Sunday, May 19, 2024
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बिहार में ‘हवा’ उसकी नहीं, जिसकी जीत होने वाली है!

अभिरंजन कुमार :

बिहार चुनाव एक पहेली की तरह बन गया है। अगड़े, पिछड़े, दलित, महादलित-कई जातियों/समूहों के लोगों से मेरी बात हुई। उनमें से ज्यादातर ने कहा कि उन्होंने बदलाव के लिए वोट दिया, लेकिन साथ ही वे इस आशंका से मायूस भी थे कि बदलाव की संभावना काफी कम है।

बिहार चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए पुरस्कार लौटा रहे हैं लेखक

अभिरंजन कुमार :

किसी दिन पुरस्कार लौटाने के लिए यह जरूरी है कि आज पुरस्कार बटोर लो। पुरस्कार मिले तो भी सुर्खियाँ मिलती हैं। मिला हुआ पुरस्कार लौटा दो तो और अधिक सुर्खियाँ मिलती हैं। समूह में पुरस्कार लौटाना चालू कर दो तो क्रांति आ जाती है। ऐसी महान क्रांति देखकर मन कचोटने लगा है। काश...

ज्ञान ही ज्ञान

सुशांत झा, पत्रकार :

उन लोगों पर ताज्जुब होता है जो कहते हैं कि पीएम को बिहार में 40 सभाएँ नहीं करनी चाहिए। अरे भाई, इसका क्या मतलब कि जिस बच्चे को 12वीं में 99 फीसदी नंबर आये वो IIT की परीक्षा में दारू पीकर इक्जाम देने चला जाये? हद है! चुनाव है या फेसबुक पोस्ट कि कुछ भी लिख दिया? विपक्षी दलों के पास नेता नहीं है और जो हैं या तो वो जोकर किस्म के हैं या किसी आईलैंड पर तफरीह कर रहे हैं तो इसमें नरेंद्र मोदी का क्या दोष है? ये तो उस आदमी का बड़प्पन है कि सांढ का सींग पकड़कर मैदान में डटा हुआ है।

वायदों की बौछार, पर धन का पता नहीं

राजेश रपरिया :

आज मतदान के प्रथम चरण के साथ बिहार का भाग्य इलेक्ट्रॉनिक मतपेटिकाओं में बंद होना शुरू हो चुका है। नतीजे एनडीए के पक्ष में आयें या नीतीश-लालू-कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में, पर इस बार बिहार चुनाव निष्कृष्टता और मर्यादाहीनता की सभी सीमाएँ लांघ चुका है। सिद्धांतहीनता अपने चरम पर है। चुनावों में इतना वैमनस्य कभी देखने में नहीं आया, जो इस बार बिहार में देखने को मिल रहा है। मतदान नजदीक आने के साथ सारे मुद्दे गुल हो गये हैं और शुद्ध रूप से जातियों के गणित पर यह चुनाव आ कर टिक गया है। 

बिहार चुनाव : विकास, गोकसी और आरक्षण का मुद्दा है भारी

संदीप त्रिपाठी :

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान होने में एक हफ्ते हैं। बीते महीने में विश्लेषक यह आकलन करते रहे कि दोनों प्रमुख चुनावी गठबंधनों, राजद + जदयू + कांग्रेस के महागठबंधन और भाजपा + लोजपा + रालोसपा + हम के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच बाजी किसके हाथ रहेगी। और यह भी कि तारिक अनवर के नेतृत्व में सपा + राकांपा + जन अधिकार पार्टी (पप्पू यादव) + समरस समाज पार्टी (नागमणि) + समाजवादी जनता पार्टी (देवेंद्र यादव) + नेशनल पीपुल्स पार्टी (पीए संगमा) का गठबंधन धर्मनिरपेक्ष समाजवादी मोर्चा इन दोनों प्रमुख गठबंधनों में कहाँ किसके वोटबैंक में सेंध लगायेगा। और यह भी कि हैदराबाद की राजनीतिक पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी बिहार के सीमांचल क्षेत्र में क्या गुल खिला पायेंगे और इससे किसको नुकसान और किसको फायदा होगा और इनके पीछे कौन है।

बिहार चुनावः अग्निपरीक्षा किसकी?

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

बिहार का चुनाव वैसे तो एक प्रदेश का चुनाव है, किन्तु इसके परिणाम पूरे देश को प्रभावित करेंगे और विपक्षी एकता के महाप्रयोग को स्थापित या विस्थापित भी कर देगें। बिहार चुनाव की तिथियाँ आने के पहले ही जैसे हालात बिहार में बने हैं, उससे वह चर्चा के केंद्र में आ चुका है। प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी वहाँ तीन रैलियाँ कर चुके हैं।

नीतीश कुमार का अहंकार और स्वाभिमान

संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन:   

बिहार चुनाव के मद्देनजर, भारतीय जनता पार्टी को बहुत तकलीफ है कि नीतीश कुमार अहंकारी हैं। और नीतीश कुमार न जाने क्यों सफाई देते घूम रहे हैं कि वह अहंकारी नहीं, स्वाभिमानी हैं। इतने समय तक सार्वजनिक जीवन में रहने के बाद अगर यह बताना पड़े कि मैं यह हूँ, वह हूँ या वह नहीं हूँ तो क्या सार्वजनिक जीवन जीया। 

मांझी से मजबूत होगा एनडीए

अभिरंजन कुमार :

जीतनराम मांझी के शामिल होने का फायदा एनडीए को निश्चित रूप से होगा और नीतीश कुमार को नेता घोषित करने का नुकसान निश्चित रूप से कांग्रेस-आरजेडी-जेडीयू-एनसीपी-कम्युनिस्ट गठबंधन को होगा। 

उप्र चुनाव तक जनता परिवार का विलय मुश्किल

Ajay Upadhyayजनता परिवार के छह धड़ों का क्या विलय होगा? विलय की राह में दिक्कतें क्या हैं? विलय अगर हुआ तो कब तक संभावना है? बिहार में जनता दल यू और राष्ट्रीय जनता दल में गठबंधन होगा या नहीं और क्यों? गठबंधन का चुनावों पर क्या असर होगा। देश मंथन की ओर से राजीव रंजन झा ने वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अजय उपाध्याय से इन मुद्दों पर बात की। पेश हैं इस बातचीत के कुछ अंश...

भाजपा के लिए कठिन परीक्षा हैं उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनाव

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय  :

लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति का सिरमौर बनकर भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र की सत्ता पर तो काबिज हो गयी है पर अब इन दोनों राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी साख दाँव पर है।

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