बापू और अंबेडकर के साथ पुडुचेरी की शाम

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

अगर आप हिन्दुस्तान के इस छोटे से सुंदर से शहर पुडुचेरी में हैं तो शाम गुजारने के लिए गाँधी प्रतिमा से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती। न सिर्फ देशी बल्कि विदेशी लोग भी यहाँ घंटों फुरसतियाते मिल जाएँगे। गाँधी स्टैच्यू के दोनों तरफ पुडुचेरी में बने इस मरीन ड्राइव की लंबाई करीब 1.25 किलोमीटर है।

इस चौड़े पथ पर वाहन प्रतिबंधित हैं। सिर्फ पदातियों के उन्मुकत विचरण के लिए बना हये पथ। हमने लाल बहादुर शास्त्री स्ट्रीट पर अपनी एक्टिवा पार्क की और आनंद मनाते लोगों की भीड़ में शामिल हो गये। तट पर जगह जगह स्थायी बेच लगे हैं। सुस्ताने के लिए। मरजी है तो आप लहरों की अटखेलियाँ देखते रहिए। समंदर कभी बोर नहीं करता। यहाँ मंडप में साबरमती के संत की खड़ी प्रतिमा है।

रात की रोशनी में बापू मुस्कराते प्रतीत होते हैं। उनके पाँव के पास बच्चे किलोल करने में व्यस्त हैं। बड़े होकर ये देश के कर्णधार बनेंगे। बापू तो भारत का भविष्य देख कर लगातार मुस्कान बिखेर रहे हैं। बापू के ठीक उल्टी तरफ उन्हें देखती हुई पंडित नेहरू की भी प्रतिमा है। पुडुचेरी के मरीन ड्राइव पर अंबेडकर मंडप भी है। यहाँ बाबा साहेब की चिर परिचित शिक्षित बनो संघर्ष करो की मुद्रा में प्रतिमा है। 

पुडुचेरी का समुद्र तट अरविंदो आश्रम के पृष्ठ भाग में है। हमें आश्रम के छापाखाना का भवन नजर आता है। इस पर लिखा है अरविंदो आश्रम प्रेस। हम लोग आगे बढ़ते हैं। चौपाटी पर बाजार है। आप क्या खाएँगे। पानी पूरी या फिर और कुछ। बच्चों के लिए ढेर सारे खिलानों की दुकानें भी सजी हैं। अनादि की बब्बल उड़ाने की इच्छा है, तो उन्हें भी मना नहीं कर पाया। तभी एक शोख विदेशी बाला आकर पूछती है… ये गाँधी स्टैच्यू किधर है। मैं रास्ता बता देता हूँ।

आज यहाँ पुडुचेरी सरकार की ओर क्राफ्ट बाजार भी लगा हुआ है। सैकड़ों दुकानें। बैकवर्ड क्लास वेलफेयर एसोसिएशन के शिल्पी भाइयों ने दुकानें सजा रखी हैं। इस बार में सब कुछ बिक रहा है। हम भी घूमने पहुँच गये। तो वहाँ पत्नी को झुमके पसंद आ गये लेना पड़ा। 

इस बाजार में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चल रहा है। नन्हे बच्चे तमिल में गीत पेश कर रहे हैं। शब्द समझ में भले ही नहीं आ रहे हों पर धुन बहुत प्यारी है। सो हम बैठ कर संगीत का आनंद लेने लगे। पुडुचेरी के इस सुहाने तट पर देर रात तक लोग विचरण करते रहते हैं। पर हमें भूख सता रह थी। इसलिए हम चल पड़े। अपने प्रिय डेस्टिनेशन आडयार आनंद भवन की ओर। 

गाँधी प्रतिमा के पास एक कैफे है। यहाँ बैठ कर कॉफी पीना सुहानी अनुभूति है। उपर से बीएसएनएल की और से यहाँ पर सैलानियों को फ्री वाईफाई की सुविधा दी जाती है। आधे घंटे से ज्यादा इस्तेमाल के लिए आपको शुल्क देना पड़ेगा। शुरुआत के 30 मिनट आप निःशुल्क सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। 

(देश मंथन, 07 नवंबर 2015)

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