“हाफिज को तो पाँचवी बार गिरफ्तार किया है पाकिस्तान ने”

0
104

क्या भारत में आतंकवाद फैलाने वालों को प्रश्रय देने के बारे में पाकिस्तान की नीति कुछ बदली है? क्या अमेरिका भारत के पक्ष में पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है या आगे ऐसा दबाव डालेगा? कश्मीर पर भारत सरकार की नीति क्या अंधी सुरंग में फँसी हुई है? ऐसे कुछ अहम सवालों, पाकिस्तान में हाफिज सईद को आतंकी सूची में डाले जाने और भारत-पाक संबंधों की गुत्थियों पर जाने-माने राजनयिक और पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त जी. पार्थसारथी से देश मंथन के संपादक राजीव रंजन झा की विशेष बातचीत।

{youtube} o_sxcMyZGcw {/youtube}

कश्मीर में बर्फ पिघलने के बाद पता चलेगा पाकिस्तान का असली रुख

हाल में पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठन जमात उद दावा के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इसके मुखिया हाफिज सईद और उसके चार साथियों को गिरफ्तार किया है। साथ ही पाकिस्तान ने हाफिज सईद को आतंकवादी सूची में भी डाला है। मगर जाने-माने भारतीय राजनयिक जी. पार्थसारथी इन बातों को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान ने पहले भी ऐसे कदम उठाये हैं, जो महज दिखावटी कदम साबित हुए हैं। उनकी नजर में पाकिस्तान की नीति में बदलाव हुआ है या नहीं, इसका अहम संकेत गर्मियों में मिलेगा, जब यह दिखेगा कि वह कश्मीर में बर्फ पिघलने के बाद आतंकवादियों की घुसपैठ को बढ़ावा देने की पुरानी रणनीति को छोड़ रहा है या नहीं।

बार-बार बदल जाती है ट्रंप की नीति

नये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में पार्थसारथी का कहना है कि ट्रंप की नीतियों पर अभी नजर रखने की जरूरत है, क्योंकि इतने छोटे समय में ही बहुत सारे मुद्दों पर उनकी नीतियाँ बार-बार पलटी हैं। हालाँकि वे यह जरूर मानते हैं ट्रंप की सहानुभूति पाकिस्तान के साथ नहीं रही है। साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय समुदाय की ओर से मिले समर्थन को भी ट्रंप ध्यान में रखेंगे।

दोस्ती के प्रयासों का मिला कूटनीतिक लाभ

पाकिस्तान के बारे में मोदी सरकार की नीति को लेकर पार्थसारथी का कहना है कि इस सरकार ने शुरुआत में पाकिस्तान के साथ दोस्ती के लिए जो प्रयास किये, उसका लाभ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में मिला। अगर मोदी सरकार ने शुरुआत से ही आक्रामक रवैया रखा होता, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को वैसा समर्थन नहीं मिला होता, जैसा सितंबर 2016 में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद दिखा।

कश्मीर में रखना होगा धैर्य

हाल में भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत ने कश्मीर में पत्थरबाजी करने और आतंकवादियों का साथ देने वालों के साथ सख्ती के साथ पेश आने की बात कही थी, जिस पर कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने आलोचना की थी। पार्थसारथी इस आलोचना को बिना सोचे-विचारे की गयी आलोचना बताते हैं। हालाँकि उनका मानना है कि कश्मीर में सख्ती और नरमी की संतुलित नीति पर चलना होगा और वहाँ धैर्य के साथ ही काम लेना होगा। देखें यह पूरी बातचीत।

(देश मंथन, 23 फरवरी 2017)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें