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चंपावती के नाम पर पड़ा चंबा शहर का नाम
चंपावती के नाम पर पड़ा चंबा शहर का नाम
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
विख्यात कलापारखी और डच विद्वान डॉ. बोगल ने चम्बा को 'अचंभा' कहा था। उन्होंने यू हीं शहर को अचंभा नहीं कहा था। यहां के मंदिर कला संस्कृति में विविधता को देखते हुए उन्होंने अनायास ही यह उपाधि दे डाली थी। वैसे चंबा शहर का नाम चंबा के राजा के बेटी चंपावती के नाम पर पड़ा था।
चंबा का लक्ष्मीनारायण मंदिर समूह
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हिमाचल प्रदेश का छोटा सा शहर चंबा मंदिरों का नगर है। वैसे चंबा के आसपास कुल 75 प्राचीन मंदिर हैं। छोटे से शहर में ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के कई मंदिर हैं। इन मंदिरों में प्रमुख है लक्ष्मीनारायण मंदिर समूह। यह चंबा शहर का सबसे विशाल मंदिर समूह है।
चंबा की विरासत से रूबरू कराता भूरी सिंह संग्रहालय
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
किसी भी शहर के इतिहास को जानने के लिए वहाँ के संग्रहालय को जरूर देखना चाहिए। चंबा का भूरी सिंह संग्रहालय आपको शहर और आसपास के समृद्ध ऐतिहासिक विरासत से परिचित कराता है। यह एक छोटा सा संग्रहालय है पर इसे काफी बेहतर ढंग से प्रबंध करके रखा गया है।
जायका का स्वाद जो कभी नहीं भूलता…
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
दोपहर में हमलोग होटल रायल ड्रीम में चेक-इन कर चुके थे। अब चंबा शहर को देखने निकलना था। चंबा में चौगान पर हमारा इंतजार ममता शर्मा कर रही थीं। वही ममता जो हमें श्रीनगर में मिली थीं। दिल्ली के प्रगति मैदान में भी दो बार मिलीं। वे अपने गाँव जा रही हैं। उनका घर चंबा से 60 किलोमीटर आगे तीसा क्षेत्र में है। हमारे होटल से बस स्टैंड 5 किलोमीटर है। वहाँ तक जाने के लिए समय समय पर आने वाली बस ही विकल्प है। पर हमें भूख लग रही है।
साडे चिड़ियों दा चंबा वे…बाबुल अस उड़ जाना..
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हमारी बस धीरे-धीरे चंबा की ओर बढ़ रही थी। खजियार 1900 मीटर के करीब ऊँचाई पर है और चंबा 900 मीटर पर नीचे। इसलिए खजियार से चली बस धीरे-धीरे उतर रही थी।
लोक आस्था के प्रतीक हैं खजिनाग
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हिमाचल के धौलाधार पर्वत मालाओं के बीच कई नाग मंदिर हैं। इनमें खजियार का खजिनाग मंदिर प्रमुख है। खजिनाग मंदिर बारहवीं सदी का बना हुआ है। आठ सौ साल पुराना ये मंदिर अपने ऐतिहासिकता और पुरातात्विक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार चंबा के राजा पृथ्वी सिंह की दाई बाटुल ने करवाया था। मंदिर के गर्भ गृह में खज्जी नाग की प्रस्तर प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के प्रांगण में पंच पाँडवों की काष्ठ प्रतिमाएँ स्थापित की गयी हैं।
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा….
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
एक सपनीली दुनिया है खजियार मैदान में। खजियार ग्राउंड को देख कर कई फिल्मों के दृश्य अचानक ही जेहन में याद आने लगते हैं। अपने अनूठे सौंदर्य के कारण खजियार का सौंदर्य बालीवुड के निर्माताओं को हमेशा अपनी ओर खींचता है। 1942 लव स्टोरी फिल्म का गीत…एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा...जैसे खिलता गुलाब...के कुछ दृश्यों खजियार के नजारे दिखाई देते हैं। इ
खजियार से पुखरी गाँव की सैर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
खजियार ग्राउंड के आसपास देवदार के घने जंगल हैं। इन जंगलों में ट्रैकिंग करने का अपना मजा है। अगर आपके पास समय है तो घूमने के लिए वक्त निकालें। एक सुबह हमलोग टहलने निकले। यह खजियार ग्राउंड में पीडब्लूडी गेस्ट हाउस के पीछे का इलाका था। इस सड़क पर चलते हुए आगे कोई गाँव आता है। पर गाँव से पहले रास्ते में दो चार होटल हैं। ये होटल ऐसे हैं जहाँ आप कोलाहाल से दूर प्रकृति की गोद में कुछ वक्त गुजार सकते हैं।
खजियार – स्विटजरलैंड 6194 किलोमीटर…
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
खजियार यानी सपनीली दुनिया। दस से ज्यादा हिंदी फिल्मों में खजियार के सौंदर्य को समेटने की कोशिश फिल्मकारों ने की है। खजियार हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले का एक गाँव है, जिसे हिल स्टेशन का दर्जा प्राप्त है। यह 1920 मीटर की ऊँचाई पर है। यह डलहौजी से भी 24 किलोमीटर है और चंबा शहर से भी 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तीन किलोमीटर की परिधि में एक बड़ा हरा भरा ग्राउंड है। इस ग्राउंड के बीचों बीच झील है। इस झील को गाँव के लोग पवित्र और रहस्यमय भी मानते हैं।
डलहौजी से मिनी स्विटजरलैंड की ओर…
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हमारी अगली मंजिल थी खजियार। हिमाचल प्रदेश का स्विटरजरलैंड। जहाँ हमने अगले तीन दिन रहना तय किया था। बड़ी संख्या में ऐसे सैलानी होते हैं जो डलहौजी में रुकते हैं। यहीं से गाड़ी बुक करके खजियार जाते हैं। वहाँ चार घंटे गुजारने के बाद लौट आते हैं। पर हमारी योजना तो वहाँ कुछ दिन और रात गुजराने की थी।