहुँचना हो तो वड़ोदरा रेलवे स्टेशन से ऑटो रिक्शा से जाना पड़ता है।

एक मार्ग-टटोलक के नोट्स

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

यहाँ मुझे, सुभाष चंदरजी और हरीश नवलजी को मार्गदर्शक - मंडल बना दिया है। चलो सुभाष चंदरजी और हरीश नवलजी तो पर्याप्त बुजुर्ग हो चुके हैं कि इन्हे मार्गदर्शक - मंडल बना दिया जाये।

कब होगी आमची दिल्ली

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

दिल्ली में तो सुबह-सुबह नींद खुल ही जाती है, लेकिन मुंबई आकर मैं चाहता हूँ कि कुछ देर और होटल के बिस्तर में दुबका रहूँ। फिर तो जब सुबह होगी तो हो ही जायेगी।

मुंबई-सूरत की लाइफ लाइन है डबल डेकर ट्रेन

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

नाम है फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस। गुजरात के व्यासायिक शहर सूरत को देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई से जोड़ती है। इसलिये ट्रेन में भीड़ भी खूब होती है।

शुक्रिया सीसा, दुनिया को आइना दिखाने के लिए!

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :

कहानी बिलकुल फिल्मी लगती है, लेकिन फिल्मी है नहीं। कहानी बिलकुल असली है।

नकल की अकल वाया बिहार पॉलटिक्स

 

 

 

सुशांत झा, पत्रकार : 

सन् 1996 में पटना हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि अगर स्कूली परीक्षाओं में नकल की खबरें आयीं तो उस जिले का कलक्टर जिम्मेवार होगा! ऐसे में तमाम कलक्टरों ने अपनी गरदन बचाने के लिए भारी कड़ाई की थी और मुझे याद है कि उस जमाने में नकल वाले बच्चों को पुलिस अपराधी की तरह ले जाती थी और 2000 रुपये देकर ही जमानत मिल पाता थी।

‘गजेन्द्र मोक्ष’

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

माँ कहती थी कि मेरे पाँव में चक्कर बना हुआ है, इसलिये मैं घूमता रहूँगा। 

तो क्या बड़ा होकर मैं गोल-गोल घूमूंगा? लेकिन गोल-गोल क्यों घूमूंगा, उससे तो मुझे चक्कर आने लगता है। फिर पाँव में चक्कर का मतलब क्या हुआ?

कल मैंने वाघा बार्डर की चर्चा की थी और आज मैंने सोचा था कि उस खूबसूरत लड़की की आँखों की कहानी बयाँ करूंगा, जो मुझे भारत-पाक की कंटीली सीमा के उस पार मिली थी, जिससे मैं कोई बात नहीं कर पाया था सिवाय उसकी तसवीर खींचने के और वो भी मुझसे एक शब्द नहीं बोल पायी थी, सिवाय मेरी तस्वीर लेने के।

निजी राग-द्वेष खबर नहीं होती आउटलुक जी

नदीम एस अख्तर, वरिष्ठ पत्रकार :

आउटलुक वालों ने टाइम्स नाऊ वाले अर्नब गोस्वामी को विलेन बना दिया। घोषणा कर दी कि अर्णब ने भारत में टीवी न्यूज की हत्या कर दी।

ठीक है, मान लेते हैं कि आउटलुक वाले बहुत समझदार हो गये हैं, (विनोद मेहता के जाने के बाद) और मैगजीन निकालते-निकालते अब उन्हें टीवी न्यूज की भी अच्छी खासी समझ हो गयी है।