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राजघाट में सो रहा है दुनिया का सबसे बड़ा फकीर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
नाम राजघाट है पर यहाँ सो रहा है सदी का सबसे बड़ा फकीर। एक ऐसा फकीर जिसे नमन करने दुनिया भर के लोग आते हैं। शायद पूरी दुनिया में बापू ऐसे पहले आजादी की लड़ाई के अगुवा रहे होंगे जिन्होंने आजादी मिल जाने के बाद कोई सत्ता नहीं ग्रहण की। सरकार में कोई पद नहीं लिया। महलों में रहने नहीं गए।
आगा खाँ पैलेस : जहाँ बा बापू का साथ छोड़ गयीं
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
पुणे के यरवदा इलाके में स्थित आगा खाँ पैलेस, देश के स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास बताने वाले प्रमुख स्मृति स्थलों में से एक है। मुख्य सड़क पर स्थित यह विशाल इमारत ब्रिटिश सत्ता से भारत के संघर्ष की कहानी सुनाता है। आगा खाँ पैलेस इसलिए खास है क्योंकि बापू ने यहाँ गिरफ्तारी (नजरबंदी) का लंबा वक्त गुजारा, साथ ही बापू के दो प्रिय लोग इसी इमारत में उनका साथ छोड़ गये।
बापू ने डाली थी बुनियादी शिक्षा की नींव
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
बेतिया शहर के पास कुमारबाग के पास है वृंदावन आश्रम। यह वही आश्रम है, जहाँ बापू पन्डित प्रजापति मिश्र, गुलाब खाँ व पीर मुहम्मद मुनिस के द्वारा निमन्त्रण पर गाँधी सेवा संघ के पंचम अधिवेशन के के मौके पर 2 मई, 1939 को एक बार फिर चंपारण की धरती पर पहुँचे थे।
पटना से बेतिया का सफर – चंपारण की धरती को नमन
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
पटना से बेतिया का सफर। पटना के मीठापुर बस स्टैंड से बेतिया के लिए रात्रि सेवा में कई बसें चलती हैं। इनमें एसी और स्लीपर बसें भी हैं। हमारे दोस्त इर्शादुल हक ने बताया था कि पटना से बेतिया के लिए सबसे अच्छी बसें चलती हैं।