पुणे का राजा दिनकर केलकर म्युजियम

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

देश कुछ बेहतरीन संग्रहालयों में से एक है पुणे का राजा दिनकर केलकर म्युजियम। ये संग्रहालय पुणे के शुक्रवार पेठ में स्थित है। यह संग्रहालय किसी एक आदमी के प्रयास से किए संग्रह का बेहतरीन नमूना है। इस संग्रहालय की स्थापना 1962 में हुई थी।

संग्रहकर्ता डाक्टर दिनकर गंगाधर केलकर को उनके शानदार कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वे 14 मई 1990 को इस दुनिया को अलविदा कह गये, पर उनके अद्भुत संग्रह को देखने के लिए हजारों लोग रोज देश विदेश से यहां पहुँचते हैं। डाक्टर केलकर ने ये संग्रहालय अपने बेटे राजा की स्मृति में बनवाया था।

केलकर संग्रहालय की लाल रंग की तीन मंजिला इमारत है। प्रवेश द्वार पर टिकट लेने के बाद आप आगे बढ़ते तो आपको सबसे पहले कई किस्म के लकड़ी के नक्काशीदार दरवाजे देखने को मिलते हैं। तीन मंजिल से संग्रहालय में घूमने के तरीके लिए मार्ग दर्शक बना हुआ है। बिना किसी गाइड के आनंद लेते हुए आप पूरा संग्रहालय घूम सकते हैं। संग्रहालय में लकड़ी से बने वस्तुओं का विशाल संग्रह है। इनमें पंच मुखी मारूति की प्रतिमा आपको आकर्षित करेगी। 19वीं सदी की तमिलनाडु से प्राप्त मीनाक्षी की प्रतिमा। याली यानी दुष्टदमनक की प्रतिमाएं खास तौर पर ध्यान खिंचती हैं।

एक खंड में रसोई में प्रयोग किए जाने वाले पुराने समानों का सुंदर संग्रह है। इनमें से कई सामान ऐसे हैं जिन्हें शहर के लोगों ने देखा ही नहीं होगा। तेल रखने का का एक विशाल मर्तबान इस खंड में है जो ऊंट के चमड़े से बना है। केलकर संग्रहालय में वस्त्र गैलरी, कठपुतली गैलरी भी खास हैं।

वाद्य यंत्रों की खास गैलरी

एक गैलरी में विभिन्न किस्म से शास्त्रीय वाद्य यंत्रों का संग्रह देखा जा सकता है। यहाँ तानपुरा, सितार, ताउस, सर्पाकृति तानपुरास तंबोरा, सारंगी देखी जा सकती है। आप यहाँ उस्ताद कादरबक्श खाँ साहब की सारंगी भी देख सकते हैं। विचित्र वीणा, मयूर वीणा, त्रिदंडी तंबूरा, बाल गंधर्व का इस्तेमाल किया हुआ तंबूरा देख सकते हैं। पाँव से बजाया जाने वाला हारमोनियम, गोटू वाद्यम देख सकते हैं। पंच मुख वाद्यम देखकर अचरज होता है। इसमें विशाल घड़े पर पाँच तबले बनाये गये हैं। यहाँ आप 16 तारों वाला नारायण वीणा भी देख सकते हैं। इतना ही नहीं मृदंग, शहनाई, बांसुरी, चंग (आदिवासी वाद्य, चांदनी नगस्वरम, सुर बहार, रुद्रवीणा आदि का भी संग्रह देख सकते हैं। एक जगह हाथी दाँत के प्यादों से बनी शतरंज की बिसात दिखायी देती है।

मस्तानी महल की सैर

पर केलकर संग्रहालय का खास हिस्सा है मस्तानी महल। पेशवा बाजीराव तृतीय की प्रेमिका बाजीराव मस्तानी के जीवन से जुड़ी कथाओं के संसार को मस्तानी महल में आकर महसूस किया जा सकता है। ये संग्रहालय खास तौर पर छात्रों और शोधार्थियों के लिए काफी उपयोगी है। जो लोग भारत की संस्कृति और विरासत के बारे में जानने में रूचि रखते हैं उनके लिए बेहतरीन जगह है। 

कैसे पहुँचे

संग्रहालय शुक्रवार पेठ में नातुबाग में बाजीराव रोड पर स्थित है। केलकर संग्रहालय में प्रवेश टिकट 50 रुपये का है। बच्चों के लिए 10 रुपये का टिकट है। फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिए अलग से टिकट लेना पड़ता है। संग्रहालय 15 अगस्त 26 जनवरी और अनंत चतुर्दशी को बंद रहता है। बाकी के दिन सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक संग्रहालय खुला रहता है।

(देश मंथन  14 अप्रैल 2016)

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