देश मंथन डेस्क :
प्रायः हम सभी न्याय पाने की जुगत में न्यायालय की शरण में खड़े होते हैं और कई दफा हम न्याय के मंदिर में बैठे न्यायमूर्ति की न्याय से असंतुष्ट भी होते हैं, लेकिन न्यायमूर्ति के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हमारे पास अधिकार सीमित हैं, लेकिन अब आगे ऐसा नहीं होगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने एक अधिसूचना जारी करते हुए वादी और प्रतिवादी को यह अधिकार दे दिया है कि वे अब न्यायधीशों की न्याय से अंसतुष्टि की दशा में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकेंगे।
जी हाँ, यह सौ फीसदी सच है। यानी अब न्यायाधीशों को भी दिये गये फैसलों के लिए सवालों-जबावों और तकरीरों का सामना करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट की नयी अधिसूचना के मुताबिक अब लोग सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायत कर सकेंगे।
गौरतलब है अभी तक न्यायालयों में बैठे न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायत नहीं की जा सकती थी। हालाँकि न्यायाधीशों को हटाने के लिए अलग से कानून (जजेज इंक्वायरी एक्ट, 1968) है, लेकिन इसकी प्रक्रिया बहुत जटिल और उबाऊ है।
न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक करार दिया है और कहा है कि उक्त कदम से लोगों में न्यायपालिका के प्रति भरोसे और वृद्धि होगी।
यही नहीं, अगर वादी की शिकायत में वजन हुआ तो मुख्य न्यायाधीश खुद उसकी जाँच करवाएँगे और साक्ष्य की दशा में 3 जजों की जाँच कमेटी इसकी गहन जाँच करेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक जाँच के बाद यदि न्यायाधीश दोषी पाये गये तो मुख्य न्यायाधीश दोषी को न्यायिक कार्य से हटा सकते हैं, उन्हें पद से इस्तीफा दिलवा सकते हैं और उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए भी कह सकते हैं।
(देश मंथन, 6 जनवरी, 2015)