इरूंबाई के महाकालेश्वर

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विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

पुडुचेरी के पास इरुंबाई गाँव में शांत वातावरण में महादेव शिव का अदभुत मंदिर है। इसे तमिल लोग महाकालेश्वर के नाम से जानते हैं। इस शिव मंदिर को 2,000 साल से ज्यादा पुराना माना जाता है। मंदिर की कथा कई तमिल कविओं और संतों से जुड़ी हुई है।

तमिल के कई पुराने संत अपने गीतों में इरूंबाई के महाकाल की अर्चना करते पाये गये हैं। तमिल के महान कवि थेवरम के गीतों में महाकाल और देवी की अर्चना के बोल मिलते हैं। महाकाल की पूजा तमिल के जाने माने संत त्रिगुणा सामंधर किया करते थे। उनका काल 1200 से 1400 साल पहले का माना जाता है।

इरुंबाई के मंदिर में जो शिवलिंगम है वह कई टुकड़ों में हैं इसे तांबे के तारों से अच्छी तरह निबद्ध करके रखा गया है। किसी समय में मंदिर के पास सुंदर तालाब था, जिसमें कमल के फूल खिले होते थे। आज जहाँ इरूंबाई गाँव है कभी घना जंगल हुआ करता था। बदलते समय के साथ चोल और पांड्य राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है। राजाओं ने इस मंदिर सात दीवारों का निर्माण कराया। हालाँकि अब मंदिर की कई दीवारें अस्तित्व में नहीं है। कोई पाँच सौ साल पहले एक और तमिल संत कडुवेली सिद्ध इस क्षेत्र में हुए उन्होंने भी महाकाल की स्तुति गायी। उनके गीत गुस्से पर काबू पाने के लिए तमिल आवाम के बीच प्रसिद्ध हैं। वे प्रेम और स्नेह के गीत गाने वाले योगी थे।

इस मंदिर की व्यवस्था स्थानीय मंदिर ट्रस्ट देखता है। मंदिर सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। महाशिवरात्रि से इस मंदिर का प्रमुख उत्सव है। मंदिर में प्रसाद के तौर पर भभूत प्राप्त होता है। दर्शन के लिए कोई स्पेशल पंक्ति की आवश्वयकता नहीं है।

कैसे पहुँचे 

पुडुचेरी से टिंडिवनम नेशनल हाईवे नंबर 66 से चलते जाए। टोल नाका के बाद ऑरविल क्रास से दो किलोमीटर चलने पर दाहिनी तरफ इरुंबाई गाँव आता है। सड़क पर गाँव का रास्ता  बताने वाला बोर्ड लगा हुआ है। इरुंबाई गाँव वास्तव में ऑरविल इंटनेशनल टाउनशिप के पीछे स्थित है। आप पंचवटी हनुमान मंदिर को देखने के साथ ही इरुंबाई मंदिर जाने का कार्यक्रम बना सकते हैं।

(देश मंथन, 16 नवंबर 2015)

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