जिन्दगी जीने के 10 नुस्खे

0
329

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

बचपन में जब मैं प्रेमचंद के किसी उपन्यास को पढ़ता तो मेरे मन में यही ख्याल दौड़ता कि मैं बीए तक पढ़ाई करूंगा। 

उनकी किताबों में लिखा रहता था – प्रेमचंद, बीए।

मेरे मन में ये बात बैठ गयी थी कि बीए की पढ़ाई ही संसार में सबसे बड़ी पढ़ाई होती है। इस तरह बचपन में ही मैंने तय कर लिया था कि मैं बीए तक पढ़ूँगा और फिर मेरे नाम के साथ भी लिखा जाएगा – संजय सिन्हा, बीए। 

पर मेरी माँ ने मुझसे अधिक दुनिया देखी थी और उसकी इच्छा थी कि उसका बेटा एमए तक की पढ़ाई करे। उसने इस संसार को अलविदा कहने से पहले मुझसे कहा था कि तुम एमए जरूर करना। तो नहीं चाहते हुए भी माँ का दिल रखने के लिए एमए की पढ़ाई करनी पड़ी। 

एमए करने के बाद मैं निश्चिंत हो चुका था कि अब मुझे और नहीं पढ़ना। हालाँकि मेरे कुछ मित्र एमए के बाद पीएचडी भी करने लगे थे। तब मैंने तय कर लिया था कि मुझे इसके आगे नहीं पढ़ना। पर मेरे कुछ मित्र जिन्होंने पीएचडी भी कर ली, वे डॉक्टर कहलाने लगे। 

मैं कई बार सोचता था कि बिना मेडिकल की पढ़ाई किए कोई डॉक्टर कैसे हो सकता है। मैंने अपने एक-दो पीएचडी मित्रों से पूछा भी था, तो उनका कहना था कि वे जिन्दगी के डॉक्टर हैं। 

जिन्दगी के डॉक्टर? 

पिछले दिनों किसी ने मुझसे खुशवंत सिंह के लिखे जिन्दगी के दस सूत्रों को साझा किया।

इन दसों सूत्रों को पढ़ने के बाद मुझे पहली बार पता चला कि सचमुच खुशहाल जिन्दगी और शानदार मौत के लिए ये सूत्र बहुत जरूरी हैं।

1. अच्छा स्वास्थ्य – अगर आप पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं, तो आप कभी खुश नहीं रह सकते। बीमारी छोटी हो या बड़ी, ये आपकी खुशियाँ छीन लेती हैं। 

2. ठीक ठाक बैंक बैलेंस – अच्छी जिन्दगी जीने के लिए बहुत अमीर होना जरूरी नहीं। पर इतना पैसा बैंक में हो कि आप आप जब चाहे बाहर खाना खा पाएँ, सिनेमा देख पाएँ, समंदर और पहाड़ घूमने जा पाएँ, तो आप खुश रह सकते हैं। उधारी में जीना आदमी को खुद की निगाहों में गिरा देता है।

3. अपना मकान – मकान चाहे छोटा हो या बड़ा, वो आपका अपना होना चाहिए। अगर उसमें छोटा सा बगीचा हो तो आपकी जिन्दगी बेहद खुशहाल हो सकती है।

4. समझदार जीवन साथी – जिनकी जिन्दगी में समझदार जीवन साथी होते हैं, जो एक-दूसरे को ठीक से समझते हैं, उनकी जिन्दगी बेहद खुशहाल होती है, वर्ना जिन्दगी में सबकुछ धरा का धरा रह जाता है, सारी खुशियाँ काफूर हो जाती हैं। हर वक्त कुढ़ते रहने से बेहतर है अपना अलग रास्ता चुन लेना।

5. दूसरों की उपलब्धियों से न जलना – कोई आपसे आगे निकल जाए, किसी के पास आपसे ज्यादा पैसा हो जाए, तो उससे जले नहीं। दूसरों से खुद की तुलना करने से आपकी खुशियाँ खत्म होने लगती हैं। 

6. गप से बचना – लोगों को गपशप के जरिए अपने पर हावी मत होने दीजिए। जब तक आप उनसे छुटकारा पाएँगे, आप बहुत थक चुके होंगे और दूसरों की चुगली-निंदा से आपके दिमाग में कहीं न कहीं जहर भर चुका होगा।

7. अच्छी आदत – कोई न कोई ऐसी हॉबी विकसित करें, जिसे करने में आपको मजा आता हो, मसलन गार्डेनिंग, पढ़ना, लिखना। फालतू बातों में समय बर्बाद करना जिन्दगी के साथ किया जाने वाला सबसे बड़ा अपराध है। कुछ न कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे आपको खुशी मिले और उसे आप अपनी आदत में शुमार करके नियमित रूप से करें।

8. ध्यान – रोज सुबह कम से कम दस मिनट ध्यान करना चाहिए। ये दस मिनट आपको अपने ऊपर खर्च करने चाहिए। इसी तरह शाम को भी कुछ वक्त अपने साथ गुजारें। इस तरह आप खुद को जान पाएँगे। 

9. क्रोध से बचना – कभी अपना गुस्सा जाहिर न करें। जब कभी आपको लगे कि आपका दोस्त आपके साथ तल्ख हो रहा है, तो आप उस वक्त उससे दूर हो जाएँ, बजाय इसके कि वहीं उसका हिसाब-किताब करने पर आमदा हो जाएँ।

10. अंतिम समय – जब यमराज दस्तक दें, तो बिना किसी दुख, शोक या अफसोस के साथ उनके साथ निकल पड़ना चाहिए अंतिम यात्रा पर, खुशी-खुशी। शोक, मोह के बंधन से मुक्त हो कर जो यहाँ से निकलता है, उसी का जीवन सफल होता है।

मुझे नहीं पता कि खुशवंत सिंह ने पीएचडी की थी या नहीं। पर इन्हें पढ़ने के बाद मुझे पहली बार लगने लगा है कि जिन्दगी के डॉक्टर भी होते हैं। ऐसे डॉक्टर जिन्दगी बेहतर बनाने का फॉर्मूला देते हैं। मैं खुशवंत सिंह से मिल चुका हूँ, बातें कर चुका हूँ, पर जिन्दगी के इन फलसफों को उनसे नहीं सीख पाया, जबकि वो खुद इसे जीते थे।

खैर, कहते हैं न कि कभी देर नहीं होती। तो आज से ही लागू करने जा रहा हूँ जिन्दगी जीने के लिए ये दस फॉर्मूले। क्यों न लागू करूं, ये जिन्दगी के डॉक्टर की ओर से जिन्दगी जीने के लिए दिए गये नुस्खे हैं।  

‪(देश मंथन, 14 अप्रैल 2016)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें