जीत गये अहमद पटेल, हार गयी कांग्रेस
संदीप त्रिपाठी :
कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी के राजनीतिक सचिव और कांग्रेस के वित्तीय संकटमोचक अहमद पटेल राज्यसभा चुनाव भले जीत गये, लेकिन इससे कांग्रेस की हार साबित होती है। दो बागी कांग्रेसी विधायकों द्वारा ज्यादा जोश दिखाये जाने से चुनाव आयोग ने कांग्रेस की आपत्ति पर उन विधायकों का वोट रद कर दिया और पटेल चुनाव जीत गये। अगर ये बागी कांग्रेसी विधायक अपना वोट दिखा कर न देते तो...?
भाजपा के निशाने पर त्रिपुरा का वामपंथी गढ़
संदीप त्रिपाठी :
त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस के छह निष्कासित विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये हैं। इसके साथ ही भाजपा त्रिपुरा विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल बन गयी है। यह सवाल उठता है कि क्या इसे मणिपुर की तरह त्रिपुरा में भाजपा के आने की आहट मानें। त्रिपुरा में वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
कहीं आपके बच्चे को निगल न जाये ऑनलाइन नीली व्हेल
संदीप त्रिपाठी :
यदि आप किशोरवय के बच्चों के अभिभावक या शिक्षक हैं तो आपके लिए पूरी तरह सतर्क हो जाने का समय है।
महज 8% किसान बचे हैं देश में : साईनाथ
संदीप त्रिपाठी :
प्रख्यात कृषि पत्रकार पी. साईनाथ को सुनना अपने-आप में अद्भुत है। अद्भुत इसलिए है कि आज के दौर में जब हर आदमी, भले ही वह पत्रकार ही क्यों न हो, खेमों में बँटा दिखता है।
‘इतने बड़े स्तर पर ईवीएम हैकिंग संभव नहीं लगती’
दिल्ली विधान सभा में ईवीएम हैकिंग के प्रदर्शन का सीधा प्रसारण करा कर आम आदमी पार्टी ने ईवीएम को फिर से संदेह के घेरे में लाने का प्रयास किया है। देश मंथन ने इस मुद्दे पर कंप्यूटर क्षेत्र और आईटी कानूनों के जानकार पवन दुग्गल से बातचीत की। उनका मानना है कि तकनीकी रूप से तो किसी भी कंप्यूटर उपकरण की हैकिंग संभव है, लेकिन ईवीएम में इतने व्यापक स्तर पर हैकिंग व्यावहारिक रूप से संभव नहीं लगती है। प्रस्तुत है पवन दुग्गल से यह बातचीत।
कश्मीर में सरकार आपकी पर ‘राज’ किसका?
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
कश्मीर में सुरक्षा बलों की दुर्दशा और अपमान के जो चित्र वायरल हो रहे हैं, उससे हर हिंदुस्तानी का मन व्यथित है। एक जमाने में कश्मीर को लेकर हुंकारे भरने वाले समूह भी खामोश हैं।
अभिव्यक्ति की आजादी क्या ईद की सेवई है, जिसे हर व्यक्ति को खिलाएँ?
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
अभिव्यक्ति की आजादी हर व्यक्ति के लिए नहीं होनी चाहिए। मसलन, आमिर खान और शाहरुख खान के लिए होनी चाहिए, लेकिन इरफान खान के लिए नहीं होनी चाहिए।
जो धर्म डराए, जो किताब भ्रम पैदा करे, उसे शिद्दत से सुधार की जरूरत!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
जो कट्टरपंथी हैं, वे भी उसी एक किताब से हवाले दे रहे हैं। जो पढ़े-लिखे, उदारवादी और प्रगतिशील हैं, वे भी उसी एक किताब के सहारे सारी थ्योरियां पेश कर रहे हैं।
टाइम नहीं, घड़ी की पूछो
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
मित्र सामने बैठे थे, लाखों की घड़ी पहने। मैं बिजी था, सिर्फ पैंतालीस मिनट तारीफ कर पाया महँगी घड़ी की।
झूठ-फ्रेंडली तकनीक की ओर
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
गूगल ने बताया कि जिस रास्ते पर आप रोज जाते हैं, उस रास्ते पर ट्रैफिक जाम है, रोज 28 मिनट लगते हैं, आज 50 मिनट लगने का अनुमान है।
हो सके तो दो-चार मानवाधिकारवादियों को भी बोनट पर घुमा दीजिए!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
वैसे हमारे प्रगतिशील बुद्धिजीवियों ने एक कथित पत्थरबाज को जीप की बोनट पर बाँधने के लिए सेना की खूब आलोचना की है, लेकिन मुझे लगता है कि सेना को ऐसे एक नहीं, सौ पत्थरबाज (सिर्फ पत्थरबाज) पकड़ने चाहिए और घाटी में अपने तमाम ऑपरेशनों और आवाजाही के दौरान उन्हें अपनी गाड़ियों के आगे टाँगे रखना चाहिए।
सुबह लाठी, शाम चपाती …!!
तारकेश कुमार ओझा, पत्रकार :
न्यूज चैनलों पर चलने वाले खबरों के ज्वार-भाटे से अक्सर ऐसी-ऐसी जानकारी ज्ञान के मोती की तरह किनारे लगते रहती हैं, जिससे कम समझ वालों का नॉलेज बैंक लगातार मजबूत होता जाता है।