Tag: विद्युत प्रकाश मौर्य
जैसलमेर में तनोट देवी का चमत्कारी मंदिर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
देश के कुछ चमत्कारी मंदिरों में शामिल है तनोट भवानी का मंदिर। यह मंदिर राजस्थान में जैसलमेर शहर से 130 किलोमीटर दूर पाकिस्तान की सीमा पर है। तनोट भवानी मंदिर को पाकिस्तान हिंगलाज भवानी का रूप माना जाता है।
लंगट सिंह कॉलेज के वे दिन
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
वह 1987 का साल था जब मुझे हाई स्कूल यानी दसवीं पास करने के बाद कॉलेज में नामांकन लेना था। तब बिहार में 11वीं यानी इंटर से कॉलेज में पढ़ाई होने लगती थी। नंबर के आधार पर हमारा नामांकन मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कॉलेज में हो गया।
दुनिया की सबसे विशाल घड़ी – वृहद सम्राट यंत्र – जंतर मंतर जयपुर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
जयपुर जंतर मंतर - नाड़ी वलय यंत्र
वैसे तो देश में पाँच जंतर मंतर हैं। पर इनमें जयपुर का जंतर मंतर सबसे विशाल है। अपनी विशालता और विशेषताओं के कारण ही इसे दुनिया के विश्व दाय स्मारकों की सूची मे स्थान मिल सका है। सवाई जय सिंह ने देश में कुल पाँच शहरों में जंतर मंतर का निर्माण कराया।
हिमाचल के परवानू में पाँच दिन
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
परवानू हिमाचल प्रदेश का प्रवेश द्वार है। जब आप चंडीगढ़ से कालका होते हुए शिमला के लिए आगे बढ़ते हैं तो हरियाणा का कालका खत्म होने के बाद हिमाचल का पहला शहर परवानू ही पड़ता है। लिहाजा यह हिमाचल का प्रवेश द्वार है। हिमाचल सरकार ने यहाँ लोकनिर्माण विभाग का एक गेस्ट हाउस बनवा रखा है। वह साल 2000 का जून महीना था। मैं गुरु जांभेश्वर विश्वविद्यालय की एमएमसी की परीक्षा दे रहा था। मैंने अपना केंद्र चंडीगढ़ चुन रखा था। कुछ दिन अपने सीनियर साथी राजेश राठौर के घर में रहा। इसी दौरान हिमाचल के कुछ दोस्तों से परिचय हुआ था।
मन मोह लेती है मनाली की फिजाँ
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मनाली देश के बेहतरीन हिल स्टेशन में शामिल है। मुझसे अगर कोई किसी एक हिल स्टेशन को पहला नंबर देने को कहे तो मैं मनाली का ही नाम लूंगा। क्यों तो इसके कई कारण हैं। मनाली में घूमने को लेकर काफी विविधताएं हैं।
चंबा से वापसी वाया कमेरा लेक
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
तीन दिनों के चंबा प्रवास के बाद वापसी की यात्रा भी काफी मनोरम रही। हमारा होटल चंबा बस स्टैंड से पाँच किलोमीटर आगे परेल में था। इसलिए हमें बस पकड़ने के लिए बस स्टैंड जाने की कोई जरूरत नहीं थी। टाइम टेबल देख लिया था।
चंबा का शॉल, रुमाल और जूतियाँ
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
चंबा अपने शॉल, रुमाल और जूतियों के लिए जाना जाता है। अगर आप चंबा से कुछ खरीद कर ले जाना चाहते हैं तो इनमें से कुछ चुन सकते हैं। सबसे पहले बात चंबा के रुमाल की। चंबा का रुमाल वास्तव में कोई जेब में रखने वाला रुमाल नहीं होता। वास्तव में यह शानदार कढ़ाई की हुई वाल पेटिंग होती है।
माँ चामुंडा के चरणों में बसा है चंबा शहर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
चामुंडा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि चंबा नगर बसने से पहले भी विद्यमान था। वर्तमान मंदिर मूल मंदिर के नष्ट होने के बाद बनाया गया है। सारा चंबा शहर माँ चामुंडा के चरणों में बसा हुआ है। मंदिर भित्ति चित्र और काष्ठकला का अदभुत उदाहरण है। चामुंडा मंदिर पैगोडा शैली में बना हुआ है। यह चंबा के बाकी मंदिरों से काफी अलग है।
झुमार का जम्मू नाग मंदिर – खजिनाग के बड़े भाई जम्मू नाग
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हिमाचल और जम्मू कश्मीर में नाग मंदिरों की बड़ी श्रंखला है। पहाड़ों पर कहावत है 18 नारायण और 18 नाग। यानी बहुत सारे नारायण और बहुत सारे नाग। इसे 18 से इसलिए जोड़ते हैं क्योंकि यह एक पवित्र अंक है। हिमाचल प्रदेश में जगह-जगह नाग मंदिर हैं। नाग देवता की पूजा की परंपरा अति प्राचीन है। हो सकता है यह परंपरा उस काल से चली आ रही हो जब इंसान कबीलों में रहता था। इन नागों में बासुकि नाग सबसे बड़े माने जाते हैं। बासुकि नाग का एक मंदिर कांगड़ा में मैकलोड गंज के पास है।
झुमार – ताल से ताल मिला….
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हिमाचल में चंबा के पास झुमार पहुँच जाना यूँ लगता है जैसे सपनों की दुनिया में आ गए हों। झुमार चंबा शहर से 14 किलोमीटर की दूरी पर है। रास्ता लगातार चढ़ाई वाला है। पर जब आप झुमार पहुँचते हैं तो मौसम काफी बदल चुका होता है। यह एक ग्रामीण इलाका है जहाँ दूर-दूर तक हरियाली, सेब, चीड़ और देवदार के पेड़ दिखायी देते हैं। झुमार का नैसर्गिक सौंदर्य फिल्मकार सुभाष घई को इतना भाया कि उन्होंने अपनी सुपर हिट फिल्म ताल की आधी शूटिंग झुमार में की। 1999 में आयी इस फिल्म में चंबा का सौंदर्य निखर कर आया है। झुमार में जो सेब का बाग है उसका नाम ही ताल गार्डेन रख दिया गया है।