वैश्विक बहनापा उन औरतों तक क्यों नहीं जाता?
नुसरत जहां : कहीं राजनीतिक दाँव-पेंच ही तो नहीं था?
फेमिनिज्म के नाम पर हिंदू द्वेष
तरुण तेजपाल के केस के बहाने मोरल पुलिसिंग
रोहित सरदाना की मृत्यु पर कबीलाई अट्टाहास
क्या बाबा रामदेव को पता नहीं था कि कोरोनिल पर बखेड़ा होगा?
यदि बाबा रामदेव अपनी दवा का नाम कोरोना के आधार पर कोरोनिल रखने के बदले कुछ अलग रखते, इसे कोरोना की दवा कहने के बदले रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवा (इम्युनिटी बूस्टर) कहते, तो इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा नहीं हुआ होता। दवा तो उनकी तब भी बिक जाती। आज के माहौल में सुपरहिट ही रहती।
कोरोना की दवा का बाबा रामदेव का दावा और फेसबुकीय योद्धाओं के प्रमाण-पत्र
राजीव रंजन झा :
एक दवा है एचसीक्यूएस। मलेरिया के इलाज में काम आती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बोल दिया कि इससे कोरोना के मरीज ठीक हो रहे हैं। भाई लोगों ने पक्ष-विपक्ष दोनों में मोर्चा खोल दिया।
चीन से लड़ने को ललकारती आवाजों का असली मतलब क्या है?
राजीव रंजन झा :
चीन से लड़ लोगे क्या? लड़ पाओगे क्या? बहुत ताकतवर है हमसे।
दरअसल 1962 की हार के बाद यह भारतीय मानस में बैठ गया है कि हम पाकिस्तान को तो कभी धूल चटा सकते हैं, लेकिन चीन से पार पाना संभव नहीं है।
सावधान! गिद्धों ने नया रोहित वेमुला खोजना शुरू कर दिया है
राजीव रंजन झा :
इस देश में पैसों के लेन-देन को लेकर विवाद और मार-पीट होना, हत्या तक हो जाना कोई नयी बात नहीं है। लेकिन ऐसी किसी घटना को सनसनीखेज बनाने के लिए मीडिया इसमें जाति का कोण ढूँढ़े, राजनीतिक एजेंडाबाज इसमें एक नया रोहित वेमुला या भारत का जॉर्ज फ्लॉइड तलाशने लगें, तो उन्हें गिद्ध कहना क्या किसी तरीके से गलत होगा?
तबलीगी जमात पर गर्व करें, उन्हें सलाम करें
राजीव रंजन झा :
कनिका कपूर याद है? इसलिए पूछ रहा कि जनता की याददाश्त बहुत छोटी होने की बात कही जाती है।
लेकिन ताजा बात है, तो कुछ-कुछ याद होगा ही। गायिका कनिका कपूर। बेबी डॉल वाली!
क्या 14 अप्रैल के बाद खत्म हो जायेगा लॉकडाउन
राजीव रंजन झा :
कल अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू के ट्वीट हवाले से खबर चल गयी कि लॉकडाउन 15 अप्रैल को खत्म हो जायेगा। फिर यह ट्वीट हटा ली गयी।
कोरोना वायरस की महामारी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन, 22 मार्च को जनता कर्फ्यू
मेरे प्रिय देशवासियों,
पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुजर रहा है। आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो वह कुछ देशों या राज्यों तक ही सीमित रहता है। लेकिन इस बार ये संकट ऐसा है, जिसने विश्व भर में पूरी मानव जाति को संकट में डाल दिया है।