केजरीवाल अगर ऐसे सरकार चलायें, तो….?
क़मर वहीद नक़वी :
आम आदमी गजब चीज है! किसी को भनक तक नहीं लगने देता कि वह क्या करने जा रहा है। वरना किसे अंदाज था कि सिर्फ नौ महीनों में ही दिल्ली घर घर मोदी से घर घर मफलर में बदल जायेगी!
एक को जिताया दूसरे को जगाया
दीपक शर्मा :
जो अडवाणी नहीं कह पाये, जो जोशी नहीं कह पाये, जो सुषमा, गडकरी और राजनाथ नहीं कह पाये .....वो दिल्ली की जनता ने कह दिया।
ये पहला मौका है, जब किसी जनादेश ने एक तीर से दो शिकार किये हैं। एक फैसले से दो मकाम हासिल किये हैं। एक बटन से उम्मीद के दो बल्ब जलाये हैं।
दिल्ली के नतीजे और सियासी वादों के निहितार्थ
राजीव रंजन झा :
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की आंधी नजर आ रही है और इस आंधी के कारण देश भर में गलत मायने निकाले जाने का खतरा भी महसूस हो रहा है।
सामने आयी शांति भूषण के भीतर रुकी सच्चाई
डॉ. रंजन ज़ैदी, वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक :
शांति भूषण जी पुराने समाजवादियों में से हैं। प्रोफेशनल अधिवक्ता। ईमानदार लोगों में डूबता सितारा। डूबता इसलिए कि जिसने 'आम आदमी पार्टी' को जन्म दिया उसी में उसकी उपेक्षा कर दी गयी।
कौन उलझा रहा है मोदी को विवादों में?
शिव ओम गुप्ता :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चंद दिनों के अंदर अपने दल के सांसदों को सँभल कर बोलने की नसीहत देनी पड़ गयी। मंगलवार 16 दिसंबर को भाजपा के संसदीय बोर्ड की बैठक में उन्होंने सांसदों को सचेत किया कि वे 'लक्ष्मण रेखा' पार न करें।
सामाजिक न्याय की ताकतों की लीलाभूमि पर आखिरी जंग
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में पुराने जनता दल के साथियों का साथ आना बताता है कि भारतीय राजनीति किस तरह ‘मोदी इफेक्ट’ से मुकाबिल है।
ओय गुइयाँ, फिर जनता-जनता!
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
क्या करें? मजबूरी है! अभी ताजा मजबूरी का नाम मोदी है! यह जनता खेल तभी शुरू होता है, जब मजबूरी हो या कुर्सी लपकने का कोई मौका हो! इधर मजबूरी गयी, उधर पार्टी गयी पानी में!
चाय केतली तक अच्छी है मोदी जी
दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार :
कोई पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक के जरिये कभी सत्ता में नही आती। अगर ऐसा होता तो यूपी में भाजपा को कभी 11, कभी 20 और कभी 73 सीटें नहीं मिलतीं। सपा हमेशा जीतती और बसपा का सूपड़ा कभी साफ नही होता।
क्या हो पायेगा ‘आप’ का पुनर्जन्म?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो क्या ‘आप’ का पुनर्जन्म हो सकता है? दिल्ली में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सबसे बड़ा सवाल यही है, ‘आप’ का क्या होगा? केजरीवाल या मोदी? दिल्ली किसका वरण करेगी?
काले धन का टेंटुआ कोई क्यों पकड़े?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
सुना है, सरकार काला धन ढूँढ रही है। उम्मीद रखिए! एक न एक दिन काला धन आ कर रहेगा! अगर कहीं मिल जायेगा, तो जरूर आ जायेगा! न मिला तो सरकार क्या कर सकती है?
अबकी बार, क्या क्षेत्रीय दल होंगे साफ?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
राजनीति से इतिहास बनता है! लेकिन जरूरी नहीं कि इतिहास से राजनीति बने! हालाँकि इतिहास अक्सर अपने आपको राजनीति में दोहराता है या दोहराये जाने की संभावनाएँ प्रस्तुत करता रहता है!
एक बीजेपी सांसद का दर्द
उमाशंकर सिंह, एसोसिएट एडिटर, एनडीटीवी
प्रधानमंत्री ने आज ही सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की है। इस योजना को लेकर सांसदों के मन में किस तरह की शंका-आशंका है और मोदी के प्रधानमंत्रित्व में उनका कामकाज कैसा चल रहा है? यह सब एक सांसद से बातचीत में सामने आयी। पेश है बातचीत का ब्योरा: