चाय केतली तक अच्छी है मोदी जी

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दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार : 

कोई पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक के जरिये कभी सत्ता में नही आती। अगर ऐसा होता तो यूपी में भाजपा को कभी 11, कभी 20 और कभी 73 सीटें नहीं मिलतीं। सपा हमेशा जीतती और बसपा का सूपड़ा कभी साफ नही होता।

दरअसल देश में अस्थिर (फ्लोटिंग) वोट ही हमेशा निर्णायक रहा है, और यही सबसे बड़ा वोट बैंक भी है। इस देश के जनतंत्र की शक्ति और साख यही अस्थिर वोट है।

परंपरागत वोट बैंक के साथ जब अस्थिर वोट किसी पार्टी के समर्थन में जुड़ता है तो अक्सर जीतने वाली पार्टी बहुमत आसानी से हासिल करती है। साल 2014 का इतिहास केवल संघ ने नहीं, इस फ्लोटिंग वोट ने रचा था।

अस्थिर वोट का एक बड़ा वर्ग “दी ग्रेट इंडियन मिडिल क्लास” का प्रतिनिधित्व करता है। यह वर्ग राजनीतिक विचारधारा के नाम पर हमेशा तटस्थ रहा है। मुद्दों और परिस्थियों को देख कर यह फ्लोटिंग वोट कभी कांग्रेस के साथ, कभी जनता पार्टी के साथ और कभी भाजपा के साथ जुड़ कर चुनावी लहर को गति देता आया है।

मोदी सरकार अपने विरोधियों की परवाह करे न करे, पर उसे इस निर्याणक अस्थिर वोट की परवाह जरूर करनी चाहिए। मोदी भक्त तो मोदी के साथ रहेंगे, लेकिन यह निर्याणक वोट परिस्थितियों के साथ बहता है। मोदी सरकार को दिल्ली की गद्दी पर बैठे छह महीने हो चले हैं। अभी तो हनीमून का समय है, लेकिन अगले छह महीने आते-आते यह खुमारी उतरेगी। साल भर में विकास और वित्त के नये आंकड़े बाजार में होंगे। स्वच्छ भारत से लेकर श्रमेव जयते के नतीजे “दी ग्रेट इंडियन मिडिल क्लास” के सामने होंगे। अडानी से लेकर गडकरी और जुबिन ईरानी की आधा दर्जन निजी कंपनियों से लेकर नड्डा और पीयूष गोयलों की समीक्षा सामने होगी। अगर साल भर बाद मध्य वर्ग अपने मुँह पर रुमाल रख कर शहर की बजबजाती गलियों से निकलने पर मजबूर रहा तो स्वच्छ भारत की पोल खुल जायेगी। अगर देश की मिलों और फैक्ट्रियों में मजदूरों की छँटनी जारी रही तो श्रमेव जयते की सार्वजनिक पराजय होगी।

वक्त है मोदी जी, अभी भी वक़्त है। आप तौलिये पर नाचते भांड की जगह देश के मरते जवानों की सुध लें। जैसे सियाचिन गये थे, वैसे ही सुकमा भी जाना था आपको। मोदी साहब कुछ तो गड़बड़ है। आप चापलूसों और कॉर्पोरेट दलालों से घिर गये हैं। इन भेड़ियों से बचिये, वर्ना इस मुल्क में पगड़ी उछलने में वक़्त नही लगता। मोदी जी, अगर आपका एक रुपया भी उधार होता तो यह सब लिख न पाता। आप प्रधानमंत्री हैं और अब तक ईमानदार लगे, इसीलिए कह रहा हूँ। चाय केतली तक अच्छी है, अगर बिखर गयी तो कुरते पर दाग लग जायेगा।

(देश मंथन, 05 दिसंबर 2014)

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