संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी एक परिचित ने मुझसे अपनी कहानी साझा की है। उन्होंने मुझे बताया कि पिछले दिनों वो किसी के संपर्क में आईं और वो उन्हें अच्छा लगने लगा। यहाँ तक तो सब ठीक था। पर वो उन्हें इतना अच्छा लगने लगा कि वो उससे प्यार कर बैठीं।
नहीं, शायद प्यार कहना ठीक नहीं। एक शादीशुदा, दो बच्चे की माँ यह कभी नहीं स्वीकार कर पाएगी कि उसे किसी और से प्यार हो गया है। वो सबसे पहले खुद से झूठ बोलेगी, फिर वो बाकियों से झूठ बोलेगी और वो बहुत दिनों तक दुविधा में जिन्दगी जीती रहेंगी।
खैर, अब जब वो खुद ही नहीं कह रही कि उसे प्यार है, वो कह रही है कि वो उसे अच्छा लगने लगा है, तो मैं भी इतना ही मान लेता हूँ कि वो उसे अच्छा लगने लगा है। इस संसार में आदमी को बहुत-सी चीजें अच्छी लगती हैं। पर जब आदमी उसे पाने को बेचैन हो उठता है, तो यह उसकी यही बेचैनी प्यार में तब्दील होने लगती है। पर हिन्दुस्तान में जितनी आसानी से आदमी प्यार को स्वीकार करता है, उतनी ही आसानी से इसे नकार भी देता है। स्वीकार करने और नकार देने के बीच की कड़ी ही दुविधा कहलाती है। जिसकी जिन्दगी में यह दुविधा आ खड़ी होती है, वो खुद को एक ऐसे दोराहे पर पाता है, जहाँ उसकी समझ में नहीं आता कि अब जाए तो किधर जाये। और ऐसे में उसे जरूरत पड़ती है किसी ऐसे दोस्त की, ऐसे सलाहकार की, जिससे वो सब साझा कर पाये, जिससे वो दिल की बात इस भरोसे से कह दे कि वो किसी और से न कहे और उसे राह भी दिखा दे।
मैंने कहा न कि मेरी एक परिचित ने मुझसे यह बात साझा की कि वो जिन्दगी के दोराहे पर खड़ी हैं।
उन्हें अपने पति से कोई शिकायत नहीं। उन्हें अपने बच्चों से बहुत प्यार है। पर उम्र के इस मोड़ पर कुछ हो गया है।
***
मैंने कुछ दिन पहले आपसे जिन्दगी चैनल पर आने वाले सीरियल फेरिहा की कहानी साझा की थी। मैंने आपको मिसेज सनेम की कहानी भी सुनायी थी। मैंने कहा था कि मिसेज सनेम बेहद खूबसूरत और संभ्रांत महिला हैं। वो बहुत अमीर व्यक्ति की पत्नी हैं और दो बच्चों की माँ हैं। मिसेज सनेम के पति सारा दिन व्यापार में व्यस्त रहते हैं और व्यापार में उनकी व्यस्तता के बीच ही सनेम को किसी और से प्यार हो जाता है।
मैंने यह भी लिखा था कि मिसेज सनेम के पति जिन्दगी को जीने की तैयारी में व्यस्त हैं पर मिसेज सनेम जिन्दगी को जीना चाहती हैं। जिन्दगी को जीने और जिन्दगी को जीने की तैयारी के बीच की कड़ी ही वो दोराहा है, जहाँ अक्सर दो हमसफर अलग राहों पर चल पड़ते हैं।
पर सवाल वही कि होना क्या चाहिए? करना क्या चाहिए?
***
मिसेज सनेम के पति को पता चल गया है कि उनकी पत्नी किसी और से मुहब्बत करती हैं। हालाँकि अब तक उन्होंने अपनी पत्नी से जाहिर नहीं किया है कि उन्हें उनका सच पता है। पर उनकी आँखें, उनका मन सबकुछ बयाँ करते हुए नजर आते हैं। एक ओर उनकी पत्नी दुविधा में हैं कि वो किसके साथ रहें, पति के साथ या प्रेमी के साथ। दूसरी ओर उनके पति भी दुविधा में हैं कि वो क्या करें। पत्नी को छोड़ दें या समझा कर साथ रहें।
अब सवाल यह है कि आखिर वो कौन सी बात है, जो दोनों को उलझन में डाले हुए है।
अगर पत्नी को किसी और से प्यार हो गया है तो वो क्यों अपने पति को बता नहीं पा रही कि उसे किसी और से प्यार है।
पति अगर जान गया है कि उसकी पत्नी किसी और से प्यार कर रही है तो वो अपनी पत्नी को बता क्यों नहीं रहा कि वो सच जान गया है।
दोनों अपनी सुविधाओं को जीना चाहते हैं। दोनों नहीं चाहते कि यह सच खुले। क्योंकि दोनों सच से खुद को दूर किए बैठे हैं, इसीलिए यह द्वंद्व है। यही द्वंद्व उनकी सजा है।
***
मेरी दूर की एक बहन को शादी से पहले किसी से प्यार हो गया था। जब मेरी उस बहन की शादी किसी और से तय होने लगी तो सबने उसके पिता कहा कि उसे फलाँ पसंद है, आप उसी से बात क्यों नहीं करते? पिता ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह लव नहीं है, लगाव है। ऐसे लगाव होते रहते हैं। अगर उसे लव होता तो वो खुद को दोराहे पर नहीं पाती। अगर उसे लव होता तो उसमें इतनी हिम्मत आ जाती कि मेरा क्या, इस संसार में सबका सामना करती हुई उसकी हो जाती। पर ऐसा नहीं है। यह मानव मन है। जिन्दगी में कई बार कइयों के साथ ऐसी घटना घट जाती है। इसे सहजता से स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। लगाव होता है, खत्म हो जाता है। उसका लगाव भी खत्म हो जाएगा।
***
मैं जानता हूँ कि मिसेज सनेम भी उस आदमी से प्यार नहीं करती, जिससे वो अपने पति से छुप-छुप कर मिलती रही हैं। अगर ऐसा होता, तो वो खुद को दोराहे पर नहीं पातीं। उनका लव भी महज लगाव है।
मेरी जिस परिजन ने मुझसे अपनी कहानी साझा की है कि वो समझ नहीं पा रहीं कि वो क्या करें, उन्हें मैं आज यह संदेश देना चाहता हूँ कि उनका लव भी सिर्फ लगाव है। लव होता तो वो खुद को दोराहे पर नहीं पातीं। जब-जब आप खुद को दोराहे पर पाएँ, इस सच को मन ही मन स्वीकार कर लें कि वो सिर्फ लगाव है। ऐसे लगाव होते रहते हैं। ऐसे लगाव का कोई भविष्य नहीं होता। ऐसे लगाव में जिन-जिन लोगों ने भविष्य तलाशने की कोशिश की है, वो भटक कर रह गये हैं।
***
बहुत बारीक फर्क होता है लव और लगाव में। कई बार इसका ठीक से पता भी नहीं चलता। जो इसका अंतर समझते हैं, वो इस राह पर ठीक से गुजर लेते हैं। जो नहीं समझ पाते, उन्हें तो उलझना ही पड़ता है।
(देश मंथन, 09 दिसंबर 2015)