तमिलनाडु में हिंदी विरोध की दरकती दीवार

0
212

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

चेन्नई और आसपास  के शहरों में घूमते हुए कहीं भी हिंदी विरोध का आभास नहीं हुआ। कई दिनों के तमिलनाडु प्रवास के दौरान जगह-जगह तमाम तमिल लोगों से संवाद करने का मौका मिला। ज्यादातर लोग हिंदी समझ लेते हैं। जवाब देने की भी कोशिश करते हैं। चेन्नई शहर के बस वाले आटो वाले हिंदी में उत्तर दे देते हैं।

दक्षिण में कर्नाटक केरल और तमिलनाडु की भाषाएँ द्रविड समूह की होने के कारण हिंदी से थोड़ी ज्यादा दूर हैं। पर कर्नाटक और केरल में त्रिभाषा फार्मूला के तहत हिंदी पढ़ायी जाती है। पर तमिलनाडु में हिंदी का विरोध आजादी के आंदोलन के समय से ही है। लिहाजा वहाँ स्कूली पाठ्यक्रम में हिंदी नहीं है। पर नयी पीढ़ी के लोग टीवी पर सिनेमा में हिंदी सुन रहे हैं।

इस बार हम चेन्नई के जिन होटलों में ठहरे वहाँ केबल नेटवर्क में हिंदी के समाचार चैनल दिखायी दे रहे थे। हमने वहाँ आजतक से लेकर न्यूज 24 तक चैनल देखे। न सिर्फ डीटीएच बल्कि केबल नेटवर्क में भी हिंदी चैनल शामिल हैं। होटल के रिसेप्सशन वाले हिंदी समझ लेते हैं। वालटेक्स रोड और पेरियामेट के होटलों के साइन बोर्ड पर भी कहीं कहीं हिंदी लिखा हुआ दिखायी देता है। वैसे साइन बोर्ड की बात करें तो रेलवे स्टेशनों के नाम में हर जगह तमिलनाडु में हिंदी अंग्रेजी और तमिल एक साथ दिखायी देता है। बैंक पोस्ट आफिस और भारत सरकार के दूसरे दफ्तरों के साइन बोर्ड हिंदी में दिखायी देते हैं। चेन्नई के लोकल रेल में आने वाले स्टेशनों की सूचना हिंदी, अंगरेजी और तमिल में हो रही है। मुझे लगता है कि अगर हिंदी का प्रबल विरोध होता तो लोग इन साइन बोर्ड और उदघोषणाओं का भी विरोध करते। तमिल में रेलवे स्टेशन को रेल निलयम कहते हैं। यह बड़ा ही कर्णप्रिय लगता है।

इस बार तो चेन्नई में डीएमके के नेता दयानिधि मारन के चुनावी पोस्टर भी हिंदी में छापे गये थे। ऐसा चेन्नई में हिंदी बहुल इलाके के लोगों को लुभाने के लिए किया गया था। वैसे डीएमके और एआईडीएमके दोनों का हिंदी विरोध का इतिहास रहा है। पर अब ये दीवार कमजोर होती दिखायी देती है। भले स्कूलों में हिंदी नहीं पढ़ायी जाती हो पर बड़ी संख्या में तमिल अभिभावक यह महसूस कर रहे हैं कि अच्छी नौकरियाँ पाने के लिए तमिल, अंग्रेजी के साथ हिंदी जानना भी जरूरी है। लिहाजा वे अपने बच्चों को अलग से हिंदी पढ़ा रहे हैं।

लोग दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा से हिंदी सीखने का कोर्स करते हैं। सभा की रजिस्ट्रार डॉक्टर निर्मला मौर्य दक्षिण में हिंदी सीखने की ललक को उत्साहजनक मानती हैं। मैं अक्सर स्टेजिला डाट काम से होटल बुक करता हूँ। इसका मुख्यालय चेन्नई में है। कई बार इसके काल सेंटर से फोन आता है। इसके एग्जक्यूटिव वैसे तो चेन्नई के रहने वाले हैं। पर वे अच्छी हिंदी में संवाद करते हैं। देश भर के लोगों से वार्ता करने के लिए इस वेबसाइट ने हिंदी जानने वाले कर्मचारी रखे हैं। इसी तरह सिटी बैंक रायल सुंदरम बीमा कंपनी के चेन्नई काल सेंटर में हिंदी जानने वाले कर्मचारी हैं। चेन्नई से कांचीपुरम के ट्रेन में मिले सुब्रमन्यम और विलूपुरम से वेल्लोर के बीच मिले सरवनन अच्छी हिंदी बोल और समझ रहे थे। इससे पूर्व की यात्रा में मैंने पाया था कि तमिलनाडु के शहर ऊटी, कोयंबटूर, मदुरै, रामेश्वरम और कन्याकुमारी में भी लोग हिंदी समझते हैं। कन्याकुमारी में तो आटोवाले ने मुझे सुनाया था – ये कन्याकुमारी है बाबू यहाँ चाय भी सात रुपये की मिलती है।

चेन्नई से राजस्थान पत्रिका के अलावा निष्पक्ष दक्षिण भारत राष्ट्रमत जैसे हिंदी समाचार पत्र का संस्करण प्रकाशित होता है। निष्पक्ष दक्षिण भारत का दावा है कि उसके अखबार को हिंदी भाषियों के अलावा तमिल लोग भी पढ़ते हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कुछ और समाचार पत्रों के हिंदी संस्करणों का संपादन होगा। हाल में खबर आयी है कि बाहुबली के स्टार प्रभाष मुंबई की फिल्मों में काम पाने के लिए हिंदी सीख रहे हैं। कमल हासन और मणिरत्नम तो हिंदी फिल्में बनाते ही हैं। तो ये भाषायी मेल मिलाप और बढ़ना चाहिए। अब हम तमिल भाइयों पर हिंदी थोपने की गलती न करें। इसे स्वाभाविक तौर पर आगे बढ़ने दें। जिस तरह से तमिल भाइयों को उत्तर भारत का खाना पसंद आने लगा है वैसे बोली के स्तर पर भी सामंजस्य बढ़ेगा। भाषाई दीवारें दरकेंगी और एक दिन हिंदी तमिल भाई-भाई का नारा लगेगा।

(देश मंथन 07 जनवरी 2016)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें