कच्चा तेल पानी से सस्ता होने को बेताब

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राजेश रपरिया :

सहसा विश्वास नहीं होता है कि कच्चे तेल के दाम पानी से कम हो जायेंगे। लेकिन गोल्डमैन सैक्स की मानें तो वह दिन अब दूर नहीं है। सच तो यह है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में यह करिश्मा अभी घट चुका है। एक बैरल में 158 लीटर होते हैं। यदि कच्चे तेल की कीमत 20 डॉलर प्रति बैरल हो जात है तो एक लीटर कच्चे तेल के दाम होंगे 8.50 रुपये यानि बोतलबंद पानी से भी कम। कुछ महीने पहले विश्व विख्यात निवेशक कंपनी गोल्डमैन सैक्स ने कच्चे तेल के दाम 20 डॉलर प्रति बैरल तक गिरने की भविष्यवाणी की थी। तब अधिकांश तेल विशेषज्ञों ने इसे हवा में उड़ा दिया था। यह तेल विशेषज्ञ मानने को तैयार नहीं थे कि कच्चे तेल के दाम 40-45 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जा सकते हैं। पर नये साल की शुरुआत से अचानक ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जिन्हें अब गोल्डमैन सैक्स की भविष्यवाणी सच होती दिखायी दे रही है। असल में पिछले पाँच महीने काफी उठा-पटक के रहे हैं। कनेडियाई कच्चे तेल ने गोल्डमैन सैक्स की भविष्यवाणी को सच साबित कर दिया। समाप्त हफ्ते में बुधवार को इसके दाम 20 डॉलर से नीचे पहुँच गये। 

पिछले 18 महीनों में अत्यधिक आपूर्ति के कारण तेलों की कीमत तकरीबन 70-75% धड़ाम हो चुकी है। कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण कच्चे तेल की माँग में कमी आयी है। इससे विश्व बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति और अधिक हो गयी है। यूरो क्षेत्र में पिछले साल 2015 की शुरुआत में पेट्रो उत्पादों की माँग में कुछ उछाल देखने को मिली थी। पर साल के अंत तक यह माँग भी सुस्त हो गयी। कच्चे तेल की माँग में गिरावट और अत्याधिक आपूर्ति के बावजूद तेल के उत्पादक देशों की संस्था ओपेक इसके उत्पादन में कटौती करने के लिए तैयार नहीं है और न ही निकट भविष्य में इसके कोई आसार नजर आते हैं। पिछले साल कच्चे तेल की आपूर्ति खपत के मुकाबले प्रतिदिन 12.15 लाख बैरल अधिक रही है। ओपेक और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का आकलन है कि 2016 में कच्चे तेल की मांग और गिरेगी। यानि 2016 में कच्चे तेल का स्टॉक और बढ़ेगा जो पहले ही तीन अरब बैरल हो चुका है। 

गोल्डमैन सैक्स की कच्चे तेलों के दाम 20 डॉलर प्रति बैरल की भविष्यवाणी का मूलाधार यह है कि सऊदी अरब तब तक ओपेक का उत्पादन कम नहीं होने देगा, जब तक कि गैर ओपेक देशों में अलाभकारी कच्चे तेल का उत्पादन बंद होने में तेजी नहीं आ जाती। सऊदी अरब चाहता है कि विश्व के कच्चे तेल के व्यापार में उसकी हिस्सेदारी किसी भी कीमत पर कम नहीं हो जो अभी सर्वाधिक है। अमेरिका जो कभी कच्चे तेल का आयातक था, वह अब निर्यातक देश बन गया है। शेल (चट्टानी) गैस के उत्पादन से उसने यह करिश्मा कर दिखाया है। पर शेल गैस की उत्पादन लागत ज्यादा है। सऊदी अरब का जुआ यह है कि कच्चे तेल के दाम इतने अधिक गिर जायें कि अमेरिका और अन्य गैर ओपेक देशों में कच्चे तेल का उत्पादन अलाभप्रद हो जाये और इस क्षेत्र में नया निवेश भी रुक जाये। इसमें कोई दो राय नहीं है कि सऊदी अरब के इस दाँव से अमेरिका, रूस समेत अन्य गैर ओपेक देशों के तेल क्षेत्र पर भारी दबाव पैदा हो गया है। रूस के कुल निर्यात में कच्चे तेल के निर्यात की हिस्सेदारी लगभग 80% है। कच्चे तेलों के दामों में भारी गिरावट से रूस की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल में है और वह मंदी की गिरफ्त में आ चुका है।

ईरान पर हाल में हटे प्रतिबंधों से विश्व बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़नी तय है। ईरान अपने उत्पादन को जल्द से जल्द 10 लाख बैरल रोजाना करना चाहता है। इससे कच्चे तेल की आपूर्ति विश्व बाजार में और बढ़ जायेगी। अमेरिका ऊर्जा एजेंसी समेत अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि 2016 की तीसरी तिमाही में गैर ओपेक देशों के तेल उत्पादन में कमी आयेगी। मतलब साफ है कि कच्चे तेल की कीमत 20 डॉलर के स्तर पर आ भी जाती है तो उस पर ज्यादा देर टिके रहना मुश्किल होगा और इसके बाद कच्चे तेल की कीमतें फिर चढ़नी शुरू हो जायेंगी। कच्चे तेल की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव, सऊदी अरब और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और चीन की डावाँडोल अर्थव्यवस्था से विश्व आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चिता बढ़ गयी है। कच्चे तेल में आयी इस महा गिरावट से दुनियाभर में अब तक दो लाख से अधिक लोग अपनी जीविका खो चुके हैं। 

बहरहाल, कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से भारत का पेट्रोलियम आयात बिल काफी कम हुआ है। 2014-15 में यह आयात बिल 6.78 लाख करोड़ रुपये का था जो इस साल घट कर 4.37 लाख करोड़ रुपये का हो जायेगा यानी 73 अरब डॉलर। 2013-14 में यह आयात बिल 168 अरब डॉलर का था। यानी 2013-14 के मुकाबले भारत का पेट्रोलियम बिल लगभग 100 अरब डॉलर कम हो जायेगा। इसके साथ ही पेट्रोलियम सब्सिडी में भारी कमी आयी है और पेट्रोलियम उत्पादों पर बढ़ते शुल्कों से सरकार के राजस्व में काफी इजाफा हुआ है।

(देश मंथन 12 जनवरी 2016)

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