खुली चिट्ठी : एक लड़की का दर्द – प्रधानमंत्री शर्म करें

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 शहनाज ट्रेजरीवाला, मॉडल एवं अभिनेत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, क्रिकेट के भगवान सचिन तेंडुलकर, किंग खान शाहरुख खान, दबंग सलमान खान, मिस्टर परफेक्टनिस्ट आमिर खान और बिजनस टाइकून अनिल अंबानी को लिखे एक ओपेन में मॉडल और ऐक्ट्रेस शहनाज ट्रेजरीवाला ने महिला शोषण और बलात्कार की घटनाओं के लताड़ते हुए कहा है कि इन्हें शर्म नहीं आती है।

 

मैं राजधानी दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय कैब कंपनी उबर की कैब में कैब ड्राईवर द्वारा बलात्कार से खबरों में बेहद गु्स्से में हूं, क्योंकि ऐसी घटनाएं लड़िकयों को घर से बाहर निकलने से रोकती है, इसलिए मेरी देश के उन तमाम पॉवरफुल गुजारिश की है कि वो महिला सुरक्षा के लिए कुछ तो करें।

मैं मानती हूं कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी, जापान और ऑस्ट्रेलिया दौरों पर दिए गए वो तमाम भाषण बेकार हैं अगर देश की राजधानी में कोई औरत दिन के उजाले में भी आजादी से नहीं घूम सकती। यह हमारे देश का पहला मुद्दा है। किसी भी और मुद्दे से पहले इस मुद्दे को सुलझाइए। क्या हमारे देश के लिए यह शर्म का विषय नहीं है? , क्योंकि अब आप हमारे लिए जिम्मेदार हैं।

मुझे याद है कि कैसे महज 13 वर्ष की उम्र में एक आदमी मुझे जबरदस्ती छूकर चला गया और मेरे पास खड़ी मेरी मां चीखती रहीं, लेकिन उसके बाद उक्त आदमी का कुछ पता नहीं चला।

ऐसी घटनाएँ मेरे साथ न जाने कितनी बार घटीं, लेकिन लाचारगी में खुद की सुरक्षा के लिए ऐसे लोगों के बीच जिंदगी जीने की आदत सी बड़ गई। हालांकि कई बार लोगों की बदतमीजी के लिए पीछे खड़े कईयों को मैंने थप्पड़ भी मारे और कई दफा तो थप्पड़ खाकर घर लौटी। लेकिन पब्लिक कभी साथ रही तो कभी तमाशाई बनी रही।

कई बार सड़क पर लोकल ट्रेन में सफर करते वक्त लोगों की बदतमीजी और टीजिंग का शिकार होना पड़ता है। एक बार तो कॉलेज के लिए बस में सफर के दौरान एक आदमी ने मेरी छोटी बहन टीशर्ट के अंदर हाथ डाल दिया था।

एक बार तो एक मेरी 16 वर्षीय दोस्त के साथ एक आदमी ने चलती ट्रेन में रेप किया और वह आदमी बिना किसी रोक-टोक चुपचाप ट्रेन से कूदकर भाग गया। मेरे दोस्त को संभालने वाला कोई नहीं मिला, जो उसे संभालता और घर पहुंचाता। अंततः बलात्कार से पीडि़त मेरी दोस्त खुद लंगड़ाती घर पहुंची। इस बीच उसे काफी ब्लीडिंग हो रही थी।

मुझे याद है कि एक बार एक आदमी मेरी मां को भी काफी गंदे तरीके से छूकर चला गया, लेकिन मेरी मां चुपचाप रहीं और मुझे भी किसी को कुछ नहीं बताने की हिदायत दी।

बावजूद इसके मैं इन सभी घटनाओं पर क्षुब्ध नहीं हूं, क्योंकि यह दंश मैं अकेले नहीं झेल रहीं हूं, बल्कि देश की हर महिला, लड़की और औरत को रोज झेलना पड़ता है।

उन आदमियों की उक्त क्रूर हरकत के लिए न मैं और न मेरी छोटी बहन, न मेरी दोस्त और न मां शर्मिंदा हैं, क्योंकि इसके लिए उन पुरूषों को शर्मिंदा होने की जरूरत है जो है इन सब घटनाओं के लिए जिम्मेदार है।

(देश मंथन, 12 दिसंबर 2014)

 

 

 

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