स्पाइसजेट की घर-वापसी

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राजेश रपरिया

हिंदूवादी संगठनों के घर-वापसी अभियान पर मोदी और उनकी सरकार भले ही खुल कर कुछ कहने में असमर्थ हो, लेकिन देश की तीसरी सबसे बड़ी उड्डयन कंपनी स्पाइस जेट की घर-वापसी के लिए मोदी सरकार की सहृदयता चकित करने वाली है।

हवाई यात्रियों के कल्याण के नाम पर निजी क्षेत्र की स्पाइसजेट को आर्थिक संकट से उबारने में जो तत्परता, उदारता और ‘स्पीड’ केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय ने दिखायी है, उससे कानों का खड़ा होना स्वाभाविक है। पर इस मंत्रालय की दरियादिली से स्पाइसजेट एयरलाइंस की ऊहापोह की स्थिति समाप्त हो चुकी है। स्पाइसजेट के मालिक, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि के भतीजे और देश के 38वें सबसे अधिक अमीर कलानिधि मारन ने अपने स्वामित्व अधिकार 1,500 करोड़ रुपये में अजय सिंह को बेचने का समझौता कर लिया है। अजय सिंह स्पाइसजेट के मूल प्रवर्तकों में हैं। यानी स्पाइसजेट की घर-वापसी हो रही है। इस डील के बाद स्पाइसजेट के प्रबंधन पर अजय सिंह का नियंत्रण हो जायेगा। इस सौदे की सूचना स्टॉक एक्सचेंजों को दे दी गयी है। इस सूचना के साथ ही पिछले शुक्रवार को स्पाइसजेट के शेयरों में 10% उछाल देखने को मिली। 

पिछले महीने 17 दिसंबर को नगदी संकट से जूझ रही स्पाइसजेट की उड़ानें लगभग ठप हो गयीं। सरकारी तेल कंपनियों ने स्पाइस जेट के विमानों को ईंधन देने तक से मना कर दिया। 10 घंटे तक स्पाइसजेट के विमान हवाई पट्टी पर ही खड़े रह गये और उसे 150 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। तीन करोड़ रुपये के नगद भुगतान के बाद स्पाइसजेट को ईंधन मिला, तब शाम को जाकर इसके कुछ विमान उड़ान भर सके। स्पाइसजेट की उड़ानों के अचानक रद्द हो जाने के कारण कई हवाई मार्गों पर अन्य विमानन कंपनियों की लॉटरी लग गयी और हवाई किरायों में 57% तक बढ़ोतरी देखने को मिली।

खस्ताहाल स्पाइसजेट की सहायता के लिए मोदी सरकार के उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू तुरंत हरकत में आये और एयरपोर्ट अॅथारिटी को 200 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान के लिए 15 दिन की मोहलत देने को कहा। उड्डयन मंत्रालय ने स्पाइसजेट के चेयरमैन की निजी गारंटी पर बैंकों से 600 करोड़ रुपये देने का आग्रह किया। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन के निर्देर्शों को धता बताते हुए उड्डयन मंत्रालय ने 30 दिनों तक की ही अग्रिम बुकिंग करा सकने का प्रतिबंध खत्म कर दिया। केंद्रीय उड्डयन मंत्री राजू और उनके विभाग के राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने पेट्रोलियम मंत्री और उनके अधिकारियों के साथ आपात बैठक भी की और सरकारी तेल कंपनियों से 15 दिनों के ईंधन का आग्रह किया गया। उड्डयन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने भरोसा जताया कि यात्रियों के व्यापक हितों को देखते हुए स्पाइसजेट के संकट का कुछ हल निकाल लिया जायेगा। 

बैंकों ने किया साफ इन्कार :

उड्डयन मंत्रालय के आग्रह के बावजूद बैंकों ने स्पाइसजेट को नये कर्ज देने में हाथ खड़े कर दिये। साल 2012 में किंगफिशर एयरलाइंस को उबारने में बैंक पहले ही हजारों हजार करोड़ रुपये से हाथ धो बैठे थे। किसी एयरलाइंस को कर्ज देने में उनके हौसले अब भी पस्त हैं। स्पाइसजेट के चेयरमैन कलानिधि मारन की निजी गारंटी देने के बावजूद बैंक इस कंपनी को नया कर्ज देने को कतई राजी नहीं हुए। कलानिधि मारन देश के 38वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं, जिनकी नेटवर्थ 2.3 बिलियन डॉलर है। वे सन टीवी से 120 करोड़ रुपये सालाना वेतन और बोनस लेते हैं, जो स्पाइसजेट के कर्मचारियों के कुल वेतन से ज्यादा है। सन टीवी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कंपनी है, जिसका बाजार पूंजीकरण तकरीबन 1400 करोड़ रुपये है। इसके अलावा कलानिधि के सन समूह और कई कंपनियां हैं, जो खासे मुनाफे में चल रही हैं। बैंकों के सामने अहम सवाल था कि अरबों के मालिक कलानिधि मारन जब स्पाइसजेट में एक फूटी कौड़ी लगाने को तैयार नहीं हैं, तब उन्हें नया कर्ज कैसे दिया जा सकता है? कारोबारी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड ने आईसीआईसीआई बैंक के एक अधिकारी के हवाले से बताया कि यदि हमारा कर्ज डूबता है, तब भी हम नया कर्ज स्पाइसजेट को नहीं देंगे। भारतीय स्टेट बैंक की मुखिया अरुंधति भट्टाचार्य ने भी कह दिया है कि बैंक का स्पाइसजेट को कोई नया कर्ज देने का इरादा नहीं है। पिछले तीन साल से यह कंपनी घाटे में चल रही है। इन सालों में तीन हजार करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है। मार्च 2014 में समाप्त साल में इसका घाटा 1003 करोड़ रुपये था और तकरीबन दो हजार करोड़ रुपये की उधारी थी। ईटी नाउ की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी भी स्पाइसजेट के कर्मचारियों के भविष्य को लेकर चिंतित बताये गये हैं। अब यह कंपनी तमाम कर्मचारियों को निकालेगी, तब मोदी किस ‘स्पीड’ से तत्परता दिखाते हैं, इस पर निगाह रहना स्वाभाविक है।

स्पाइसजेट को उबारने में नागरिक उड्डयन मंत्रालय की स्पीड और तत्परता देखकर किसी का भी हैरान-परेशान होना अस्वाभाविक नहीं है। किंगफिशर एयरलाइंस का हश्र लोगों के दिलो-दिमाग में ताजा है। उससे पहले भी कई उड्डयन कंपनियाँ परिदृश्य से गायब हो चुकी हैं। सरकारी एयर इंडिया को उबारने के लिए अरसे से केंद्र सरकार प्रयासरत है और जनता के गाढ़े पसीने की कमाई के अरबों रुपये इसमें डूबो चुकी है। जेट एयरवेज की माली हालत भी किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में इसे मजबूरन अपने शेयर दुबई की एतिहाद एयरवेज को बेचने पड़े हैं। उड्डयन विशेषज्ञ कहते हैं कि हवाई किरायों को लेकर जारी प्रतिस्पर्धा, अतार्किक किराये, मांग से अधिक उद्योग की उड़ान क्षमता, अव्यावसायिक उम्मीदें, ऊँची विकास दर की भारी प्रत्याशा और विमान बेड़े खरीदने की अव्यावहारिक योजनाएँ आदि कारणों से भारतीय उड्डयन उद्योग की उड़ान बार-बार भंवर में फंस जाती है। ऐसे में सफल होना कोई आसान काम नहीं है। कोई भी बैंक स्पाइसजेट को कर्ज देने का इच्छुक नहीं है, फिर भी मोदी सरकार के उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू की इस कंपनी को बचाने की पुरजोर कोशिशें अब रंग में आयी हैं।

कौन हैं अजय सिंह :

स्पाइस जेट की डूबती नैया को पार लगाने के लिए अजय सिंह केवट बन कर उभरे हैं, जो असल में स्पाइसजेट के मूल प्रवर्तक हैं। अजय सिंह सत्ता के गलियारों, वित्तीय अखाड़ों और दांव-पेच के पुराने धुरंधर खिलाड़ी हैं। भाजपा के दिग्गज नेता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे प्रमोद महाजन की देन हैं अजय सिंह। सब जानते हैं कि प्रमोद महाजन अपने व्यापक संपर्कों, तिकड़म और कॉरपोरेट इंडिया से अपनी नजदीकी के कारण आज भी याद किये जाते हैं। आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग स्नातक, अमेरिका की कार्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए अजय सिंह कभी दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन में डायरेक्टर थे, लेकिन प्रमोद महाजन के संपर्क में आने के बाद अजय सिंह सत्ता गलियारों में जाना पहचाना चेहरा बन गये। एनडीए सरकार में जब प्रमोद महाजन सूचना और प्रसारण मंत्री थे, तब उन्होंने अजय सिंह को ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी बनाया। प्रमोद महाजन ने टेलीकॉम मंत्रालय की कमान संभाली तो अजय उनके सलाहकार बन गये। कोरिया की दिवालिया कार कंपनी देबू के सूरज प्लांट को हासिल करने की कोशिश भी अजय सिंह ने की, लेकिन विफल रहे। साल 2000 से उड़ान भरने का प्रयास करने के बावजूद इसमें विफल रही कंपनी मोदीलुफ्त को अपने कुछ निवेशक साथियों के साथ अजय सिंह ने अधिग्रहीत किया और उसका नया नाम रखा स्पाइसजेट। लेकिन बाद में अजय सिंह ने अपनी सारी हिस्सेदारी कलानिधि मारन को बेच दी। इस दरमियान अजय सिंह ने टेलीकॉम सेक्टर में हाथ आजमाया। ए. राजा के कार्यकाल के दौरान अजय सिंह की कंपनी आलियांज इंफोटेक को दो सर्किलों के लाइसेंस भी मिले, लेकिन उन्हें बेच कर अजय सिंह दरकिनार हो गये। अब वे स्पाइसजेट में मारन के 53% शेयर खरीद कर सुर्खियों में हैं। अजय सिंह के पुराने साथियों का कहना है कि वे लंबी बैठकों में विश्वास नहीं करते हैं। तुरंत निर्णय लेना उनकी ताकत है। पर एक सवाल अब भी कौंधता है कि इस प्रकार के सौदों में विदेशी निवेशक ही क्यों निवेश करते हैं?

(देश मंथन, 17 जनवरी 2015)

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